मीडिया हाउस रांची – यह कैसा सशक्तिकरण ? सशक्तिकरण का अर्थ है किसी व्यक्ति,समुदाय, या संगठन की आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक, लैंगिक या आध्यात्मिक शक्ति में सुधार।
हम बात करेंगे महिला सशक्तिकरण की।
संविधान के अनुच्छेद 15 (3) मैं यह प्रावधान है कि सरकार महिलाओं के उत्थान के लिए विशेष कानून बना सकती है।उसी के तहत 110 वें संविधान संशोधन में पंचायती चुनाव में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण का प्रावधान है। ताकि महिलाएं पंचायती राज व्यवस्था में बराबर की हिस्सेदारी दर्ज करा सकें।इस अधिनियम के तहत महिलाएं पंचायती चुनाव में भाग लेकर पुरूषों के बराबर में पंचायती राज व्यवस्था में भागीदार हैं।
परंतु क्या यह भागीदारी पूर्ण रूप से महिलाओं के द्वारा निभाई जा रही है?
क्या महिलाएं पंचायती राज व्यवस्था में पूर्ण रूपेण 50% का योगदान दे पा रही हैं?
जवाब आएगा नहीं क्योंकि महिलाओं की भागीदारी अधिकतम जगहों पर महिलाएं केवल हस्ताक्षर करने के लिए होती है, बाकी का काम उनके बदले में उनके पति, रिश्तेदार या कोई अन्य व्यक्ति करता है। महिलाएं अपने अधिकारों का पूर्ण रूप से प्रयोग नहीं कर पाती हैं, वह पद पर रह कर भी किसी और के दबाव में काम करती हैं। कोई और के दबाव में कहने का मतलब उनके रिश्तेदार एवं पति से है ना की किसी सरकारी अफसर से।अधिकतम महिलाएं ऐसी भी चुनी जाती है जो चुनाव में घर से बाहर तक नहीं निकलती तो काम कैसे करेंगे या तो यह भी कह सकते हैं कि उन्हें निकलने नहीं दिया जाता।उनके परिवार के सदस्य केवल अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए इन महिलाओं के नाम का प्रयोग करते हैं, क्योंकि उस पंचायत में तो महिलाओं के लिए आरक्षण है वह पुरुष अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए स्वयं चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। इस वजह से जो महिलाएं आत्मनिर्भर रहती है वैसी महिलाएं चुनकर पंचायती राज व्यवस्था में अपना सहयोग नहीं दे पाते हैं । और ऐसी महिलाएं जो चुन कर आती हैं, चुनाव के पश्चात अधिकतम के केवल पति ही नजर आते हैं, उन्हें तो घर में कैद करके रखा जाता है। जैसे अगर कोई महिला मुखिया है तो सचिवालय का काम से लेकर पंचायती करने तक का सारा काम उनके पति देव यानी मुखिया पति ही करते हैं ।
तो क्या यह सही मायने में महिला सशक्तिकरण है?
मैं उन सभी मुखिया पति एवं पंचायत के महिला प्रतिनिधियों के पतियों से कहना चाहूंगा जो अपने पत्नी के स्थान पर सचिवालय एवं पंचायत का काम देखते हैं कि अगर आपको पत्नी की सेवा करनी ही है, तो घर का काम देखें, एवं घर के कामों में उनका सहयोग करें।
जो काम उन्हें दिया गया है उन्हें स्वयं करने दें, एवं महिला सशक्तिकरण में पूर्ण रूप से योगदान दें, महिलाओं का प्रयोग अपने वर्चस्व के लिए ना करें।
लेखक- समीर कुमार अपराध शास्त्री, झारखण्ड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय रांची
मीडिया हाउस 20ता.रांची
ज़ुल्म सहती हो क्यों..
खुद को सोंच अबला
घूट घूट कर जिती हो क्यों
अपने ही घर में
परायों सा रहती हो क्यों
ज़ुल्म सहती हो क्यों!
तुम्हीं हो जीवन का आधार
फिर भी होता है तेरा तिरस्कार,
तुम्हारे लिए सब अपने
पर तुम्हे वो पराया समझते हैं क्यों
ये तिरस्कार तुम सहती हो क्यों।।
ज़ुल्म से हारकर,
अपनों को त्याग कर
अग्नि में स्वयं को जलाना सही नहीं
और तुम्हे जो अग्नि में जलाए,
वो कोई मर्यादा पुरुषोत्तम राम नहीं।।
तुम उसे राम की तरह पूजती हो क्यों
ज़ुल्म सहती हो क्यों।।
बीच सड़क में, चलती राह में
तुम्हे छेड़ना सही नहीं
अकेले देख कर तुम पर
गन्दी टिप्पणी करना मर्दांगी नहीं
चलती राह पर तुम्हे
छेड़ने वाला सच्चा मर्द नहीं
ये छेड़- छाड़ ये टिप्पणियां,
तुम सुन कर चुप रहती हो क्यों
ये ज़ुल्म सहती हो क्यों।।
तुम ही हो प्रकृति
तुम से ही है सबकी उत्पत्ति
दोहन की जब होती पराकाष्ठा
तब प्रकृति में भी है भूचाल आता
सहनशीलता की पराकाष्ठा का
उदाहरण बनती हो क्यों
ये ज़ुल्म सहती हो क्यों।।
लेखक- समीर कुमार, अपराध शास्त्री
झारखण्ड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय रांची
मीडिया हाउस 18ता.राँची
चाहत की दुनिया मे तेरी इक एहसास ही काफी़ है
तू लाख गलतियाँ कर दे
फिर भी दिल से क्यों माफ़ी है ।
मेरे दिल की तो बस को यही गुस्ताखी है
थोरा सा प्यार हुआ है थोड़ा अभी बाकी हैं।
हमारा तुम्हारा प्यार ऐसे जैसे
मैं आसमान और तू एक पाखी है
मैं उसी पल में रह गया।
जब वो हसते हसते कुछ कह गया
जब वो दुबारा वहाँ लौटकर आया नहीं।
वो प्यार होते होते रह गया एक दिन माद्होशी मे जब वो बह गया
मेरे आसमां मैं है लाख पाखी दोस्तों से वो कह गया
मेरे आसमां मैं है लाख पाखी वो कह गया
अब भी मैं ये सोचता हूँ
तू ऐसा है या मज़बूर हैं
या वो अपनी अईयाशी में ही मगरुर हैं।
मेरे दिमाग़ में एक सवाल तो जरूर हैं।
क्या मैं वहाँ पहुँच ना सका
या वो आसमान ही दुर है।
या आसमान ही दुर हैं।
लेखक- अभिषेक कुमार, राँची
मीडिया हाउस 18ता.राँची
राम की मैं सीता हूँ !
श्याम की मैं राधा हूँ !
नवरात्रे मैं माता हूँ!
किन्तु सच कुछ और है !
ये कलयुग का दौर है !
आज तुम्हारे लिए मैं !
ना माता हूँ ना राधा हूँ !
बस.!
टोटा हूँ!
पटाका हूँ!
आइटम हूँ!
माल हूँ!
कमाल हूँ!
तो बता दूँ!
मैं चँडी भी हूँ!
दुर्गा भी हूँ!
जो पार हो सर से पानी!
तो मैं तेरा सर्वनाश हूँ!
गंगा की पवित्र धार हूँ!
मैं प्रचंड काल हूँ!
माँ की ममता!
संगिनी का प्यार हूँ!
जो दिल में तेरे सच्चाई!
तेरे जीवन का अधूरा सार हूँ!
लेखक-अदिती कुमारी,विधि विज्ञान,झारखण्ड रक्षा शक्ति विश्विद्यालय,राँची,झारखण्ड
मीडिया हाउस 16ता.रांची
क्या मैं अस्तित्वहीन हो चुका हूँ,
अपनी शख्सियत की ज़मीर को खो चुका हूँ,
मेरे सम्मान को ठेंस पहुँचती नही किसी बात पर,
ना जाने ये अब मैं क्या हो चुका हूँ|
ना व्यंग ना ही कटु शब्द कोई असर छोड़ते हैं,
खराब अंक भी मन को नहीं झकझोरते हैं,
कुछ लोगों से बेइज़्ज़ती भी मैं स्वीकार कर लेता हूँ,
माफ कर के केहता हूँ वो मित्र के दोस्त ठेहरते हैं|
कभी कभी एहसास होता है चुप्पी तोड़ना ज़रूरी है,
अपने मन को टटोलना वाकई ज़रूरी है,
दुनिया की नज़रों में मैं क्या बन चुका हूँ,
क्या मैं इस जग मे अस्तित्व खो चुका हूँ|
लोग मुझे नज़रअंदाज़ करते हैं,
मैं जानता हूँ की कई दफ़ा वो मेरा इस्तेमाल करते है,
सब जानकर भी मैं उनके पीछे पड़ा हूँ,
क्या मैं अपना अस्तित्व खो चुका हूँ|
मैं नही जानता मेरे अहं का मर जाना सही है या नही,
कुछ भी बुरा ना लगना बेशर्मी है की नही,
बस एक ही बात मन में लिए घूम रहा हूँ,
क्या मैं अस्तित्वहीन हो चुका हूँ,
ना जाने ये अब मैं क्या बन चुका हूँ|
लेखक-अंकित मिश्रा, रांची झारखण्ड.मोबाइल नं0.8292533485
भारत मां को करती हूं नमन, उनके बेटों को करती हूं सलाम। पुलवामा उरी मुंबई हमलों मैं जिन विरो ने खोए प्राण।
शत-शत नमन है उन वीरों को जिनकी हर श्वास में देश का नाम है ,
भारत मां के उन लहूलुहान सपूतों को मेरा शत-शत प्रणाम है।
पुलवामा के हमलों में हमने जिन वीरों को खोया था ,
भारत का स्थाई तो छोड़ो कर कर भी रोया था ,
चारों ओर उजाला था किंतु हर घर अंधेरा था ,
उस दिन भारत का बच्चा-बच्चा रोया था,
*हमने तो 2 दिन शौक के मना लिया मगर जवानों के परिवार की व्यथा क्या रही होगी ,उन आतंकवादियों ने जवानों के परिवार के साथ क्या किया मैं कुछ पंक्तियों में व्यक्त करना चाहती हूं
छोटे-छोटे बच्चों को बाप से यूं दूर किया,
नई नवेली दुल्हन ने क्यों देश को सिंदूर दिया।
तिल तिल रोई होगी वह मां जिसने अपने कलेजे का टुकड़ा खोया।
सुख से भरे आंगन में दुख के बीज बोए थे।
जो बाप घर की शान होते थे उनकी भी दिल रोए थे।
और तो और उस बहन की राखी के साथ उसका सब कुछ चला गया।
और हर दूसरी गली में एक बाप अपने बेटे की अर्थी लिए खड़ा ।
इस कम उम्र युविका की बात को हल्के में मत लेना
जो हमले तूने करवाएं पड़ेगा हिसाब भी देना।
किस्मत से भी लड़ जाए हम जंजीर हैं ।
ऐसे कि तूफानों में ढल जाए हम तस्वीर हैं ऐसे ।
वाड़ी में ओज भर कर लो अब हम कहने आए हैं ।
दुश्मन भी सर झुका दे हम शमशीर हैं ऐसे।
*देश के दुश्मनों के प्रति हमारे सीने में जो आग है जो चिंगारी है उसे चार पंक्तियां द्वारा व्यक्त करना चाहती हूं
मौत की कब्र पर लिखा वह तेरा नाम अब होगा।
लड़ेगा मौत से तब भी कोई मुकाम ना होगा।
तड़प तड़प की शिद्दत से मिली खुशियां तुझे जो भी,
कान खोल के सुन लो आंतकवादियो,
अगर हमसे जो उलझेगा तेरा अंजाम क्या होगा।Unnatideep*उन्नतिदीप*मीडिया हाउस 30 ता.
उड़ कर आसमान मे
आसमान चूम लूँ
डोर से जुड़ कर
ख्वाब बून लूँ
क्योंकि मै एक पतंग हूँ।।
हवा के साथ चलूँ
चिड़ियों संग गुन गुनाऊँ,
डोर धिलि कर साथी
मै तो बस उड़ती जाऊँ।
क्योंकि मै एक पतंग हूँ।।
ऊपर से नज़रा कितना
प्यारा लग रहा था,
पेड़ भी हरे चादर से ढका
एक सहारा लग रहा था।।
मै तो यह सब देख
सबकी तस्वीरे ख़िचती रहूँ
खुले आसमान मे उड़ कर ,
बादलो कि सुनती रहूँ।
क्योंकि मै एक पतंग हूँ।।
मै तो उड़ती रहूंगी ,
मेरा क्या काम।
जाउंगी तब तक घर नही,
जब तक हो जाए ना शाम।
ये सारी यादे लेकर चल दूँ,
लेकिन मै अब भी ,
इस डोर के संग हूँ
क्योंकि मै एक पतंग हूँ ।।
ऋषिका, रांची मीडिया हाउस
मीडिया हाउस अंकित मिश्रा लेखक, 3 ता. वाराणसी – आजादी के बाद से चल रही हमारे पड़ोसी या पट्टीदार देश पाकिस्तान से दुश्मनी और हो रहे लगातार आतंकी हमले की समस्या पर नववर्ष की वेला पर विचार करके समस्या समाधान करने का संकल्प लेने का आवाह्वान भारत ही नही बल्कि दुनिया भर के देशों से किया था। सभी जानते हैं कि पाकिस्तान दुनिया के सम्पन्न देशों के सामने आतंकवाद का रोने रोकर उसे मिटाने के नाम सहायता रुपी भीख मांगता है और उसे आतंकवाद को बढ़ावा देने में खर्च करता है। आतंकवाद के सफाये के नाम पर वह दुनिया को बेवकूफ बना कर उनसे सहायता लेता रहा है। सहायता देने वालों में अमेरिका सबसे आगे है और हर साल वह पाकिस्तान को अच्छी खासी मदद देता है। पाकिस्तान उस धनराशि को अपने यहाँ चल रहे छोटे बड़े सभी आतंकी संगठनों को देकर आतंकवाद की खेती करवा कर दुनिया में उसका निर्यात कर रहा है।अमेरिका खुद इस्लामिक आतंकवाद का खामियाजा भुगत रहा है।अबतक भारत जब सहायता से आतंकी संगठन चलाने की बात कह रहा था तब किसी की समझ में उसकी नही आ रही थी और तमाम विरोध के बावजूद अबतक सहायता दे रहा था। पाकिस्तान अमेरिका की सहायता के बल पर भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देकर अपनी दुश्मनी अदा कर रहा था। कहावत कि -” जाके पाँव न गयी बेवाई ते कां जाने पीर पराई”। बिल्कुल यहाँ स्थिति अमेरिका की भी थी और उसे भारत के दर्द का अहसास उतना नहीं हो रहा था जितना होना चाहिए। अगर भारत के दर्द का अहसास होता तो अमेरिका उसे दशकों पहले सहायता देना बंद कर चुका होता। हम ईश्वर को धन्यवाद देना चाहते हैं कि उसने समय रहते अमेरिका की आँखें खोल दी हैं और उसने नववर्ष की वेला पर माना है कि उसे बेवकूफ बना कर पाकिस्तान उससे मदद लेता और आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ लहजे में कहा कि पाकिस्तान को मदद देना बेवकूफी थी और पन्द्रह सालों से हम मूर्ख बने थे लेकिन अब आगे ऐसा नहीं होगा।राष्ट्रपति ने कहा कि वह उन्हें क्या पता था कि जिन आतंकियों की तलाश अबतक वह अफगानिस्तान में कर रहे थे वह सब पाकिस्तान में शरण लिये हुये हैं।वहाँ की सरकार उन्हें संरक्षण ही नहीं दे रही है बल्कि वह आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है।उन्होंने कहा कि अब तक पन्द्रह सालों में पाकिस्तान को आतंकवाद खात्मे के नाम पर तैतिस अरब डालर की मदद ले चुका है। वह हमारे नेताओं को बेवकूफ समझता है और उसने धोखा फरेब के अतिरिक्त हमें कुछ नहीं दिया है। राष्ट्रपति ट्रंप प्रशासन इससे पहले भी कई बार इस पर फटकार लगा चुका है फिर सहायता देने का क्रम यथावत जारी था।इक्कीसवीं सदी के इस नववर्ष की मंगल वेला पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का सदबुद्धि भरा बयान अपने आप में अभूतपूर्व एवं प्रकृति द्वारा प्रदत्त लगता है। राष्ट्रपति के बयान आते ही पाकिस्तान में खलबली मच गयी है और सामने अंधेरा छा गया है। पहली बार उसे लग रहा है कि उसने अमेरिका जैसे देश को बेवकूफ बनाकर गलती की है।राष्ट्रपति के बयान के आते ही पाकिस्तान के प्रतिभूति विनयम आयोग की नववर्ष की वेला पर पाकिस्तानी आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के चंदा वसूलने पर रोक लगा दी है साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ की सूची में शामिल में प्रतिबंधित सगंठनों समितियों के चंदे पर आनन फानन में रोक लगा दी है।संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रतिबंधित सूची के अलावा भी तमाम ऐसे संगठन पाकिस्तान में हैं जो धर्म के नाम चंदा वसूलकर आतंकवाद की नर्सरी पैदा कर रहे हैं।इसके बावजूद कुछ आतंकी संगठनों को सिर्फ और सिर्फ भारत का अमन चैन छीनने के लिये तैयार करके उनकी लगातार भारत की सीमा में घुसपैठ कराई जा रही है। पाकिस्तान में पल रहे तमाम ऐसे धार्मिक संगठन हैं जो अब तक आतंकी सूची शामिल नहीं हो सके हैं जबकि भारत लगातार इन्हें सूची में शामिल करने की मांग संयुक्त राष्ट्र संघ व अमेरिका से कर रहा है।।