नंदकुमार के इंसाफ के लिए यूनियन किसी भी हद तक आंदोलन के लिए कस चुकी है कमर : राजेंद्र सिंह

सुरक्षा के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति ,मित्र एजेन्सी पर लुटा रही है करोड़ो रूपए, पैसे से मेडिकल जांच कराने को मजदुर है मजबूर।

मीडिया हाउस न्यूज एजेंन्सी 18ता॰बोकारो। भारतीय इस्पात प्राधिकरण/ बोकारो इस्पात संयंत्र के कोक ओवन एवं कोक केमिकल्स के सुदर्शन कैंटीन में ठेका मजदूरों के विभिन्न समस्याओं को लेकर क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ (एचएमएस) की विशाल मीटिंग हुई। मीटिंग में मजदूरों ने कोक ओवन बैट्री में ग्रेड प्रमोशन लागू कराने के लिए महामंत्री का आभार प्रकट करते हुए गरमजोशी से स्वागत किया। मीटिंग को संबोधित करते हुए संघ के महामंत्री सह सदस्य एनजेसीएस राजेंद्र सिंह ने कहा कि आज बोकारो इस्पात संयंत्र ठेका मजदूरों की मेहनत की बदौलत उत्पादन में नित् नए कीर्तिमान हासिल कर रहा है। मगर प्रबंधन ठेका मजदूरों को हक अधिकार से वंचित कर तानाशाही पर उतर आई है। साथी नंदकुमार के कार्य के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होकर मृत्यु के पश्चात उनके आश्रित को जिस प्रकार से न्याय एवं हक से वंचित रख प्रताड़ित किया जा रहा है, तानाशाही नहीं तो क्या है?आज प्रबंधन के कुछ अधिकारियों के घमंड के कारण एक गरीब ठेका मजदूर का परिवार दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर है। प्रबंधन के ऐसे अधिकारियों को आज इस मीटिंग के माध्यम से खुली चेतावनी है कि नंदकुमार के इंसाफ के लिए यूनियन किसी भी हद तक आंदोलन के लिए कमर कस चुकी है हर हाल में न्याय लेकर रहेंगे। ठेका मजदूरों से गुलामों की तरह काम कराया जा रहा है प्रबंधन की इसी सोच के कारण ही उनका वेज रिवीजन लंबित है। झारखंड सरकार के भवन निर्माण के मिनिमम वेज पर काम लिया जा रहा है वह भी कहीं मिलता है कहीं नहीं। जल्द से जल्द सम्मानजनक वेतन लागू करना होगा । अगर ठेका मजदूर दुर्घटनाग्रस्त होकर मृत्यु के शिकार हो जाते हैं या स्थाई रूप से अस्वस्थ हो जाते हैं तो उनके एवं उनके परिवार के लिए कोई आर्थिक सुरक्षा नहीं।शोषण नहीं तो क्या है ? अविलंब प्रबंधन प्रत्येक ठेका मजदूरों के लिए कम से कम ₹15 लाख की ग्रुप इंश्योरेंस की व्यवस्था करें । ना ग्रेच्युटी ना किसी प्रकार के भत्ते सीधे-सीधे इनके मानसिक दिवालियापन को दर्शाती है। ग्रेच्युटी के साथ-साथ सभी प्रकार के भत्ते को लेकर हीं रहेंगे।आश्चर्य की बात है कि अगर मजदूरों को मेडिकल जांच भी करवाना है तो अपने पैसे से।यह कैसी व्यवस्था है।एक तरफ प्रबंधन करोड़ो रुपये सिर्फ सुरक्षा के कागजी खानापूर्ति के लिए मित्र एजेन्सी पर लुटा रही है वहीं दूसरी ओर मजदूर अपने पैसे से मेडिकल जांच कराने को मजबूर हैं।कोक-ओवन प्रबंधन को आड़े हाथ लेते हुए श्री सिंह ने कहा कि  प्रबंधन को पता ही नहीं है कि इनके यहां कितने पद स्किल्ड मजदूरों के हैं और कितने पद अनस्किल्ड मजदूरो के हैं। अनस्किल्ड मजदूरों से जबरन अनस्किल्ड के वेतन पर स्किल्ड का काम कराया जा रहा है। प्रबंधन तय करे कि कौन सा काम स्किल्ड का है। शाइलो में जहां दो ठेका मजदूरों का माइनिंग होना चाहिए वहां एक ही मजदूर का माइनिंग किया जा रहा है जो दुर्घटना को सीधे-सीधे आमंत्रण है। आज इस मीटिंग के माध्यम से हम प्रबंधन को चेतावनी देते हैं कि अविलंब सारी समस्याओं पर सकारात्मक पहल करते हुए ठोस निर्णय लें अन्यथा यूनियन आर-पार की लड़ाई को विवश होगी मीटिंग में श्री सिंह के अलावे आर के सिंह,शशिभूषण,संतोष कुमार, रामपुकार,जुम्मन, सिराज, नागेंद्र, आनंद,धर्मेंद्र पंडित,अमित यादव, हरेराम, राजेश तिवारी,रमेश सिंह,चुन्नु मिश्रा एवं उत्तम सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

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