■एचडीएफसी बैंक में खाता लाभुक के नाम पर पर पासबुक किसी और के पास
■ समान खरिदने के नाम पर लाभुको के खातों से निकाले जा रहे है लाखो रूपये
■ लाभुको को अभी तक नही मिल सका किसी तरह का लाभ
■ पीयर लीडर सहित कई युवतियों को नही मिल सका काम के बदले एक भी पैसा
मीडिया हाउस न्यूज एजेंसी 04ता.बोकारो – बोकारो जिले में तेजस्वनी योजना पर गरीब किशोरियों व युवतियों को लाभ देने के नाम पर खानापूर्ति और लाभ के नाम पर लाखों रूपये डकारे जा रहे है सरकार द्वारा चलायी गयी यह योजना पर युवतियों और किशोरियों को आगे पढ़ने और बढ़ने के अवसर प्रदान करने को लेकर संस्था को यह कार्य दिया गया था जिससे सर्वे कर वैसे जरूरतमंद लाभुको का चयन करना था जिससे उन्हे लाभ दिया जा सके. पर बोकारो जिले के चास के लाभुको के नाम पर लाखों रूपये सीसीए और कुछ अधिकारी की मिलीभगत से डकारे जा रहे है। आपको बतातें चले की बोकारो जिले में तेजस्वनी योजना के तहत् सीसीए ,वाईएफ का चयन किया गया और वाईएफ के द्वारा क्लब बनाया गया जिसमें से एक क्लब में 20 जरूरतमंद युवतियों को जोडा गया था और उसमें से एक पीयर लीडर चुनी जाती है और पीयर लीडर के निचे 20 या 40 किशोरी युवतियों को जोडा गया और उनका खाता एचडीएफसी बैंक चास में खोला गया पर उन्हे पासबुक ना देकर सीसीए ने अपने पास जब्त कर लिया लोगों के पुछे जाने पर कहा गया की कुछ काम है करवा कर लौटा दिया जायेगा.पर उन्हे दोबारा पासबुक नही दिया गया। यहां तक की एकाउंट में इन लोगों ने अपना ही मोबाइल नम्बर दिया जिससे किसी को भी खाता में क्या आया इनकी जानकारी इन्हे ना मिल सके। एक क्लब में 20 हजार का फण्ड आया और ऐसे कई क्लब बनाये गये है यानी की लाखो रूपये का फण्ड आया.और फण्ड की निकासी के लिए ये लोग लाभुको को बुला कर या उनके घर पर जाकर उन्हे यह बताया जा रह है की पैसा निकाल कर देना होगा वह पैसा का समान खरीदा जायेगा यह कह कर निकासी की जा रही है। पर वैसे लाभुको को कोविड -19 महामारी में अभी तक लेकर एक मास्क उन्हे नही मिल सका है तो और लाभ की कितनी उम्मीद की जा सकती है की इन्हे कितना लाभ मिल पायेगा.कहा जाये तो कहावत सही चरितार्थ होती है की ढाक के तीन पात, कमाये धोती वाला खाये टोपी वाला… आपको बतातें चले की सरकार द्वारा तेजस्वनी योजना में 14 से 24 वर्ष तक की जिन किशोरियों और युवतियों ने किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ दी है, उन्हें आगे पढ़ने और बढ़ने के अवसर मिलेंगे. वह भी अपने आसपास ही. इसके लिए महिला, बाल विकास व सामाजिक सुरक्षा (समाज कल्याण) वित्तीय वर्ष 2017-18 से तेजस्विनी योजना का संचालन (पायलट) कर रहा है. 17 जिलों की करीब 10 लाख किशोरियों व युवतियों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था। पहले चरण में दुमका व रामगढ़ जिले के बाद तीन जुलाई को अन्य 15 जिलों में इसे लांच किया गया था. होटल कैपिटोल हिल में आयोजित कार्यक्रम में समाज कल्याण मंत्री डॉ लुइस मरांडी ने विभागीय अधिकारियों, जिला समाज कल्याण पदाधिकारियों तथा योजना की कार्यान्वयन एजेंसियों से कहा था कि वह इस योजना काे संचालित करें. विभागीय सचिव अमिताभ कौशल ने भी कहा कि इस योजना की क्लोज मॉनिटरिंग करनी होगी. देखना होगा कि इसके संचालन के दौरान व बाद में बालिका शिक्षा को कितना बढ़ावा मिला है. किशोरियों व युवतियों के पलायन पर इसका क्या प्रभाव पड़ा तथा महिलाओ के पोषण स्तर में क्या बदलाव आया.इन सब पर नजर रखकर ही हम इस योजना के उद्देश्य की पूर्ति कर सकेंगे.अब यह सवाल उठता है की जब लाभुको को यहा तक पता नही की सरकार क्या दे रही है ये तो बस संचालित हो रही है लाभ तो किसी और की हो रही है। जल्द ही सरकार द्वारा उचित जांच कर कारवाई नही की गयी तो ये योजना का करोड़ों रूपये डकार लिये जायेंगे और लाभुको को लाभ के नाम पर जिरो। बतातें चले की पांच वर्षों तक यह योजना संचालन की कुल लागत : 540 करोड़ रुपये (विश्व बैंक से ऋण 378 करोड़ तथा राज्य का अंशदान 162 करोड़)है।
इन जिलों में योजना : रामगढ़ व दुमका (पहले से संचालित)नये जिले : खूंटी, चतरा, देवघर, बोकारो, धनबाद, पलामू, गोड्डा, लातेहार, कोडरमा, जामताड़ा, लोहरदगा, सरायकेला-खरसावां, सिमडेगा, पाकुड़ व पूर्वी सिंहभूम.
■ योजना को लेकर मीडिया हाउस की टीम ने गुजरात कालोनी, इस्पात कालोनी ,रामनगर कालोनी सहित चास एरिया में योजना से जुडी किशोरियों वं युवतियों से बात की गयी जिस पर सभी ने बताया की अभी तक किसी प्रकार का लाभ नही मिल सका है और योजना का संचालन रिजनल ऑफिस काॅपरेटिव कालोनी वं जिला ऑफिस जोधाडीह मोंड में है और जब भी अधिकारियों से बात करने या उनका नंबर मांगा जाता है तो सीसीए कहती है की किसी को बात करने का एलाउ नही है। मीटिंग में भी वो अपनी बात नही रख सकती है बोलने से पहले ही चुप करा कर के बैठा दिया जाता है। साफ कहा जाये तो काम करे कोई और मलाई खाये कोई और…..