मीडिया हाउस/बी.के.टाइम्स 27ता. सोनभद्र – विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में ओबरा तापीय परियोजना के बीटीपीएस झरियानाला गेट पर तमाम अभियंता व बिजली कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार व विरोध प्रदर्शन किया।इस दौरान विभिन्न संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों ने प्रदेश सरकार व पावर कारपोरेशन प्रबंधन पर हठधर्मिता का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार व प्रबंधन निजीकरण को लेकर अनावश्यक टकराव का वातावरण बना रही है। सभी ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार अपना हठवादी रवैया नहीं छोड़ती है और निजीकरण के फैसले पर पुनर्विचार नहीं करती है तो आंदोलन में विद्युत उत्पादन, 765 और 400 केवी विद्युत उपकेंद्र तथा प्रणाली नियंत्रण की पाली में काम करने वाले अभियंताओं व कर्मचारियों को शामिल करते हुए अनिश्चितकालीन आंदोलन किया जाएगा जिससे होने वाली परिणामों की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।विरोध सभा के दौरान वक्ताओं ने कहा कि लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर मेरठ और मुरादाबाद शहरों में विद्युत वितरण कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं जबकि आगरा में निजीकरण के बाद 8 वर्षों में पावर कारपोरेशन को करोड़ों का नुकसान हो चुका है।इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने मुनाफा कमाने वाले शहरों को आगरा की तरह निजीकरण करने का निर्णय लिया है। निजीकरण को उपभोक्ता व कर्मचारी विरोधी बताते हुए संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक सुधार के लिये गुजरात मॉडल का जो प्रस्ताव ऊर्जा मंत्री को सौंपा गया था, यदि सरकार इसे लागू कराये तो स्वतः सुधार होगा।निजीकरण से केवल उद्योगपतियों को लाभ और उपभोक्ताओं व कर्मचारियों का उत्पीड़न ही होता है। वक्ताओं ने कहा कि उ0प्र0 सरकार द्वारा टोरेन्ट पावर का उदाहरण लेकर जो निजीकरण की पहल की गयी है वह पूरी तरह गलत है।टोरेन्ट पावर का प्रयोग पूरी तरह फेल है। टोरेन्ट पावर के अनुबन्ध के समय वहां पर 1147 करोड़ मूल बिजली बकाया उपभोक्ताओं पर था, उसे ही वसूल कर टोरेन्ट पावर मालामाल हो गया और अब उल्टे प्रचारित कर रहा है कि 5 साल में उसने सुधार के लिये 827 करोड़ खर्च किया। वक्ताओं ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 के तहत बिना नियामक आयोग की अनुमति के कैबिनेट द्वारा लिया गया फैसला पूरी तरह संवैधानिक नहीं है। वक्ताओं ने टोरेन्ट पावर पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि टोरेन्ट पावर का अनुबन्ध समाप्त होने तक सीएजी रिर्पोट के आधार पर 5022 करोड़ का घाटा होगा, ऐसे में उसका उदाहरण लेकर आगे कार्यवाही करना उपभोक्ता विरोधी है।कम्पनीवार बिजली कम्पनियों के कुल लगभग 10323 करोड़ सरकारी विभागों के बकाये पर अभियन्ता संघ के क्षेत्रीय सचिव इं अदालत वर्मा ने कहा कि वास्तव में सरकार यदि फ्रेन्चाइजी देना चाहती है तो वह सरकारी विभागों के बकाये को वसूलने के लिये फ्रेन्चाइजी दे सकती है। प्रांतीय नेता अजय सिंह ने कहा कि मुनाफे के निजीकरण व घाटे के राष्ट्रीयकरण की प्रदेश सरकार की नीति है जो जनहित में नहीं है।अतः इस नीति का पुरजोर विरोध किया जायेगा।सभा को मुख्यतः इं बीएन सिंह, पारस नाथ सिंह, सत्य प्रकाश सिंह, दिनेश यादव, अजय सिंह, राधामोहन प्रजापति, आरके शुक्ला, एनसी त्रिपाठी, शशिकांत श्रीवास्तव, दीपक कुमार सिंह, शाहिद अख्तर ने संबोधित किया।सभा की अध्यक्षता बीडी विश्वकर्मा तथा संचालन सुनील पवार ने किया। इस दौरान सभा में इं आरके गुप्ता, समीर भटनागर, इं सुरेश, इं आरके सिंह, इं अवधेश सिंह, इं आरपी मल्ल, इं वकार अहमद, इं एके राय, इं महेंद्र सिंह, इं बालमुकुंद यादव, इं जीएन मिश्र, इं मनीष तिवारी, इं संजय सिंह, इं विनय दीक्षित, इं नवीन कुमार, इं अभिषेक शर्मा, इं संजय महतो, इं सिद्धार्थ सिंह, इं आसुतोष, इं उमेश सिंह राणा, अम्बुज सिंह,वबीडी तिवारी, लालचंद, पीएन गुप्ता, अजीत साहू, पशुपति नाथ विश्वकर्मा, विजय सिंह, आरके शुक्ला, राजाराम, अम्बुज, मनोज कुमार सिंह, उमाशंकर सरोज, उमेश चंद्र, सहित सैकड़ों अभियंता व बिजली कर्मचारी शामिल थे।
