चनपटिया में फंक्शनल हुआ डाकघर निर्यात (एक्सपोर्ट) केन्द्र, जिले के लिए बड़ी उपलब्धि

जिले को प्रोडक्शन हब बनाने के प्रयास को मिला एक नया आयाम

मीडिया हाउस न्यूज़ एजेंसी 28ता.बेतिया। एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के उदेश्य से भारतीय डाक विभाग द्वारा बिहार के तीन जिलों में डाकघर निर्यात केन्द्र को फंक्शनल कराया गया है, जिसमें पश्चिम चम्पारण जिले का भी नाम शामिल है। जिला प्रशासन की पहल से चनपटिया में डाकघर निर्यात केन्द्र पूरी तरह फंक्शनल हो चुका है। जिलेवासी सहित निकटवर्ती जिलों के व्यापारी, उद्यमी अपना प्रोडक्ट समूचे विश्व में कहीं भी काफी कम राशि में आसानी से भेज सकेंगे। व्यापारियों, उद्यमियों को कस्टम क्लियरेंस के लिए इधर-उधर भटकना भी नहीं पड़ेगा। कस्टम क्लियरेंस से लेकर पैकेजिंग, पिकअप तक की सुविधा भारतीय डाक विभाग द्वारा डाक निर्यात केन्द्र के जरिए मुहैया करायी जायेगी। इसी परिप्रेक्ष्य में आज समाहरणालय सभाकक्ष में जिलाधिकारी कुंदन कुमार की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुयी। इस बैठक में भारतीय डाक विभाग के वरीय डाक अधीक्षक, मुजफ्फरपुर सुबोध प्रताप सिंह, डाक अधीक्षक, पश्चिम चम्पारण श्याम सुंदर प्रसाद, विकास पदाधिकारी योगेन्द्र प्रसाद, प्रणाली प्रशासक अविनाश कुमार सहित सहायक समाहर्ता, सुश्री शिवाक्षी दीक्षित आदि उपस्थित रहे। वरीय डाक अधीक्षक, मुजफ्फरपुर द्वारा बताया गया कि एक्सपोर्ट की समस्या का समाधान करते हुए भारतीय डाक द्वारा पश्चिम चम्पारण जिले के चनपटिया में डाक निर्यात केन्द्र संचालित किया जा रहा है। स्थानीय व्यापारी, उद्यमी काफी कम राशि में अपना सामान विश्व के किसी भी देश में आसानी से भेज सकते हैं। किसी कारणवश मिसिंग के फलस्वरूप मुआवजा का भी प्रावधान किया गया है।

चनपटिया डाक निर्यात केन्द्र पूरी तरह फंक्शनल हो चुका है। यहां भी व्यापारियों, उद्यमियों को कोई परेशानी नहीं होगी, उनका प्रोडक्ट सुरक्षित, कम समय में, कम राशि में विदेशों तक पहुंचेगा। खासकर स्टार्टअप जोन चनपटिया के विभिन्न प्रोडक्ट्स को विश्व स्तर तक पहुंचाने में काफी सहायता होगी।उन्होंने बताया कि डाक निर्यात केन्द्र आईटीपीएस, ईएमएस एवं एयर पार्सल के माध्यम से निर्धारित समयावधि में देश-विदेश में सामान को पहुंचा रहा है। पूरे देश में कहीं भी अधिकतम पांच दिनों में पार्सल पहुंचाया जा रहा है। वरीय डाक अधीक्षक द्वारा डाकघर निर्यात केन्द्र के लाभों से अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि ग्राहक डाक निर्यात पोर्टल के माध्यम से डाक खर्च और सेवाओं की उपलब्धता की जांच कर सकते हैं। डिजिटल केवाईसी, डोर स्टेप से कमर्शियल आइटम भेजने की सुविधा, चालान, पता पर्ची और सीएन 22 फॉर्म प्रिंट करने की सुविधा, जीएसटी की आसान वापसी और अन्य सरकारी लाभ ग्राहकों को मिलेगा। उन्होंने बताया कि ग्राहक स्वयं डाक निर्यात केन्द्र के वेबसाइट पर जाकर बुकिंग शुल्क का पता कर सकते हैं। इसके लिए डाकघर से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं है। डायनेमिक बारकोड के रूप में बारकोड सिस्टम के माध्यम से उत्पन्न होता है। ग्राहक पोर्टल से सीमा शुल्क, घोषणा प्रपत्र, पता पर्ची, चालान डाउनलोड कर सकते हैं। कस्टम पोर्टल पर ट्रैकिंग की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि ग्राहक पोर्टल के माध्यम से निर्यात का प्रमाण उपलब्ध है। भेजे जाने वाले आइटम की संख्या एवं आइटम के मूल्य की कोई सीमा नहीं है। प्राप्तकर्ता/खरीदार की कोई सीमा नहीं, जिसे विक्रेता अपना सामान बेचता है। डीएनके विभिन्न गतिविधियों पर निर्यातकों के खर्च को कम करेगा। निर्यातक सभी काम घर से करते हैं, प्रेषण के लिए बहुत कम समय की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि डाक निर्यात केन्द्र का लाभ लेने के लिए ग्राहकों के पास आवश्यक दस्तावेज होना आवश्यक है। इसमें किसी भी बैंक का चालू खाता, आयात-निर्यात कोड, अधिकृत डीलर कोड, माल और सेवा कर पहचान संख्या, आधार कार्ड एवं पैन नंबर शामिल है।
उन्होंने कहा कि घरेलू विक्रेता, एसएचजी, किसान, कारीगर, एमएसएमई, पेशेवर हस्तशिल्पकार, स्थानीय बाजारों में छोटे निर्माण की बिक्री करने वाले, स्वेटर बुनने वाली गृहणियों, बुटिक का हुनर रखने वाली महिलाएं डाक निर्यात केन्द्र से लाभ प्राप्त कर आगे बढ़ सकती हैं। इस अवसर पर जिलाधिकारी, पश्चिम चम्पारण ने कहा कि भारतीय डाक विभाग द्वारा चनपटिया में डाकघर निर्यात केन्द्र को फंक्शनल कराना अत्यंत ही सराहनीय है। इससे एक्सपोर्ट को काफी बल मिलेगा। क्षेत्रीय उत्पादों को विदेशों तक पहुंचाने में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि न सिर्फ पश्चिम चम्पारण जिले के वासी बल्कि आसपास के जिलों के व्यापारियों एवं उद्यमियों को भी इससे लाभ प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा विश्व प्रसिद्ध मरचा धान/चूड़ा को जीआई टैग दिलाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जीआई टैग मिलने के उपरांत मरचा धान/चूड़ा का उत्पादन करने वाले कृषकों को अत्यधिक लाभ होगा। मरचा चूड़ा/धान का एक्सपोर्ट सुगमतापूर्वक यहां के किसान कर सकेंगे तथा आर्थिक उन्नति की प्राप्ति करेंगे।

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