मीडिया हाउस 23ता.नई दिल्ली- कोरोना19 की महामारी के प्रसार को रोकने के प्रयास में भारत सहित दुनिया भर की अधिकांश सरकारों ने शिक्षण संस्थानों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। पर महत्वपूर्ण सवाल यह हैं कि आखिर ये शिक्षण संस्थान कब तक बंद रहेंगे ? और इस बन्द के दौरान उनकी शिक्षण व्यवस्था के सही तरीके कौन से होंगे? अमेरिका में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पूरे एक एकेडमिक सेशन के लिए सरकार ने स्कूल कॉलेज बंद करने का आदेश दिया है। ये फैसला वॉशिंगटन डीसी समेत देश के कम से कम 37 राज्यों में लागू किया गया है। अमेरिका ने संक्रमण पर काबू पाने के लिए ये फैसला लिया है। अब सवाल ये है कि क्या भारत में भी गृह शिक्षा (ऑनलाइन) के हालात बन सकते हैं।
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकांश गर्वनर ने ये आदेश दिया है कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में राज्यव्यापी स्कूल बंदी मददगार साबित होगी। बता दें कि 37 राज्यों में ये नियम लागू करने की सिफारिश की गई है। अमेरिका की संघीय सरकार ने भी अमेरिका को विभिन्न चरणों में फिर से खोलने के लिए नये गाइडलाइन जारी किए हैं लेकिन स्कूल के खुलने पर ये प्रतिबंध जारी रहेगा। कैलिफोर्निया, इडाहो, साउथ डकोटा और टेनेसी ने कहा है कि छात्रों को दूरस्थ शिक्षा मॉडल के जरिये पढ़ाया जाएगा। इसके लिए ऑनलाइन माध्यमों से भी पढ़ाया जाएगा। अभी भी वहां ऑनलाइन माध्यम से ही पढ़ाई कराई जा रही है। बोर्डिंग स्कूल भी लगभग ख़ाली हो चुके हैं मात्र 14% छात्र ही किन्ही मज़बूरियों के चलते वँहा रह रहे हैं। कोरोना के कारण बड़े निजी कॉलेज बहुत मुश्किल में हैं, छोटे कॉलेज पहले से ही नुकसान में थे। अब, महामारी के चलते उनके अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है।
दुनिया के 90 % विद्यार्थियों की शिक्षा पर कोरोना का दुष्प्रभाव
ये राष्ट्रव्यापी बंद दुनिया की 90% छात्र की स्कूल व कॉलेज में जाकर शिक्षा हासिल करने पर असर डाल रहे हैं।
कई देशों ने लाखों अतिरिक्त शिक्षार्थियों को प्रभावित करने वाले स्थानीयकृत ऑनलाइन कार्यान्वयन को लागू किया है। यूनेस्को की निगरानी के अनुसार, 191 देशों ने देशव्यापी क्लोजर लागू किया है और 5 ने स्थानीय क्लोजर लागू किया है, जिससे दुनिया की लगभग 98.4 प्रतिशत जनसंख्या प्रभावित हुई है। पिछले माह 23 मार्च 2020 को, कैम्ब्रिज इंटरनेशनल एग्जामिनेशन (CIE) ने एक बयान जारी कर कैम्ब्रिज IGCSE, कैम्ब्रिज O लेवल, कैम्ब्रिज इंटरनेशनल AS & A लेवल, कैम्ब्रिज AICE डिप्लोमा और कैम्ब्रिज प्री-यू परीक्षाओं को मई / जून 2020 सीरीज़ के लिए रद्द करने की घोषणा कर चुका हैं। यँहा तक कि अंतर्राष्ट्रीय बैकलौरीएट परीक्षा भी रद्द कर दी गई है।
कोरोना में लापरवाही बरतने व लॉक डाउन खोलने से ख़तरा ख़तरनाक हो सकता हैं
कोरोना वायरस दुनियाभर में खतरनाक रूप लेता जा रहा है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक बार फिर दुनिया को चेतावनी दी है। WHO ने आगाह किया है कि लॉक डाउन खोलने या लापरवाही रखने की कोई गलती मत करना, ये वायरस हमारे साथ लंबे समय तक रहने वाला है। डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस ने कहा, “कई देशों में महामारी की अभी शुरुआत हुई है जहां से महामारी की शुरुआत हुई थी वहां दोबारा मामले दिखने लगे हैं। कोई गलती न करें, ये वायरस हमारे साथ लंबे समय तक रहने वाला है।” इसी तर्ज पर अमेरिका में माना जा रहा है कि, इस साल के अंत में कोरोना वायरस का दूसरा दौर शुरू होगा जो वर्तमान कोविड-19 संकट से भी भयंकर होगा। एक शीर्ष अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारी ने इस खतरे के प्रति आगाह किया है। कोरोना वायरस से अब तक अमेरिका में साढ़े आठ लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं जिनमे से लगभग 49,000 लोगों की मौत हो चुकी है।
अगला समय भी काफी कठिन होगा
रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र के निदेशक रॉबर्ट रेडफील्ड ने कहा, “साल के अंत में अमेरिका में एक ही समय में फ्लू महामारी और कोरोना वायरस महामारी होगी। वर्तमान की बात करें तो अगर कोरोना वायरस के प्रकोप की पहली लहर और फ्लू का सीजन एक ही समय पर होता, तो यह वास्तव में स्वास्थ्य क्षमता के मामले में अत्यंत कठिन समय हो सकता था।”
भारत में भी ऑन लाइन पढ़ाई को महत्व देना पड़ेगा।
कोरोना से बच्चो को बचाने हेतु भारत सरकार को इसके लिए एक रूपरेखा तय करनी चाहिए ताकि बच्चों की एकेडमिक तैयारी के साथ साथ अभिभावकों, स्कूल और टीचर्स को भी किसी तरह का नुकसान न हो। वैसे भी बच्चे शोशल डिस्टेंसिग का पालन नही कर पाएंगे,अतः आगामी समय मे लिए बंद किए जाने वाले विद्यालयों व कॉलेज अपने विद्यार्थियों और उनके परिवार तथा टीचर्स के साथ मिलकर एक घरेलू शिक्षण कार्यक्रम बनाने की कोशिश कर सकते हैं। जिससे सब सुरक्षित व स्वस्थ्य रहेंगे तथा उत्कृष्ट शिक्षा भी विद्यार्थियों को प्राप्त हो सकेगी।