अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस-महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया-राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

मीडिया हाउस नई दिल्ली-भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) द्वारा विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित “नारी शक्ति से विकसित भारत” विषय पर राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन #शीबिल्डसभारत का आयोजन किया। इसका उद्घाटन भारत की माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, विधि एवं न्याय तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अर्जुन राम मेघवाल, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति में किया।
उद्घाटन सत्र की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई, उसके बाद औपचारिक रूप से दीप प्रज्वलित किया गया, जिसके बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का अभिनंदन किया। महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास पर एक लघु फिल्म दिखाई गई, जिसमें भारत की प्रगति को आकार देने वाली महिलाओं की प्रेरक कहानियाँ दिखाई गईं। इसके बाद विधायी विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘संविधान सभा की महिला सदस्यों का जीवन और योगदान’ का विमोचन किया गया।
सांस्कृतिक आयाम जोड़ते हुए, संगीत नाटक अकादमी द्वारा एक विशेष प्रदर्शन ने जीवन के विभिन्न कार्यों में महिलाओं के विविध और समृद्ध योगदान का जश्न मनाया। सत्र का समापन भारत के राष्ट्रपति के मुख्य भाषण के साथ हुआ, जिसमें महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास और समावेशिता के महत्व पर जोर दिया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जो नारी शक्ति की भावना को एक शक्तिशाली आदरंजलि थी।
सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने देश के भविष्य को आकार देने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “विकसित भारत तभी संभव है जब महिलाएं बिना किसी पूर्वाग्रह या बाधा के कार्यबल में भाग ले सकें। यह धारणा कि महिलाएं काम से ज़्यादा परिवार को प्राथमिकता देंगी, को चुनौती दी जानी चाहिए- क्योंकि भावी पीढ़ियों का पालन-पोषण करना एक साझा सामाजिक जिम्मेदारी है। सच्ची प्रगति एक ऐसा माहौल बनाने में निहित है जहाँ हर लड़की बिना किसी डर या प्रतिबंध के अपने सपनों को पूरा कर सके। महिलाओं को सशक्त बनाना सिर्फ़ निष्पक्षता के लिए नहीं ; बल्कि यह एक मज़बूत, अधिक विकसित राष्ट्र के निर्माण के लिए है।”
इस कार्यक्रम में देश भर की महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिनमें सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों और दिल्ली पुलिस की महिला अधिकारी, साथ ही माई भारत स्वयंसेवक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, स्वयं सहायता समूह सदस्य और स्वच्छता सैनिक शामिल थे। महिला सांसद और विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की महिला अधिकारी भी मौजूद थीं, जिससे इस कार्यक्रम का महत्व और बढ़ गया।
इसके अलावा, इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। इनमें विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक सुश्री अन्ना बिजर्डे, विश्व बैंक के दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष मार्टिन रेजर, विश्व बैंक के भारत के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे, आईएफसी के दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय निदेशक इमाद एन. फाखौरी और आईएफसी के भारत और मालदीव के कंट्री हेड वेंडी वर्नर शामिल थे। यूनिसेफ, यूएन महिला, यूएनडीपी और यूएनएफपीए के प्रतिनिधि भी मौजूद थे, जो इस कार्यक्रम में वैश्विक भागीदारी को रेखांकित करता है।
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केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने लैंगिक समानता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, “आज हमारी बेटियाँ आसमान में ऊंची उड़ान भर रही हैं, अपनी ऊर्जा और शक्ति से जल और थल को जीत रही हैं, भारतीय तिरंगे का सम्मान बरकरार रख रही हैं और उम्मीद का झंडा बुलंद कर रही हैं। हम हर क्षेत्र में उनकी शक्ति और क्षमता देख रहे हैं। इस मंच से और पूरे देश में, जहाँ भी मेरी नज़र जाती है, मुझे उज्ज्वला, आशा, सुकन्या, समृद्धि, वंदना, सुरक्षा, लखपति और ड्रोन दीदी की झलक दिखाई देती है।
महिलाओं को शिक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दें ताकि वे समग्र विकास प्राप्त कर सकें। महिला सशक्तिकरण केवल सरकारी नीतियों और योजनाओं के माध्यम से हासिल नहीं किया जा सकता है। यह एक सामाजिक जिम्मेदारी है जिसे हमें व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से पूरा करना चाहिए।
केंद्रीय विधि एवं न्याय तथा संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लैंगिक समानता का समर्थन करने वाले कानूनी ढाँचों के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा, “संविधान ने भारतीय महिलाओं को स्वतंत्रता के समय से ही मतदान का अधिकार दिया है। हमारे कानूनी और नीतिगत सुधारों का उद्देश्य एक अधिक समावेशी समाज का निर्माण करना है जहाँ महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जाती है और उनकी आवाज़ को बुलंद किया जाता है।”
इस कार्यक्रम में एक उच्च स्तरीय पूर्ण सत्र आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिष्ठित केंद्रीय मंत्रियों और नेताओं ने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास और वैश्विक सबक में भारत की प्रगति पर विचार-विमर्श किया। इसके बाद तीन तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिसमें एसटीईएम, व्यवसाय, खेल, मीडिया और शासन से जुड़ी जानी-मानी महिला नेता एक मंच पर आईं। ये तकनीकी सत्र एक साथ आयोजित किए गए और इनमें पैनलिस्ट और उपस्थित लोगों दोनों की सक्रिय भागीदारी देखी गई।
सत्र में निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया:
- ट्रेलब्लेज़र्स एंड ल्यूमिनरीज़ – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की 50वीं वर्षगांठ पर चिंतन और विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान का जश्न मनाना।
इस सत्र का संचालन न्यूज़ एंकर गार्गी रावत ने किया। इसका उद्घाटन विश्व बैंक के दक्षिण एशिया के उपाध्यक्ष श्री मार्टिन रेजर ने किया और इसमें पैनलिस्टों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया- संगीता रेड्डी, प्रबंध निदेशक, अपोलो हॉस्पिटल्स; सुश्री टेसी थॉमस, वैज्ञानिक, भारत; सुश्री संध्या पुरेचा, अध्यक्ष संगीत नाटक अकादमी और अध्यक्ष, डब्ल्यू20-जी20 भारत; डॉ. नीरजा भटला, पूर्व विभागाध्यक्ष, प्रसूति एवं स्त्री रोग, एम्स, दिल्ली।
- महिला शक्ति का लाभ उठाना – वित्तीय समावेशन और उद्यमिता में सफलताओं की खोज करना।
इस सत्र का संचालन सीएनबीसी-टीवी18 के परीक्षित लूथरा ने किया तथा भारत में कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे ने उद्घाटन भाषण दिया। सम्मानित अतिथियों के पैनल में शामिल थे- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की सीएमडी सुश्री ए. मनीम खलाई; इंडिया अल्टरनेटिव्स की संस्थापक और सीईओ सुश्री शिवानी भसीन; फिक्की, भारत की महानिदेशक सुश्री ज्योति विज; विंपे और प्राइवेट इक्विटी की संस्थापक सुश्री नूपुर गर्ग। लिंग और वित्तीय समावेशन के अंतर्संबंध पर एक सार्थक चर्चा के बाद, आईएफसी के दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय निदेशक श्री इमाद फखौरी ने अपने भाषण के साथ सत्र का समापन किया।
- नेतृत्व में महिलाएँ – पंचायत से संसद तक – राजनीतिक नेतृत्व में लैंगिक समानता में तेजी लाने के लिए नीतिगत रूपरेखा पर चर्चा।
इस सत्र का संचालन डीडी न्यूज की सुश्री सकल भट्ट ने किया और इसमें केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर, भारत की लोकसभा सदस्य सुश्री बांसुरी स्वराज, दिल्ली की विधायक सुश्री शिखा रॉय, हॉकी सरपंच सुश्री नीरू यादव, संयुक्त राष्ट्र महिला भारत की उप प्रतिनिधि सुश्री कांता सिंह ने सक्रिय भागीदारी की।
राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने वित्तीय समावेशन के लिए सरकार की पहलों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “राष्ट्रीय प्रगति के लिए अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी आवश्यक है। वित्तीय साक्षरता और उद्यमिता कार्यक्रमों के माध्यम से, हम उनकी आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित कर रहे हैं। एक महिला की असली ताकत एक माँ की भावना में निहित है। अपने दिल में साहस और अपने विकल्पों में समझदारी के साथ, उसे डर को दूर करना चाहिए, आत्मविश्वास को अपनाना चाहिए और अपने सपनों को हासिल करना चाहिए!”
एक अद्वितीय डिजिटल मीडिया और इंटरैक्टिव जोन ने प्रतिभागियों को समकालीन चर्चाओं, मल्टीमीडिया प्रदर्शनों और कहानी कहने की पहल का अनुभव करने के लिए एक आकर्षक मंच प्रदान किया, जिसमें प्रगतिशील भारत के निर्माण में महिलाओं के योगदान को प्रदर्शित किया गया।
कार्यवाही का दूरदर्शन, वेबकास्ट लिंक और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर सीधा प्रसारण किया गया, जिससे इसकी व्यापक पहुंच और सहभागिता सुनिश्चित हुई।
भारत सरकार एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है जहाँ महिलाओं को नेतृत्व करने, नवाचार करने और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने का अधिकार दिया जाता है। जैसे-जैसे राष्ट्र आगे बढ़ता है, नारी शक्ति आत्मनिर्भर विकसित भारत की आधारशिला बनी रहती है।