मीडिया हाउस/बी.के.टाइम्स 22 ता. भोपाल – मप्र सरकार द्वारा 6 महीने के गहन अध्ययन के बाद लाई गई नई रेत नीति में खनिज माफिया और ठेकेदारों के हितों का पूरा ध्यान रखा गया है। सरकार ने ठेकेदारों की खातिर मप्र हाईकोर्ट के पांच जजों वाली संवैधानिक खंडपीठ के उस फैसले को ही पलट दिया है, जिसमें खंडपीठ ने इसी साल 12 अक्टूर को दिए आदेश में कहा था कि सरकारी निर्माण कार्यों से जुड़े ठेकेदारों को रॉयल्टी का नोड्यूज खनिज विभाग से अनिवार्य रूप से लेना होगा। लेकिन सरकार नई रेत नीति के तहत खनिज विभाग ठेकेदारों से रॉयल्टी भुगतान का सत्यापित प्रमाण पत्र नहीं मांगेेगा। रेत परिवहन से जुड़े वाहनों की सडक़ पर चैकिंग पर रोक लगाकर सरकार माफिया को पहले ही फायदा पहुंचा चुकी है। मप्र खनिज नियम 68 के तहत निर्माण कार्यों से जुड़े ठेकेदार को रॉयल्टी का नोड्यूज खनिज विभाग से लेना अनिवार्य होता है। बिना इसके संबंधित विभाग ठेकेदार का पूरा भुगतान ही नही कर सकते थे। पूर्व में ठेकेदार अलग-अलग आदेशों का हवाला देकर विभागों को गुमराह करते रहे। इन आदेशों की आड़ में ठेकेदारों द्वारा की जा रही करोड़ों की रॉयल्टी चोरी को लेकर खनिज विभाग ने हाईकोर्ट में पुर्नचायिका लगाई थी। नई रेत नीति में सरकार ने बिंदु क्रमांक 14 में उल्लेख किया है कि निर्माण विभाग के कार्यों के ठेकेदार भी इसी व्यवस्था के तहत ग्राम पंचायत, नगरीय निकायों से रेत प्राप्त करेंगे। उनसे विभागों द्वारा रॉयल्टी भुगतान का खनिज विभाग से सत्यापित प्रमाण पत्र नहीं मांगा जाएगा। विभागीय अफसरों के मुताबिक यह प्रावधान सिर्फ रेत के लिए है, लेकिन ठेकेदार पहले की तरह इसका फायदा सभी तरह के खनिजों के लिए उठाएंगे। इस संबंध में खनिज विभाग के मंत्री से लेकर, सचिव, संचालक कुछ भी कहने से बच रहे हैं। उक्ताशय पर मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने सिर्फ इतना बताया कि नई नीति से लोगों को सस्ती रेत मिलेगी।
