मीडिया हाउस /बी.के.टाइम्स 31 ता. सोनभद्र – मिर्जापुर में संचालित राइस मिल मामले को लेकर याचिकाकर्ता श्री चांद और अन्य मामले को लेकर मा0. हाई कोर्ट इलाहाबाद मे दायर याचिका संख्या नं. 69617/2015 के मामले को लेकर एस.बी.फ्रैंकलिन, क्षेत्रीय अधिकारी, यू.पी. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सोनभद्र द्वारा मा0. न्यायालय के समझ उक्त मामले मे एक हलफनामा दायर किया था। मा0.उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश के अनुसार 07.12.2017 मा0. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद 23 जून 2013 को मनोज मिनी राइस मिल और एक अन्य राज्य के मामले में निर्णय लिया गया था फिर भी ऐसे उद्योग वाणिज्यिक तौर पर मिर्जापुर के आवासीय क्षेत्र में चल रहे उद्योग पर्यावरण की दृष्टी से काफी खतरनाक हैं.! इसके बाद भी प्रदूषण विभागीय के अधिकरीयों द्वारा कोई भी कार्यवाही नही की गयी और उद्योग खुलेआम संचालित हो रहे है। मामले को गम्भीरता से लेते हुए मा0.उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने सितंबर 2015 से जून 2017 के बीच मिर्जापुर/सोनभद्र में तैनाद प्रदूषण अधिकारी कालिका सिंह, गिरिश चन्द्र वर्मा द्वारा भी कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गयी और वर्तमान मे उद्योग संचालित हो रहे हैं। मा0. उच्च न्यायालय द्वारा कठोर कार्यावाही करते हुए मुख्य सचिव, यूपी, लखनऊ को निर्देशित किया है कि उपर्युक्त तीनो अधिकारियों के खिलाफ सक्षम प्राधिकारी के माध्यम से उपयुक्त अनुशासनात्मक कठोर कार्रवाई करे। प्रधान सचिव, पर्यावरण, यूपी, लखनऊ को 23.09.2013 (सुप्रा) के फैसले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन के लिए अबतक क्या कार्रवाई की गई है और किसके अधिकारियों को प्रिंसिपल के रूप में तैनात किया गया है। अप्रैल 2018 के पहले सप्ताह में रिपोर्ट सबमिट करने के लिए शक्त आदेश जारी किये जाने की चर्चा जोरो पर है। चर्चा है कि प्रदूषण विभाग के अधिकारीयों के मिलिभगत के कारण सोनभद्र/मिर्जापुर मे प्रदूषण की स्थिती काफी दैनिय है उसके बाद भी विभागीय अधिकारीयों द्वारा कार्यवाही के नाम पर खाना पुर्ति कर सिर्फ वसूली में लीन रहे जिसका परिणाम यह है कि पुरे क्षेत्र की जनता प्रदूषण से त्रस्त है। जिसका नजारा आप स्वम ही क्षेत्र का दौरा कर अपने आखों से विभागीय अधिकारीयों का कारनामा देख व सुन सकते है।
