मीडिया हाउस 25 ता. नई दिल्ली – सरकार ने पूंजी बाजार में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 से आयकर अधिनियम (‘अधिनियम’) की धारा 111ए और धारा 112ए में उल्लेखित इक्विटी शेयर/यूनिट के हस्तांतरण से होने वाली आय की विशेष दर पर देय कर को देय वित्त (सं. 2) अधिनियम, 2019 द्वारा बढ़ाए गए अधिभार को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस अधिनियम की धारा 111ए और धारा 112ए में निम्नलिखित पूंजीगत परिसंपत्तियों का उल्लेख किया गया है:
- एक कंपनी में इक्विटी शेयर;
- इक्विटी ओरिएंटेड फंड की इकाई; तथा
- एक बिजनेस ट्रस्ट की इकाई
डेरिवेटिव (भविष्य और विकल्प) को पूंजीगत संपत्ति के रूप में नहीं माना जाता है, इनके हस्तांतरण से होने वाली आय को व्यापार आय के तौर पर माना जाता है और यह कर की सामान्य दर के रूप में देय है। हालांकि, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफपीआई) के मामले में, डेरिवेटिव को पूंजीगत संपत्ति के रूप में माना जाता है और इनके हस्तांतरण से होने वाले लाभ को पूंजीगत लाभ के रूप में देखा जाता है इसलिए अधिनियम की धारा 115एडी के प्रावधानों के अनुसार यह कर की एक विशेष दर के अधीन है। इसलिए, यह भी तय किया गया है कि एफपीआई द्वारा डेरिवेटिव (भविष्य और विकल्प) के हस्तांतरण से होने वाले लाभ पर देय कर, जो अधिनियम की धारा 115एडी के अंतर्गत कर की विशेष दर के लिए उत्तरदायी हैं, इस पर भी बढ़ाए गए अधिभार के लाभ से छूट दी जाएगी। इसलिए, बढ़ाए गये अधिभार को एक कंपनी अथवा एक इक्विटी ओरिएंटेड फंड/बिजनेस ट्रस्ट की एक इक्विटी में शेयर के हस्तांतरण से होने वाले दीर्घकालिक और अल्पकालिक पूंजीगत लाभों पर घरेलू और विदेशी निवेशकों के द्वारा विशेष मूल्य के लिए देय कर को भी वापस लिया जा सकता है। हालांकि एफपीआई के अलावा एक कंपनी को डेरिवेटिव के हस्तांतरण से होने वाली व्यावसायिक आय के लिए सामान्य दर के लिए दिए जाने वाले कर पर बढ़ा हुआ अधिभार देय होगा।