मीडिया हाउस न्यूज ऐजेन्सी 14ता.नई दिल्ली- दिल्ली सहित एनसीआर में 18 जून से लॉकडाउन किए जाने की संभावना है। अबकी बार का लॉकडाउन पूरी तरह से सील करके किया जाएगा एवं लॉक डाउन का पालन न करने हेतु, सख्त कदम उठाए जाएंगे, ऐसी संभावना प्रकट की जा रही है। दिल्ली तथा उसके आसपास बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों के कारण दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के हाथ पांव फूल गए हैं, उन्हें कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा।
हर विभाग अपनी अपनी डफली और अपना अपना राग अलाप रहें है। किसी को कुछ नहीं पता करना क्या है? जो विदेशों में हो रहा है, उसी लाइन पर चलकर कोरोनावायरस पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी चक्कर में देश में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है, इसे रोकने के लिए कोई कारगर उपाय सामने नहीं आ रहा है। बड़े-बड़े स्वास्थ्य संस्थान इधर- उधर की बातें करके कोरोना जैसी महामारी पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन अभी तक इस संबंध में जो भी उपाय किए गए हैं वह सब ढाक के तीन पात ही साबित हो रहे हैं। सबसे अजीब बात है जब देश में लगभग 500 कोरोना वायरस के मरीज थे, तब जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन लगाकर लोगों को घरों में भूखे प्यासे रहने के लिए बाध्य किया गया। डंडे के दम पर उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया गया, लेकिन भूखा मरता क्या न करता। वह अपनी भूख मिटाने के लिए नियमों को तोड़कर बाहर आया और कोरोनावायरस जैसी महामारी का शिकार हो गया। जब कोरोनावायरस के मरीजों की संख्या मे बेतहाशा वृद्धि हो गई ,तब लॉकडाउन खोल दिया गया, बाजार खुलवा दिए गए, इसकी परिणति यह हुई कि अब थोक भाव में कोरोना के मरीज सामने आने लगे। कोई रणनीति नहीं, जिसके मन में जो आ रहा है वह उसे ही नियम कानून बनाकर लोगों पर थोप रहा है। जो लोग सत्ता के घोड़े पर सवार हैं,जिन्होने अपने आप को ज्ञानी और ध्यानी सब कुछ मान लिया, वह अपने इशारे पर सारे देश को नचा रहे हैं, इन्हीं ऊल- जलूल अज्ञानता के चलते आज पूरा भारत का जनमानस संकट में है। बहुत तेजी से कोरोना वायरस गांव- गांव और कस्बों- कस्बों में फैल गया है, तीन लाख से ऊपर लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं और हजारों लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं।अस्पतालों में बेड नहीं हैं, दवा इसकी कोई है नहीं, यहां तक कि शमशान घाट और कब्रिस्तान में भी डेड बॉडिओं को विदेशियों द्वारा बनाए गये नियमो के आधार पर सुपुर्द ए खाक किया जा रहा है। हमारे भारतीय 16 संस्कार मे से, अंतिम संस्कार की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सरकारी गाड़ियों में मानव डेड बॉडियों को जानवरों की तरह ढोया जा रहा है। जिन लोगों को हिंदूवादी सरकार का सपना दिखाया था, उन लोगों ने कभी नहीं सोचा होगा कि ऐसा हिंदू निजाम आएगा। जनता को कोरोनावायरस के आगमन के लिए दीप जलवाया गया, थाली बजवायी गई, मोबाइल टॉर्च की रोशनी जलवाई गई। वैसे हिंदुस्तान को धर्मवीरों का देश माना जाता है, लेकिन किसी ने भी यह नहीं सोचा,हम यह क्या कर रहे हैं, हमारे यहां देवताओं का आवाहन दीप जलाकर, घंटा बजाकर, शंखनाद कर किया जाता है। यही परंपरा भूत पिशाच और मसान के लिए भी है ,क्या हम बहुत बड़ी गलती कर बैठे जो झांसे में आकर कोरोनावायरस का आवाहन कर दिया। जिस जनता ने गली गली गांव – गांव और कस्बे-कस्बे में यह आवाहन किया था, अब वहीं कोरोनावायरस आ गया, जनता को ही भुगतना पड़ेगा। जिन्होंने आवाहन कराया वह तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम संदेश दे रहे हैं, मरता है कोई तो मर जाए, उन्हें क्या लेना देना। वे तो अपने आप को सुरक्षित रख रहे हैं। कभी जनता के बीच में जाने का प्रयास नहीं कर रहे। इतना ही नहीं जिनके परिवार के लोग कोरोनावायरस के कारण मौत के मुंह में समा गए, उनके लिए कोई दो शब्द सहानुभूति का बोलने वाला भी नहीं है, पड़ोसी और रिश्तेदार सब कोरोनावायरस के भय के कारण दूर से ही टेलीफोन पर संवेदना प्रकट करके अपना पीछा छुड़ा रहे हैं। जब मनुष्य पर विपत्ति आई तो ना सरकार ना समाज ना परिवार ना इष्ट मित्र कोई काम नहीं आया सब ने मुंह चुराया।
सत्यम श्रीवास्तव, प्रधान संपादक
TNI न्यूज़ एजेंसी, mail-tni.editor@gmail.com