गुप्तकाशी की संज्ञा से वैदिक ऋचाओं में वर्णित की गई है-प्रभारी मंत्री

कृपाशंकर पांडेय, मीडिया हाउस चोपन/सोनभद्र – भगिनी सोनांचल में अवस्थित देव दुर्लभ स्थलों का भ्रमण करते हुए जनमानस को प्रकृति,पर्यावरण ,पर्यटन ,धर्म सृष्टिसंस्कृति रक्षण का संकल्प दिलाने के लिए गुप्त काशी दर्शन यात्रा अपने नवें आयोजन मे आज मंगलवार को प्रदेश के राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दयाशंकर मिश्र दयालु व विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष विद्या शंकर पांडेय के सानिध्य अभिसिंचन से शुरू होकर 18 अगस्त 2024 को बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन पुजन उपरांत पूर्णता को प्राप्त होगी। इस यात्रा के मुख्य उद्देश्य को बताते हुए संचालन कर रहे ट्रस्ट के ट्रस्टी रवि प्रकाश चौबे ने कहां की प्रकृति विनष्ट करने से जनमानस को रोकना जिससे निरंतर के साथ नंगी हो रही सोनांचल की विंध्य पर्वत मूल की पहाड़ियां पुनः हरियाली की चादर से ढक सकें और इस पवित्र भूभाग पर लोगों को गुमराह कर सत्य सनातन परंपरा के मौलिक बिंदुओं से दूर करते हुए पैशाचिक संस्कृति संस्कार से विभूषित विधर्म पोषक विषबेल कुचलने के साथ क्षिति,जल,पावक ,गगन ,समीरा पंच तत्व यह रचित शरीरा में शुमार पांच तत्वों के रक्षण के प्रति जनमानस में जागृति लाने का प्रयास निरंतर जारी हो।

नमस्ते ब्रह्मपुत्राय शोणभद्रायते नमो नमः । ....
यह कहानी है ब्रह्माजी के पुत्रों में एक शोण नद की ,उस जनपद की जिसके बारे में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यहां आने के बाद कहा था कि “यदि आपने सोनभद्र नहीं देखा तो भारत नहीं देखा “जिसकी रमणीयता के कारण देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसे स्विट्जरलैंड ऑफ इंडिया” की संज्ञा दी थी।

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वह जनपद जो प्रागैतिहासिक काल से अर्थात जब मनुष्य गुफा में रहता था तब से लेकर आज तक इंसानों की रहने की पसंदीदा जगह रहा आज भारत का एनर्जी कैपिटल है पौराणिक काल में आग्नेय पुराण के 34वें श्लोक में जिसकी चर्चा की गई है जो कण्व ऋषि समेत अनगिनित ऋषियों मुनियों की तपस्थली होने का दावा जलयुग ,हिमयुग , के साथ साथ अभ्युदय कालीन पौराणिक मंदिरों एवं शिव शक्ति की साधना का अद्वितीय तीर्थ स्थानो से विभूषित भू-भाग रहा है जिसके साक्ष्य अद्यतन पद्धतियों के परीक्षणों में चीख़-पुकार मचाते अखबार की सुर्ख़ियों तक रह जा रहे हैं।

इस मौके पर अपने संबोधन में प्रभारी मंत्री दयालू ने कहा कि उपरोक्त तथ्यों को जानने के बाद यह ज्ञात हो रहा है कि इसी वजह से गुप्तकाशी की संज्ञा से वैदिक ऋचाओं में वर्णित की गई है इस गुप्तकाशी के ऐतिहासिक पौराणिक और प्राकृतिक वैभव से विश्व को परिचित कराने का जिम्मा उठाया है गुप्तकाशी सेवा ट्रस्ट ने यहां मौजूद गुरु गोरखनाथ के गुरु शिव के जल स्वरूप बाबा मत्स्येन्द्रनाथ की तपस्थली रहे इस अद्भुत , अलौकिक प्राकृतिक सौंदर्य का दर्शन कराने वाली यात्रा के पथ प्रदर्शक रवि प्रकाश चौबे इस यात्रा को बिना रुके बिना थके विगत दशक भर से लगातार जारी रखे हुए हैं और यह यात्रा निरंतर के साथ जारी रहे इसके लिए अब हम भी संकल्प के साथ जुटे रहेंगे इसके साथ ही यात्रा के आयोजन में आ रही बढ़ाओ के लिए सरकार से प्रस्तावित कर उनका भी निवारण हर हाल में कराया जाएगा और देव दुर्लभ प्रकृति सृष्टि संस्कृति के धरोहर आध्यात्मिक पौराणिक प्राचीन स्थलों के विकास के लिए शासन स्तर से पैकेज बनाकर इस पर कार्य किया जाएगा जिससे मानवता के विकास से जुड़े इन आधारभूत स्थलों का सहज सरोकार लोगों को हो सके। इस यात्रा के पथ प्रदर्शक में शामिल संत स्वामी मौन ब्रती योगी प्रयाग दास गिरि महाराज के अलावा शामिल होने वाले साधु संतों के साथ सामान्य श्रद्धालुओं का मानना है की है यह यात्रा त्रिविध ताप नाशी हैऔर सर्व रौग हर यह यात्रा गुप्त काशी है।

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इस मौके पर ईश्वर अवतारी संगठन विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष विद्या शंकर पांडेय ने कहा कि ढाई सौ करोड़ वर्ष पुराने जीवाश्म बताते हैं की गुप्तकाशी की पावन धरती सृष्टि के सृजन के साथ साथ मानव उत्पति की साक्षी रही है इसकी गवाही तो संपूर्ण गुप्तकाशी के गुफाओं में फैले भित्ति चित्र मानव सभ्यता के विकास की कहानी आज भी कहते हैं ।

राजा दुष्यंत और शकुंतला की प्रेम के साक्षी रही कण्वकोट भूमि गुप्तकाशी जहां आधुनिक नाट्य अंकन में ही विजयगढ़ की राजकुमारी चंद्रकांता की भी कहानी भी गुंजती है। तमाम दुर्ग किलों से भरे हुए गुप्त काशी की रमणीयता और सुंदरता को सजाने वाली गुप्तकाशी यात्रा के
संपादकीय प्रमुख और गुप्त काशी सेवा ट्रस्ट के संस्थापक सदस्य में शुमार डी के राजू जी बताते हैं कि
1.प्रकृति 2, पर्यावरण 3. पर्यटन 4, धर्म 5, संस्कृति रक्षण व संवर्धन के पंच संकल्पों के साथ आयोजित होने वाली यह पांच दिवसीय यात्रा गुप्तकाशी के 51 सिद्ध/ पौराणिक तीर्थ स्थलों से 751 किलोमीटर होते हुए गुजरेगी और हजारों-हजार मनोहर झलकियों का सरोकार कराएगी और धर्मांतरित हो रहे जनजातीय बंधुओ के बीच भारी संख्या में धर्माचार्य व संतो का सानिध्य करते हुए हिंदू बचाओ हिंदू बढ़ाओ और जो भटके हैं उन्हें सही राह दिखाओ के आचरण को धरातल पर उतारने का मार्ग प्रशस्त करेगी जिससे सुषुप्त हिंदू समाज जागृत हो और हिंदी हिंदू हिंदुस्तान वंदे मातरम जय श्री राम की अवधारणा भव्य भारत निर्माण के कार्य को सुगम बना सके। यात्रा के शुभारंभ से पूर्व मंत्री ने चंद्रमा ऋषि की तपोस्थली पर स्थित सोमनाथ महादेव मंदिर परिसर में महादेव का विधि विधान से पूजन करने के उपरांत यहां लगी गुप्तकाशी के पवित्र स्थलों की चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद यहां औषधि पौधों का रोपण भी किया गया .।

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इनमें वलसाड गुजरात से पधारे पूज्य संत समर्थ रामदास जी महाराज केदारनाथ धाम से महंत मणि दास जी महाराज वृंदावन से संत प्रेम निधि दास महाराज श्री धाम अयोध्या जी से स्वामी श्विजय नारायण आचार्य जी महाराज देवरहा बाबा आश्रम देवरिया से अरुण जी महाराज पूज्य संत मोनी लोग प्रज्ञागिरी जी महाराज स्वामी दयानंद जी महाराज पंचमुखी महादेव के महंत लक्ष्मण दास जी सहित गुप्तकाशी के विविध स्थलों से आए पूज्य संतों के सानिध्य में यात्रा अपने पांच दिवसीय भ्रमण के लिए निकल चुकी है ।

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