मीडिया हाउस न्यूज एजेन्सी 14 ता. भोपाल-मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के नियंत्रण और रोगियों के समुचित उपचार के लिए आवश्यकता के अनुरूप ऑक्सीजन, इंजेक्शन और बेड आदि की व्यवस्था की जा रही है। मध्यप्रदेश में अन्य राज्यों से ऑक्सीजन की अपूर्ति के लिए केंद्रीय रेल मंत्री से भी चर्चा हुई है, जिसके फलस्वरूप राउरकेला और भिलाई से रेल द्वारा जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन बुलवाई जा सके। हिमाचल और महाराष्ट्र से ऑक्सीजन आपूर्ति प्राप्त करने के प्रयास किये जा रहे हैं। वर्तमान में गुजरात से रोजाना 120 मीट्रिक टन ऑक्सीजन बिना बाधा के प्राप्त हो रही है। जरूरी हुआ तो प्रदेश में विभिन्न स्थानों तक इंजेक्शन पहुँचाने के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग किया जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मंत्रालय में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान और अन्य सभी संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रोकथाम और बेहतर प्रबंधों के संबंध में विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि संक्रमण से नागरिकों को बचाना हम सभी का पहला दायित्व है। व्यवस्थाओं में कोई कमी नहीं होना चाहिए। हमारे प्रयत्नों से व्यवस्थाएँ बेहतर हों और आमजन का मनोबल भी बढ़े। आपदा की यह स्थिति जल्द समाप्त हो। राज्य सरकार ने चुनौतियों और कठिनाईयों का सामना करते हुए संक्रमण की चैन तोड़ने के लगातार प्रयास किए हैं। यह प्रयास जारी रहेंगे। प्रदेश में बिस्तर संख्या बढ़कर 36 हजार हो गई है। जिलों में कोविड केयर सेंटर्स भी प्रारंभ हो गए हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इसके पूर्व स्मार्ट उद्यान में वृक्षारोपण के पश्चात मीडिया प्रतिनिधियों को बताया कि प्रदेश में अभी 280 मेट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध है। यह भी प्रयास किया जा रहा है कि अनावश्यक ऑक्सीजन का उपयोग न हो। प्रदेश को प्रतिदिन 500 मीट्रिक टन तक ऑक्सीजन उपलब्ध कराने का प्रयास है। प्रदेश में नई 8 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर यूनिट भी लग रही हैं। उज्जैन, शिवपुरी, सिवनी और खंडवा में यह शुरू हो गई हैं। शेष चार जिले मंदसौर, रतलाम, मुरैना और जबलपुर में लग रही हैं। हवा से ऑक्सीजन को पृथक कर मरीजों के लिए उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही एक अन्य कंसंट्रेटर उपकरण रोगियों के चेहरे पर लगाकर उपयोग में लाया जा रहा है। प्रदेश में अभी 180 कंसंट्रेटर हैं। इसके अलावा 750 कंसंट्रेटर अतिरिक्त मिल रहे हैं। कुल 2 हजार कंसंट्रेटर का अनुरोध किया गया है, जिसकी आपूर्ति हो रही है।
रेमडेसिविर इंजेक्शन की व्यवस्था
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी नहीं है। प्रदेश को अभी 31 हजार इंजेक्शन प्राप्त हो चुके हैं, गुरूवार को 12 हजार अतिरिक्त इंजेक्शन और मिलेंगे। आवश्यकता हुई तो हवाई सेवाओं का उपयोग भी इन्हें बुलवाने के लिए किया जा सकता है। कुल 50 हजार इंजेक्शन की सप्लाई का आर्डर दिया जा चुका है। प्रदेश में एक लाख तक इंजेक्शन की आपूर्ति का लक्ष्य है, ताकि अधिक से अधिक आवश्यकता पड़ जाने पर रोगियों के लिए व्यवस्था बनी रहे।
जन हित सर्वोपरि
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह संकट का समय है। प्रदेश की जनता का हित मेरे लिए सर्वोपरि है। सभी व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करने के लिए मैं 24 घंटे संकल्पबद्ध हूँ। आज दौरा निरस्त कर कोरोना रोकथाम के प्रयासों को सुनिश्चित किया है। वरिष्ठ अधिकारी भी अपने अमले के साथ प्रयत्नों की पराकाष्ठा कर रहे हैं।
प्रार्थना और इबादत परिवार स्तर पर हों
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वर्तमान समय में आवश्यक है कि नवरात्रि पर्व और रमजान पर्व पर प्रार्थना और इबादत परिवार स्तर पर हो। अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकरणों के दृष्टिगत आमजन से सावधानियों का पूरी तरह से पालन करने को कहा है। बिना काम के घर से बाहर जाना संक्रमण को बढ़ा सकता है।
बेड क्षमता बढ़ाने निजी संस्थान सहयोग के लिए आगे आए
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निजी संस्थाओं को कोरोना संक्रमण के संकट के समय सहयोग के लिए आगे आने की अपील की थी। शासकीय और निजी अस्पतालों में निरंतर बिस्तर बढ़ाए जा रहे हैं। संक्रमण की रफ्तार को देखते हुए आवश्यक बेड की व्यवस्था के लिए आपात स्थिति को देखते हुए नियमों के पालन को भी शिथिल किया गया है। स्वैच्छिक संगठन भी आगे आए हैं। इंदौर में राधा स्वामी सत्संग न्यास द्वारा 500 बिस्तर का केंद्र प्रारंभ करने के लिए सहयोग दिया जा रहा है। भविष्य में जरूरत होने पर इसकी क्षमता भी बढ़ाई जायेगी।
सभी नागरिकों से सहयोग देने का आग्रह, मास्क न लगाने पर जुर्माना बढ़ाने पर विचार
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने विपदा के समय सभी नागरिकों से सहयोग देने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विभिन्न रहवासी संघ कॉलोनी स्तर पर स्वैच्छिक सहयोग कर रहे हैं। अन्य लोगों को भी उनका अनुसरण करना चाहिए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मास्क का उपयोग न करना सामाजिक अपराध है। उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना बढ़ाने का विचार किया जा रहा है।
मीडिया हाउस न्यूज एजेन्सी 14 ता. भोपाल-स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) और सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इन्दर सिंह परमार के निर्देश पर प्रदेश के शासकीय विद्यालयों में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं एक माह के लिए स्थगित कर दी गई है। माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित हाई स्कूल, हायर सेकेंडरी, हायर सेकेंडरी (व्यवसायिक), डिप्लोमा इन प्री स्कूल एजुकेशन, शारीरिक प्रशिक्षण पत्रोपाधि परीक्षाएं अब जून माह में आयोजित की जाएंगी। यह परीक्षाएं जून माह के प्रथम सप्ताह से आरंभ की जाकर अंतिम सप्ताह तक संपन्न कराई जाएंगी, विस्तृत संशोधित परीक्षा कार्यक्रम शीघ्र जारी किया जाएगा।उल्लेखनीय है कि मंडल द्वारा यह परीक्षाएं 30 अप्रैल एवं एक मई 2021 से प्रारंभ होना नियत थी। प्रदेश में कोविड-19 के संक्रमण से बचाव और रोकथाम के उद्देश्य से लोक स्वास्थ्य एवं लोकहित में यह निर्णय लिया गया है!
मीडिया हाउस न्यूज एजेंसी 26ता.बड़वानी– जो शोर मचाते हैं भीड़ में, भीड़ बनकर ही रह जाते हैं, जिंदगी में वही कामयाबी पाते हैं, जो खामोशी से अपना काम कर जाते हैं।” इस सूत्र वाक्य को जिसने अपने जीवन में अंगीकार कर लिया वह यशस्वी कहलाया। हम मध्यप्रदेश वासियों का सौभाग्य है कि हमें खामोशी से काम करने वाला ऐसा ही एक योद्धा मिला है- श्री शिवराज सिंह चौहान के रूप में। मैं अपने आपको भी बहुत सौभाग्यशाली मानता हूँ कि ऐसे कर्मयोद्धा के नेतृत्व में मुझे काम करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। मैं ह्रदय से आभारी हूँ कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मुझे पंचायती राज के माध्यम से ग्रामीण विकास का दायित्व सौंपा।
सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास ही हमारी सरकार का मूल मंत्र है। इसी मूल मंत्र के सहारे हम प्रदेश की जनता की सेवा के महान कार्य में जी-जान से जुटे हुए हैं।सफलता की ऊँची पायदान पर विराजमान पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने उपलब्धियों के अनेक परचम फहराए हैं। इनकी बात हम सप्रमाण बाद में करेंगे। पहले उन विशिष्ट उपलब्धियों की चर्चा करेंगे, जहाँ मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने मेहनत और लगन से काम करते हुए देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। सड़कें प्रगति का प्रतीक हैं और देश और प्रदेश की तरक्की में इनका विशेष योगदान है। प्रतिशत लेंथ एचीवमेंट में प्रदेश का स्थान पहला है। प्रदेश में 2550 कि.मी. के लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 2603 कि.मी. लम्बाई के मार्गों का निर्माण किया गया है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्डों की समग्र रैंकिंग में भी मध्यप्रदेश को प्रथम रैंक मिली है। मनरेगा के बारे में हमें यह बताते हुए हर्ष होता है कि प्रति परिवार औसत मानव दिवस सृजन में हम देश में प्रथम हैं।कोविड काल में मनरेगा के अंतर्गत सृजित मानव दिवस योजना प्रारंभ से अब तक मध्यप्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक रहा है। प्रदेश में अब तक 54 लाख 29 हजार जॉब कार्डधारी परिवारों के एक करोड़ 29 लाख श्रमिकों द्वारा 32 करोड़ 79 लाख मानव दिवस सृजित किये गये हैं।हमें बताते हुए अत्यंत खुशी का अनुभव हो रहा है कि इस वित्तीय वर्ष में अनुचित जाति-जनजाति के परिवारों को रोजगार देने में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर हैं। प्रदेश में इस वर्ष कोविड के दौरान भी प्रति दिवस 25 लाख से अधिक का श्रमिक नियोजन किया गया, जो देश में सर्वाधिक श्रमिक नियोजन है।हर आदमी को घर देने के लिये कृत-संकल्पित प्रधानमंत्री जी की महती योजना प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में भी मध्यप्रदेश ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सफलता के नये सोपान रचे हैं। स्वीकृति की तुलना में निर्मित आवास के प्रतिशत को देखा जाये, तो यहाँ भी मध्यप्रदेश पहली पायदान पर खड़ा नजर आयेगा। प्रदेश में अब तक लगभग 25 लाख स्वीकृत घरों में 18 लाख 30 हजार आवास बनाये जा चुके हैं।
ग्रामीणों को रोजगार देने की प्रक्रिया में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की महती भूमिका है। इसके अंतर्गत काम कर रहे स्व-सहायता समूहों के बैंक लिंकेज के लिये प्रकरण प्रस्तुत करने में प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। अब तक एक लाख दो हजार 765 समूहों के 2 हजार 609 करोड़ 18 लाख प्रकरण बैंक में प्रेषित किये गये हैं। बैंक द्वारा स्व-सहायता समूहों को ऋण स्वीकृत करने में देश में हम प्रथम हैं। अब तक 45 हजार 498 प्रकरण स्वीकृत कर एक हजार 161 करोड़ स्वीकृत हुए हैं।प्रदेश में 23 हजार 458 ग्रामों में कृषि गतिविधियाँ महिलाएँ संचालित कर रही हैं। प्रारंभिक ग्रामीण उद्यमिता कार्यक्रम (SVEP) में 13 हजार 111 उद्यम गठित कर प्रदेश ने देश में प्रथम रैंक प्राप्त की है। प्रदेश में सबसे अधिक 46 सामुदायिक प्रशिक्षण केन्द्र (C+C) संचालित हैं।जब प्रदेश का मुखिया खुद किसान हो और जो किसान हितैषी के रूप में चर्चित हो, उसके राज्य में सिंचाई योजना में उपलब्धियाँ तो मिलना ही है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना- वाटर शेड विकास के संदर्भ में जल-संग्रहण संरचनाओं के निर्माण में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। इस वर्ष प्रदेश में 5 हजार 256 जल-संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया गया है।सिंचाई सामर्थ्य विकास में प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। कुल 21 हजार 719 सिंचाई सामर्थ्य इस साल विकसित की गई है। तीस लाख 16 हजार मानव दिवस अर्जित कर प्रदेश इस मामले में भी सबसे ऊपर है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूरल अर्बन मिशन में मध्यप्रदेश पहला राज्य है, जिसने मिशन के अंतर्गत समस्त कार्यों को प्रारंभ से लेकर पूर्ण होने तक के पड़ावों को ‘जियो-टैग्ड” किया है। इसकी सराहना राष्ट्रीय स्तर पर हुई है।
ग्रामीण पथ-विक्रेता ऋण योजना प्रदेश की अनूठी योजना है, जो भारत वर्ष के अन्य प्रदेशों के ग्रामीण क्षेत्रों में लागू नहीं है। इसके तहत अब तक एक लाख 71 हजार पथ-विक्रेताओं को 10-10 हजार रुपये का ब्याज-रहित ऋण दिया गया है। मनरेगा में मजदूरों को नवीन जॉब-कार्ड से जोड़ने में प्रदेश देश में द्वितीय स्थान पर है। वित्तीय प्रगति के मापदण्ड के अनुसार इस वर्ष मध्यप्रदेश देश में द्वितीय स्थान पर है। यह प्रगति वॉटर-शेड विकास में हुई है। इसी योजना में लाभान्वित कृषक परिवारों के संदर्भ में प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर है।मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के तहत 282 किचन-शेड कम डायनिंग हॉल के कार्य प्रगति पर हैं। इस मद में कुल राशि 20 करोड़ 30 लाख रूपये है, जिसमें मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम की राशि 31 लाख 90 हजार रूपये तथा मनरेगा अभिसरण की राशि 11 करोड़ 50 लाख रूपये है। इसके चलते अब प्रदेश की शालाओं में छात्र-छात्राएँ जमीन पर बैठकर नहीं, बल्कि डायनिंग टेबल पर बैठकर भोजन करेंगे।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा के अनुरूप हम प्रदेश की जनता को सर्वोच्च स्थान देते हैं और मानते हैं कि हम जो कुछ भी उपलब्धि हासिल कर पाये हैं, वह जनता के सहयोग और भागीदारी से ही संभव है। इसी के चलते हमारे कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर न केवल सराहा गया, बल्कि पुरस्कृत भी किया गया। मनरेगा के अंतर्गत खण्डवा जिले की कावेरी नदी के पुनर्जीवन के लिये मध्यप्रदेश को नेशनल वॉटर अवार्ड में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।इसी तरह नीमच जिले की बोरखेड़ी नदी पुनर्जीवन के लिये तृतीय पुरस्कार भी हमें प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना- वॉटर-शेड विकास के अंतर्गत सागर- जल-संरक्षण में तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। ग्राम पंचायत पिपरिया गोपाल, जिला सागर को खेत-तालाब से सर्वाधिक सिंचाई सामर्थ्य विकास के लिये प्रथम पुरस्कार मिला है। केन्द्रीय पंचायती राज मंत्रालय द्वारा मध्यप्रदेश को सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा पंचायतों में पारदर्शी रूप से प्रभावी उत्तरदायित्व निर्वहन के लिये ‘ई-पंचायत पुरस्कार-2020” से भी सम्मानित किया गया।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कामों पर बात की जाये, तो उसे किसी एक आलेख में समेटना संभव नहीं है। अपनी उपलब्धियों के बारे में खुद बताना और भी मुश्किल है, लेकिन जनता के सामने सच्चाई लाना भी जरूरी है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग हर क्षेत्र में प्रगति के नये सोपान गढ़ रहा है। फिर चाहे म.प्र. ग्रामीण सड़क प्राधिकरण हो या मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, मनरेगा हो या प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण), राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन हो या प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-वॉटर-शेड विकास योजना, प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के मार्गदर्शन और कुशल नेतृत्व में प्रदेश चहुँओर विकास कर नित नई उपलब्धियाँ हासिल कर रहा है।हम केन्द्र सरकार के प्रति भी आभारी हैं, जिन्होंने वॉटर-शेड परियोजना के लिये 2020-21 के लिये एक हजार करोड़ के केन्द्रीय बजट की तुलना में वर्ष 2021-22 में इसे दोगुना यानि 2 हजार करोड़ रूपये कर दिया है। स्वस्थ भारत मिशन (ग्रामीण) और मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम में भी हमने उल्लेखनीय काम किया है।अंत में हम प्रदेश की जनता से पूरी विनम्रता से यह कहना चाहते हैं कि आगे भी इसी तरह पूरी निष्ठा, मेहनत और लगन से आपकी सेवा करते रहेंगे। जिस प्रदेश का मुखिया इतना संवेदनशील और मेहनती हो और जनता इतनी समझदार हो तो उस प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। चलते-चलते इस परिंदे की मानिंद हम बस इतना कहना चाहते हैं-खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है।ज़मीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है।
मीडिया हाउस न्यूज एजेन्सी 17 ता.भोपाल-जलसंसाधन मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही, नियम विरूद्ध काम और वित्तीय नुकसान होने पर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज होगी और आर्थिक हानि होने पर संबंधित दोषी अधिकारियों से राशि वसूली की कार्रवाई की जाएगी। विभाग की कार्य-प्रणाली को सुधारने के लिए सभी अधिकारी फील्ड में भ्रमण करें। मंत्री तुलसीराम सिलावट मंत्रालय में विभागीय कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में अपर मुख्य सचिव एस.एन. मिश्रा, अपर सचिव श्री विकास नरवाल, प्रमुख अभियंता डावर और विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि प्रदेश के सभी बाँध और नहर परियोजना की ड्राइंग और डिजाइन के लिए मुख्य अभियंता से विचार-विमर्श किया जाये। शिवपुरी जिले की सर्कुला परियोजना की ड्राइंग और डिजाइन को मंजूरी के लिए आईं.आई.टी रुड़की को भेजने पर श्री सिलावट ने नाराजगी व्यक्त की है। शिवपुरी जिले के बामोर कला में लोअर और कैनाल परियोजना में काम हुए बिना अग्रिम भुगतान होने और भुगतान की तुलना में काम कम होने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने अपर मुख्य सचिव को जांच के लिए कमेटी गठित करने के निर्देश को दिए। किसी भी परियोजना का भौतिक सत्यापन होने के उपरांत ही वास्तविक भुगतान की कार्यवाही की जाय। काम से अधिक का भुगतान होने पर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। मंत्री श्री सिलावट ने निर्देश दिए हैं कि परीक्षण उपरांत 50 साल पुरानी नहरों का जीर्णोद्धार और नवीनीकरण करने के लिये काम शुरू कराया जाए। इसके लिए कार्य-योजना बनाकर आंकलन करें और प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजे। उन्होंने कहा कि पुरानी नहरों के सीपेज को प्राथमिकता से दुरूस्त किया जाये, जिससे नहर टूटने की घटना से किसानों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा विगत दिनों जितनी भी परियोजना का भूमि-पूजन किया गया है, उनको समय-सीमा में शुरू करने और वार्षिक कैलेंडर के आधार पर प्रगति रिपोर्ट का चार्ट बनाकर मुख्यालय भेजा जाना सुनिश्चित किया जाए। निर्धारित समय-सीमा में सभी परियोजनाएँ पूर्ण कराई जाए। उन्होंने कहा कि विलंब होने से परियोजना की लागत बढ़ती है तो संबंधित अधिकारी की जाँच की जाएगी। मंत्री ने निर्देश दिए कि सभी अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में किसान चौपाल आयोजित करे और सिंचाई परियोजना के लाभान्वित किसानों से संवाद स्थापित कर इसका अलग से डाटा संकलित करे। संकलित डाटा का उपयोग भविष्य की योजनाओं में किया जाएगा। अपर मुख्य सचिव एस.एन. मिश्रा ने निर्देश दिए कि जलसंसाधन विभाग की सभी निर्माणाधीन परियोजना का वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा स्थल निरीक्षण कर भौतिक सत्यापन कर उसके औचित्यता का भी परीक्षण किया जाए।
मीडिया हाउस न्यूज एजेन्सी 17 ता.भोपाल-मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वन क्षेत्र में नवाचार बढ़ाने की आवश्यकता है। भोपाल में वन विहार अपने आप में एक बड़ी सौगात है। इसे ऐसे मॉडल के रूप में विकसित करें कि सिंगापुर से भी लोग नाइट सफारी के लिए यहाँ आएं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में वन क्षेत्र बढ़ना दुनिया के लिए शुभ समाचार है। जलवायु परिवर्तन के इस दौर में यह मनुष्य ही नहीं, प्राणी मात्र की रक्षा के लिए आवश्यक है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए वन विभाग को बधाई दी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान प्रशासन अकादमी में मुख्य वन संरक्षक एवं वनमण्डलाधिकारियों की एक दिवसीय कार्य-शाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने दीप प्रज्जवलित कर कार्य शाला का शुभारंभ किया। वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह, प्रमुख सचिव वन अशोक वर्णवाल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राजेश श्रीवास्तव कार्यशाला में उपस्थित थे।
वनवासियों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहे विभागीय अमला
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जनता की सेवा और पर्यावरण संरक्षण वन सेवा के अधिकारियों और कर्मचारियों का दायित्व है। वन क्षेत्र में रह रहे भाई-बहनों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहना जरूरी है। यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी पात्र व्यक्तियों को बिना किसी परेशानी के वनाधिकार अधिनियम के अंतर्गत पट्टे प्राप्त हों। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाने की जितनी जिम्मेदारी वनवासियों की है, उतनी ही सभ्य समाज की भी है। अत: यह देखना जरूरी है कि वनवासियों को किसी भी प्रकार से प्रताड़ित न किया जाए। वन क्षेत्र में सक्रिय विभिन्न माफिया पर सख्त कार्यवाही आवश्यक है। यह सुनिश्चित किया जाए कि वन क्षेत्र में नए कब्जे न हों। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश के टाईगर स्टेट बनने और प्रदेश में तेंदुआ, घड़ियाल और गिद्धों की संख्या बढ़ने पर वनाधिकारियों को बधाई दी।
अपनी जमीन पर लगे पेड़ों के उपयोग संबंधी नियमों का सरलीकरण जरूरी
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वन क्षेत्र का विस्तार जनता के सहयोग से ही हुआ है। इसमें वन समितियों का कार्य चमत्कारिक है। झाबुआ इसकी मिसाल है। इन्दौर में कार्बन क्रेडिट की दिशा में समाज के स्तर पर हुए कार्य की भी सराहना की गई। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कृषि वानिकी को बढ़ाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि अपनी जमीन पर लगे पेड़ों के उपयोग के संबंध में नियमों को सरल करने की जरूरत है। वनाधारित गतिविधियों और वनोपज के विक्रय में रोजगार के अवसर बढ़ाने की आवश्यकता है। कोरोना काल में वन औषधियों का महत्व बढ़ा है। हमें वन क्षेत्र से लकड़ी के अलावा और किन-किन गतिविधियों से आय हो सकती है, इस पर विचार करना होगा। वन और आजीविका को जोड़कर यदि हम गतिविधियों का संचालन करें तो लोग स्वयं वन बचाऐंगे। उन्होंने मनुष्य और वन्य-प्राणी संघर्ष की स्थितियों से बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता बताई।
हर हाल में सुनिश्चित की जाएगी वन अमले की सुरक्षा
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वन अमले की सुरक्षा हर हाल में सुनिश्चित की जाएगी। प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में वन का योगदान दो प्रतिशत है। इसे बढ़ाकर हमें पाँच प्रतिशत करना है। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए निर्धारित रोडमैप के अंतर्गत वन विभाग से संबंधित लक्ष्यों को समय-सीमा में पूरा करने की आवश्यकता है।
स्थानीय जलवायु के अनुसार हो वृक्षारोपण
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने स्थानीय जलवायु के अनुसार प्राकृतिक रूप से लगने वाली वृक्ष प्रजातियों को वृक्षारोपण में महत्व देने की आवश्यकता बताई।
वन आधारित गतिविधियों में देश में प्रथम होगा मध्यप्रदेश – वन मंत्री डॉ. शाह
वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में वन विभाग, वन और वन्य-प्राणियों की सुरक्षा तथा वनों के विस्तार में सफल रहा है। हम मध्यप्रदेश को वन आधारित गतिविधियों में देश में प्रथम स्थान पर लाने की ओर अग्रसर हैं। वन मंत्री ने वनों और वन विभाग के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए नियमों में संशोधन की आवश्यकता बताई। उन्होंने वन्य क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए संचालित हॉट एयर बैलून तथा बफर में सफर जैसे नवाचारों की जानकारी भी दी। प्रधान मुख्य वन संरक्षक राजेश श्रीवास्तव ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की।
मीडिया हाउस न्यूज एजेन्सी 17 ता.भोपाल-मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीधी जिले में सारदा पाटन गाँव के पास नहर में बस गिरने की दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना मेरे लिए अत्यंत दु:खद है। मन बहुत व्यथित और दु:खी है। सात व्यक्तियों को रेस्क्यू कर बचा लिया गया है। राहत कार्य लगातार जारी है। शव नहर से निकाले जा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दिवंगत आत्माओं को भाव पूर्ण श्रद्धांजलि दी और ईश्वर से उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान देने की प्रार्थना की है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि प्रत्येक मृतक के परिवार को पाँच लाख रुपये की तात्कालिक राहत सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं। दु:ख की घड़ी में हम पीड़ितों के परिजनों के साथ हैं। पूरा प्रदेश उनके साथ खड़ा है। मेरी सबसे अपील है कि धैर्य रखें। मैं, राज्य सरकार और पूरी जनता आपके साथ है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि मैंने सीधी कलेक्टर को हर संभव राहत कार्य प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं। बाणसागर बांध से तत्काल पानी रोकने के निर्देश भी दिए गए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ली उच्च-स्तरीय बैठक
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीधी में हुई बस दुर्घटना के संबंध में मंत्रालय में मंत्रीगण के साथ उच्च-स्तरीय बैठक ली। उन्होंने जल संसाधन मंत्री तुलसी राम सिलावट तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राम खेलावन पटेल को तत्काल घटना स्थल के लिए रवाना होने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस को निर्देश दिए कि राहत कार्यों में संसाधनों की कोई कमी नहीं आने दी जाए। राहत और सहायता कार्य पूर्ण संवेदनशीलता के साथ संचालित किए जाएं।
पुलिस, प्रशासन एवं एसडीआरएफ की टीमें घटना स्थल पर सक्रिय
पुलिस, प्रशासन तथा एसडीआरएफ की टीम घटना स्थल पर सर्च और राहत कार्य में लगातार सक्रिय हैं। हाईड्रा तथा अन्य आवश्यक संसाधन मौके पर उपलब्ध हैं। डॉक्टर तथा एम्बुलेंस सहित सहायता की सभी व्यवस्थाएँ घटना स्थल पर की गई हैं। घटना स्थल पर सांसद रीति पाठक, विधायक चुरहट शरदेन्दु तिवारी, रीवा संभागायुक्त राजेश कुमार जैन, आई.जी. रीवा उमेश जोगा, कलेक्टर और एस.पी. मौजूद हैं। समाचार लिखे जाने तक नहर से 37 शव निकाले जा चुके हैं।
गृह प्रवेशम् कार्यक्रम स्थागित
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सीधी में हुई बस दुर्घटना के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत आयोजित गृह प्रवेशम् कार्यक्रम स्थगित कर दिया। मिंटो हॉल पहुँचकर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि उत्साह के साथ गृह प्रवेशम् कार्यक्रम आयोजित किया गया था, परन्तु प्रदेश में हुई इस दु:खद दुर्घटना को देखते हुए यह कार्यक्रम करना उचित नहीं होगा।
मीडिया हाउस न्यूज एजेन्सी 28ता.सिंगरौली-क्या इन दौनों समाज में राजनैतिक परिपक्वता, चरित्र, ईमान दारी, कर्तव्य निष्ठा व चातुर्य की कमी है? शायद इन राज नैतिक दलों की यही सोच हो,सो मै कुछ तत्थों पर ध्यानाकर्षण करना चाहता हूँ/ यदि राजनैतिक स्तर पर देखा जाय तो राम राज्य के बाद इतिहास का यदि कोई स्वर्ण काल रहा है ,तो वह था गुप्त काल!! जो कि ईस्वी 260 से प्रारंभ होकर 530 तक रहा, इसे इतिहास में स्वर्ण काल कहा गया इसमे गुप्त वंश ने अपने कृतृत्व से एक नया इतिहास रचा / और आगे चले तो वैश्य समाज के जनक व अग्रोहा धाम की स्थापना करने वाले महाराजा अग्रसेन ने अपने दान शीलता व कार्यों से देश में हिंसा रोकने तथा अपनी राजनीति से एक नया इतिहास रचा ,जिससे प्रेरित होकर अग्रवाल समाज आज भी दान शीलता व धार्मिक प्रवत्ति को बढाने के लिये जाना जाता है/
और आगे बढे ,तो जैन धर्म मे पले बढे दानवीर भामाशाह पर एक नजर डालें ,जिनकी दानवीरता का इतिहास महान शूरवीर महाराणा प्रताप के साथ सदैव लोग पढते रहेंगे, आप ने अपने राष्ट्र की अस्मिता के लिये अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया/ बताया जाता है , भामाशाह ने इतना धन दिया कि 25000 सैनिकों का 12 बर्ष तक निर्वाह हो सकता था/ राजा टोडर मल ने वित्त मंत्री के रूप मे अकबर के नव रत्नों मे शामिल होकर भूमि सुधार एवं कृषि सुधार हेतु अनेक कार्य किये इतिहास मे अनेको ऐसे अनेको महा पुरुषो के नाम दर्ज है जिन्होने अपने कार्यों एवं त्याग से इस समुदाय का गौरव बढाया है /
याद करें जब देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था ,तब एक वैश्य समाज का महा नायक महात्मा गाँधी नोआखाली में आम जनता का दर्द बांट रहा था, उन्होने कभी पद की लालसा नहीं की , पदम विभूषण से सम्मानित स्वतन्त्रा सेनानी , प्रमुख उद्योग पति बाबू घन श्याम दास बिरला ने अपने योग दान से देश को बहुत कुछ दिया परन्तु सत्ता मोह से दूर रहे / राम मनोहर लोहिया से लेकर सीताराम केशरी तक राजनैतिक षडयंत्रो ने वैश्य समाज को आगे नही बढने दिया सदैव राजनैतिक आकाऑ ने उपेक्षा पूर्ण व्यवहार ही किया है / आज भी इस त्यागी, बलिदानी समाज को राजनैतिक भागीदारी से दूर रखने के कुत्सित प्रयास जारी है/ इस समाज को केवल लंच , मँच व धन प्रदान करने बाला ही समझा गया है/ धर्म शाला, गौशाला, पौशाला, रामलीला,रास लीला अनेक धार्मिक कार्यों को गति देने वाला आखिर राजनैतिक भागीदारी से दूर क्यूँ? इस समाज ने घर घर में गीता प्रेस के जरिये रामायण, गीता पहुचाई ,घरों मे सस्ते में समाचार पत्र सुलभ कराये अपराध शून्य यह समाज फिर भी इतना उपेक्षित क्यूँ ? देश का सबसे बडा करदाता , ईमानदारी , महनत व अपने कार्यों से
चौबीस घन्टे जनता की सेवा करने को तत्पर यह समाज राजनैतिक आकाओं की नजर में इतना महत्व हीन क्यूँ?? कुल आबादी का 24 प्रतिशत भागीदारी करने वाले इस समाज की इतनी राजनैतिक दुर्गति क्यूँ ??
सुनियोजित ढंग से हमे विभाजित कर वैश्य समाज के तीन सौ पचास से भी ज्यादा टुकडे किये गये , इसके मूल कारण में जायें तो देश के आबादी का सबसे बडा हिस्सा व कर्म योगी, महनत कश व अहिंसक तथा समाज सेवी वैश्य वर्ग को कमजोर करने की साजिश की गयी, इसी का परिणाम है आज राजनैतिक सह भागिता एवं हिस्से दारी नगण्य है!! अब वैश्य समाज जाग रहा है उसने कर वट ही नही बदली बल्कि उठ खडा हुआ है, जब भी मौका मिला ईमानदारी से बेदाग नेतृत्व भी किया है / चंद्र भान गुप्त व रामप्रकाश गुप्त इसके उदाहरण है/ सीताराम केशरी के बारे में तो कहा जाता था खाता न बही, जो केशरी जी ने कहा वही सही/ अब हम मध्य प्रदेश की बात करें तो वैश्य समुदाय व व्यापारी गण को शामिल कर लें तो इस समुदाय को सभी दलो ने भागीदारी से वंचित ही रखा है नजर दौडायें तो इस समुदाय की सत्ता में भागीदारी नगण्य ही है, अब बात करें जनपद सिंगरौली की ,तो इस समाज को सदैव ही उच्च पदों से वंचित ही रखा गया है कभी भी वैश्य व व्यापारी वर्ग को
सम्मान नहीं दिया गया,
विदित हो इस कोरोना काल में यहाँ के व्यापारी बन्धुऑ व वैश्य समुदाय ने भामाशाह की तरह अपनी तिजोरिया खोलकर असहाय व जरूरत मंदों की सेवा की है लगातार चार महीने तक ट्रामा सेंटर अस्पताल में भोजन वितरण एवं सुरक्षा उपकरणो का वितरण कोई मामूली कार्य नही था परन्तु यह कार्य इन भामा शाहों ने कर के दिखाया , अब वस्त्र वितरण कर हर जरूरतमंद के दरवाजे पर दस्तक दे रहे है / परंतु अफसोस इस वर्ग को सामान्य सीट होते हुए भी महा पौर व स्थानीय निकाय चुनाव में अनदेखी किया जा रहा है जब कि बहुत से अनुभवी व स्वच्छ छवि के किरदार इस समाज में है/ वैश्य महा सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष व भूत पूर्व मंत्री आदरनीय उमा शंकर गुप्त के प्रयास से यह समाज फिर जागृत हुआ है और राज नैतिक सहभागिता व संघर्ष के लिये कमर कस चुका है, अगर वैश्य व व्यापारी समाज की उपेक्षा होती है तो पच्चीस प्रतिशत भागीदारी वाला यह समाज अपनी लडाई स्वयं लडेगा/
सुरेश गुप्त-साँस्कृतिक जिला प्रभारी
वैश्य महा सम्मेलन, सिंगरौली
https://youtu.be/OrAW2WmhBIQ वैश्य समाज परिवार की तरफ से गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
मीडिया हाउस न्यूज एजेंसी 18 ता.म्योरपुर (सोनभद्र) – रौनियार वैश्य समाज को संगठित करने के लिए चली गई जा रही जन संपर्क व जागरूकता अभियान को लेकर जनपद सोनभद्र के अति पिछड़ा इलाका लिला शशिपुर स्थित विद्यालय में समाज की बैठक संपन्न हुई। बैठक की चलती दुर्ग के वरिष्ठ समाजसेवी रामसाई रौनियार और समाज के प्रमुख डॉ। के के गुप्ता (रौनियार), कृष्ण मुरारी गुप्ता के देखरेख में संपन्न हुई, कार्यक्रम का संचालन उमाशंकर रौनियार ने किया। उक्त अवसर पर समाज के वरिष्ठ बुजुर्ग लोगों को कंबल वितरण कर उनका सम्मान किया गया।
रामसहाय रौनियार वरिष्ठ समाजसेवी ने कहा कि समाज द्वारा चलाए जा रहे जन जागरूकता व जनसंपर्क अभियान के तहत समाज के लोगों को बड़ी सफलता मिल रही है, कई गांव के लोग इस बैठक में उपस्थित हैं इस आदिवासी अंचल में निवास करने वाले समाज के सभी लोगों में हैं। हैं। काफी जागरूकता आई है। इसके लिए गांव-गांव में अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है और जोड़ा जा रहा है।
रौनियार वैश्य समाज के नेतृत्वकर्ता डॉ ए के गुप्ता (रौनियार) ने कहा कि वैश्य समाज का यह अभियान पूरे देश प्रदेश के जिलों में चल रहा है, सभी राज्यों के लोगों से जनतापर्क जारी है, बड़े पैमाने पर लोग इकट्ठा हो रहे हैं। समाज के लोगों का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न होता रहा है किंतु अब समाज के लोगों का उत्पीड़न वर्गों नहीं किया जाएगा, अपने हक व अधिकार के लिए समाज के लोग आगे आ रहे हैं। रौनियार समाज की 364 उपजातियाँ हैं। राजनीति के क्षेत्र में वैश्य समाज के लोग आने वाले समय और चुनाव में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कृष्ण मुरारी गुप्ता पूर्व चेयरमैन ने कहा कि हम लोग का प्रयास जारी है समाज के लोगों को संगठित करना और इस अभियान में बड़ी सफलता मिल रही है। गांव गांव शहर शहर अभियान चलाकर लोगों को जोड़ा जा रहा है और इसकी गणना भी किए जा रही है ताकि जनपद सोनभद्र के अति पिछड़ा इलाका क्षेत्र से समाज के लोगों को ऊपर उठाया जा सके। उक्त अवसर पर राजेश कुमार गुप्ता व्यापार मंडल अध्यक्ष, डाॅ। राम राम जंगली, बलराम प्रसाद गुप्ता, शिव शंकर प्रसाद एडवोकेट, रामाशंकर रौनियार, प्रेमचंद गुप्ता, शंभू गुप्ता, ब्रह्मदेव रथियार, श्रवण कुमार, दयाशंकर एडवोकेट, सुरेश कुमार गुप्ता, राजू कुमार रौनियार अशर्फीलाल, मनोज कुमार, जगमोहन गुप्ता, संतोष शर्मा , श्री नारायण, अशोक कुमार, लल्लन प्रसाद गुप्ता, नानदेव रौनियार, जगत नारायण, जमुना प्रसाद, बलराम प्रसाद, प्रेमचंद गुप्ता, लल्लन प्रसाद गुप्ता आदि लोग आ रहे थे।
मीडिया हाउस न्यूज़ एजेंसी 12 ता.भोपाल- नवीन और नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग ने आज खण्डवा जिले के ओंकारेश्वर सागर में तीन हजार करोड़ रूपये से स्थापित होने वाले 600 मेगावाट क्षमता के विश्व के सबसे बड़े सोलर फ्लोटिंग प्लांट की तैयारियों की समीक्षा करने के साथ प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने संबंधित विभागों के साथ समन्वय बनाकर समय-सीमा में प्रोजेक्ट पूर्ण करने के निर्देश दिये। श्री डंग ने कहा कि खण्डवा जिले में ताप, विद्युत और जल परियोजना के साथ अब सौर ऊर्जा विद्युत परियोजना भी स्थापित होने जा रही है। इससे खण्डवा जिला बहुत बड़ा पावर हब बन जाएगा। खण्डवा जिला सांसद नंदकुमार सिंह चौहान, विधायक नारायण पटेल और देवेन्द्र वर्मा, मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के प्रबंध संचालक श्री दीपक सक्सेना भी उपस्थित थे।
नवकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री डंग ने बताया कि प्लांट का विकास एक बहुउदेश्यीय परियोजना के रूप में किया जाएगा। इससे बिजली उत्पादन के साथ पर्यटन, जल संरक्षण्, भूमि संरक्षण आदि अन्य उद्देश्यों की पूर्ति भी होगी। पावर प्लांट की डीपीआर इसी माह तैयार हो जायेगी और जुलाई के अंत तक टेंडर प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। जुलाई 2023 तक ओंकारेश्वर सागर में सोलर फ्लोटिंग पावर प्लांट अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य करना प्रारंभ कर देगा। इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर सागर में जल स्तर हर मौसम में लगभग स्थिर रहता है इसी लिये परियोजना के लिये नर्मदा व कावेरी नदी के संगम के पास लगभग 2000 हेक्टेयर स्थल का चयन फ्लोटिंग पावर संयत्र के लिये किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शी सोच के कारण देश में सौर एवं पवन ऊर्जा संयत्र स्थापित हो रहे है। देश में 2022 तक 175 गीगावाट नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं से उत्पादन का लक्ष्य है। मध्यप्रदेश में अब तक लगभग 5 हजार मेगावाट नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना हो चुकी है। सौर ऊर्जा की बिजली ताप विद्युत की तुलना में काफी सस्ती होती है और इसके प्रोजेक्ट का मेटिंनेंस बहुत कम होता है। उन्होंने कहा कि ताप विद्युत परियोजनाओं में प्रदूषण अधिक होता है और एक सीमा के बाद कोयला भण्डारों के खत्म होने की संभावना बनी रहती है। उन्होंने बताया कि खण्डवा जिले के ग्राम छिरवेल में 200 मेगावाट और ओंकारेश्वर में 600 मेगावाट मिलाकर कुल 800 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादित होने लगेगी। जो देश के किसी एक जिले में सर्वाधिक उत्पादन होगा। प्रबंध संचालक दीपक सक्सेना ने बताया कि इंटरनेशल फायनेंस कार्पोरेशन, वर्ल्ड बैंक और पावररग्रिड ने परियोजना में विकास के लिये सैद्धांतिक सहमति दे दी है इसी माह पावरग्रिड द्वारा परियोजना क्षेत्र से खण्डवा सब स्टेशन तक ट्रांसमिशन लाइन रूट सर्वे शुरू हो जाएगा। परियोजना क्षेत्र के पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव के अध्ययन के लिये भी निविदा प्रारंभ की जा रही है। मध्यप्रदेश पावर मेनेजमेंट कम्पनी द्वारा 400 मेगावाट विद्युत क्रय किये जाने के लिये सहमति दी जा चुकी है।
मीडिया हाउस न्यूज एजेन्सी 2ता.नई दिल्ली-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज (जीएचटीसी) के अंतर्गत छह राज्यों में छह स्थानों पर, आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स (एलएचपी) की आधारशिला रखी। उन्होंने अफोर्डेबल सस्टेनेबल हाउसिंग एक्सेलरेटर्स- इंडिया (आशा- इंडिया) के तहत विजेताओं की घोषणा की और प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी (पीएमएवाई-यू) मिशन के कार्यान्वयन में उत्कृष्टता के लिए वार्षिक पुरस्कार दिए। उन्होंने एनएवीएआरआईटीआईएच (भारतीय आवास के लिए नवीन, सस्ती, विधिमान्य, अनुसंधान नवाचार प्रौद्योगिकी) नाम के नवीन निर्माण प्रौद्योगिकियों पर एक प्रमाणीकरण पाठ्यक्रम भी जारी किया। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, झारखंड, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने, नए संकल्पों को साबित करने का दिन है और आज देश को गरीब, मध्यम वर्ग के लिए घर बनाने के लिए नई तकनीक मिल रही है। उन्होंने कहा कि इन घरों को तकनीकी भाषा में लाइट हाउस प्रोजेक्ट कहा जाता है लेकिन ये 6 परियोजनाएं वास्तव में लाइटहाउस की तरह हैं जो देश में आवास निर्माण के क्षेत्र को एक नई दिशा दिखा रही है।
प्रधानमंत्री ने इन लाइट हाउस परियोजनाओं को वर्तमान सरकार के दृष्टिकोण का एक उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि एक समय में आवास योजनाएं केन्द्र सरकार की प्राथमिकता नहीं हुआ करती थीं, गृह निर्माण की बारीकियां और गुणवत्ता भी नहीं थी। आज, देश ने परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए एक अलग मार्ग और बेहतर तकनीक को अपनाते हुए, अलग दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने सरकारी मंत्रालयों के लिए बड़े और निष्क्रिय ढांचे की नहीं, बल्कि स्टार्टअप की तरह फिट होने वाले ढांचे के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने दुनिया भर से 50 से अधिक उन्नतिशील निर्माण कंपनियों की सक्रिय भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक चुनौती ने हमें नई तकनीक के साथ नया करने और विकास को बढ़ावा देने का अवसर दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी प्रक्रिया के अगले चरण में, विभिन्न स्थानों पर 6 लाइट हाउस परियोजनाओं का काम आज से शुरू हो रहा है। ये लाइट हाउस प्रोजेक्ट आधुनिक तकनीक और नवीन प्रक्रियाओं से बने होंगे और निर्माण के समय को कम करेंगे और गरीबों के लिए अधिक लचीले, किफायती और आरामदायक घर बनाएंगे। उन्होंने बताया कि इन लाइट हाउसों में निर्माण प्रौद्योगिकी में नवाचार हैं। उदाहरण के लिए इंदौर में परियोजना में ईंट और मोर्टार दीवारें नहीं होंगी, इसके बजाय वे पूर्वनिर्मित सैंडविच पैनल प्रणाली का उपयोग करेंगे। राजकोट में लाइट हाउसों को फ्रेंच तकनीक का उपयोग करके बनाया जाएगा और सुरंग का उपयोग करके एक पत्थर की ठोस निर्माण तकनीक होगी। ये घर आपदाओं को झेलने में अधिक समर्थ होंगे। चेन्नई में, यूएस और फिनलैंड की प्रौद्योगिकियां प्रीकास्ट कंक्रीट प्रणाली का उपयोग करेंगी, जिससे घर का निर्माण तेजी से और सस्ता होगा। जर्मनी की 3 डी निर्माण प्रणाली का उपयोग करके रांची में मकान बनाए जाएंगे। प्रत्येक कमरे को अलग से बनाया जाएगा और फिर पूरी संरचना को उसी तरह से जोड़ा जाएगा जैसे लेगो ब्लॉक के खिलौनों को जोड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि अगरतला में स्टील के फ्रेमों के साथ न्यूजीलैंड की तकनीक का उपयोग करते हुए मकान बनाए जा रहे हैं जो भूकंप के बड़े जोखिम को झेल सकते हैं। कनाडा की प्रौद्योगिकी का उपयोग लखनऊ में किया जा रहा है, जिसमें प्लास्टर और पेंट की आवश्यकता नहीं होगी और तेजी से मकान बनाने के लिए पहले से तैयार की गई पूरी दीवारों का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि प्रत्येक स्थान पर 12 महीनों में हजारों घर बनाए जाएंगे जो इंक्यूबेशन केंद्रों के रूप में कार्य करेंगे, जिसके माध्यम से हमारे योजनाकार, वास्तुकार, इंजीनियर और छात्र नई तकनीक के साथ अध्ययन और प्रयोग कर सकेंगे। उन्होंने घोषणा की कि इसके साथ ही निर्माण क्षेत्र में नई तकनीक से संबंधित कौशल उन्नयन के लिए लोगों के लिए एक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया जाएगा, ताकि लोगों को घर के निर्माण में दुनिया की सबसे अच्छी तकनीक और सामग्री मिल सके।
प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि देश के भीतर आधुनिक आवास प्रौद्योगिकी से संबंधित अनुसंधान और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए आशा-इंडिया कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके माध्यम से, 21वीं सदी के घरों के निर्माण की नई और सस्ती तकनीक भारत में ही विकसित की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत पांच सर्वश्रेष्ठ तकनीकों का भी चयन किया गया है। उन्होंने कहा कि शहर में रहने वाले गरीब या मध्यम वर्ग के लोगों का सबसे बड़ा सपना उनका अपना घर होना है। लेकिन वर्षों से, लोग अपना घर होने को लेकर विश्वास खो रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्वास अर्जित करने के बावजूद भी, उच्च कीमतों के कारण मांग कम हो गई है। लोगों ने भरोसा खो दिया है कि क्या वे किसी भी मुद्दे के मामले में कानूनी रूप से खड़े हो सकते हैं। बैंक की उच्च ब्याज दर और ऋण प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयों ने भी घर का मालिक बनने की दिलचस्पी कम कर दी है। उन्होंने एक आम आदमी का विश्वास बहाल करने के लिए पिछले 6 वर्षों में किए गए प्रयासों पर संतोष व्यक्त किया कि उसके पास भी अपना घर हो सकता है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरों में बहुत कम समय में लाखों घर बनाए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्माण में घर-मालिकों की स्थानीय आवश्यकताओं और अपेक्षाओं के अनुसार नवाचार और कार्यान्वयन दोनों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। यह एक पूर्ण पैकेज है क्योंकि प्रत्येक इकाई बिजली-पानी-गैस कनेक्शन से सुसज्जित है। लाभार्थियों के लिए जियो-टैगिंग और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) जैसी प्रौद्योगिकियों के माध्यम से पारदर्शिता सुनिश्चित की जा रही है। मध्यम वर्ग के लिए लाभ के बारे में बात करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि उन्हें होम लोन के ब्याज पर छूट मिल रही है। अधूरी आवास परियोजनाओं के लिए सृजित 25 हजार करोड़ रुपये के विशेष फंड से मध्यम वर्ग को भी मदद मिलेगी। रेरा जैसे उपायों ने घर के मालिकों का विश्वास वापस ला दिया है और उन्हें विश्वास दिलाया है कि उनकी गाढ़ी कमाई के साथ कोई धोखा नहीं होगा। रेरा के तहत 60 हजार परियोजनाएं पंजीकृत हैं और हजारों शिकायतों का निवारण कानून के तहत किया गया है। एक घर की चाबी प्राप्त करना न केवल एक आवास इकाई का कब्जा लेना है, बल्कि यह गरिमा, आत्मविश्वास, सुरक्षित भविष्य, नई पहचान और विस्तार की संभावनाओं के द्वार खोलता है। ‘सभी के लिए आवास’ (हाउसिंग फॉर ऑल) के लिए किए जा रहे चौतरफा कार्य करोड़ों गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। कोरोना महामारी यानि अफोर्डेबल रेंटिंग हाउसिंग कॉम्प्लेक्स स्कीमों के दौरान शुरू की गई नई योजना का भी उल्लेख किया। सरकार एक राज्य से दूसरे राज्य में काम करने के लिए आने वाले श्रमिकों को उचित किराए के साथ आवास प्रदान करने के लिए उद्योग और अन्य निवेशकों के साथ काम कर रही है। उनके आवास की स्थिति अक्सर गंदी और गरिमारहित होती है। श्री मोदी ने कहा कि प्रयास किया जा रहा है कि उन्हें उनके कार्यस्थल के आसपास के क्षेत्र में उचित किराए पर आवास प्रदान किए जाए। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हमारे कामकाजी मित्र सम्मान के साथ रहें। रियल एस्टेट क्षेत्र की मदद के लिए हाल ही में किए गए उपायों को भी याद किया। सस्ते मकानों पर कर में 8 से 1 प्रतिशत की कटौती, जीएसटी में 12 से 5 प्रतिशत की कटौती जैसे उपाय, सस्ते ऋण के लिए इस क्षेत्र को बुनियादी ढांचे के रूप में मान्यता देने से निर्माण की अनुमति से हमारी रैंकिंग 185 से 27 हो गई है। 2000 से अधिक शहरों में निर्माण प्रक्रिया की अनुमति ऑनलाइन ली गई है। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि ग्रामीण भारत में 2 करोड़ से अधिक आवास इकाइयों का निर्माण किया गया है। इस वर्ष ग्रामीण आवास की गति में तेजी लाने का प्रयास किया जाएगा।