नई दिल्ली। च से ‘चाकू’ पढ़ने वाले वाले पाकिस्तानी नौनिहालों के दिमाग में हिंसा और खून-खराबा उनके शुरुआती दिनों से ही बैठा दिया जाता है। शुरुआती जीवन में मिले उनको ये संस्कार जीवन भर भारत विरोधी आतंकवाद को सही ठहराने पर विवश करते हैं। पाकिस्तान में दो तरह के आतंकी संगठन सक्रिय है। एक तो जिनका प्रमुख लक्ष्य भारत विरोध है और दूसरे वे जो पाकिस्तान को निशाना बनाते हैं। दोनों तरह के संगठनों के प्रति पाकिस्तानी अलहदा विचार रखते हैं। भारत को घाव देने वाले लश्कर ए तैयबा (एलईटी) जैसों से उनको सहानुभूति है जबकि तहरीके तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के लिए गुस्से का भाव है। इसे समझने के लिए प्यू ग्लोबल एट्टीट्यूड्स सर्वे के आंकड़ों का विश्लेषण मदीहा अफजल ने अपनी नई किताब ‘पाकिस्तान अंडर सीज एक्ट्रीज्म, सोसायटी एंड द स्टेट’ में स्थान दिया। पेश है एक नजर:
