क्या आपको पता है देश के पहले चुनाव की कहानी, जिसकी तैयारी में लगे थे पूरे पांच साल
मीडिया हाउस 20ता.देश में चुनाव के लिए प्रक्रिया जुलाई 1948 में ही शुरू हो गई थी, लेकिन संविधान न होने से चुनाव कराना आसान नहीं था। ऐसे में पहले 26 नवंबर, 1949 को संविधान पारित हुआ और 26 जनवरी, 1950 को इसे लागू किया गया। इसके बाद भारत को चुनाव कराने के लिए नियम और उपनियम मिले। हालांकि, यह एक असाधारण सफर की सिर्फ शुरुआत थी। संविधान लागू होने के बाद चुनाव आयोग का गठन किया गया।
चुनाव चिह्न, मतपत्र और अधिकारियों को प्रशिक्षण
चुनाव के लिए जनगणना के आंकड़ों के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र तय किए जाने थे, जो साल 1951 में हो पाया। फिर देश की ज्यादातर अशिक्षित आबादी के लिए, सभी दलों के चुनाव चिह्न डिजाइन करने, मतपत्र और मतदान पेटी बनाने से जुड़ी समस्याएं भी सामने खड़ी थीं।
मतदान केंद्र भी बनाए जाने थे, साथ ही यह भी पक्का करना था कि केंद्रों के बीच सही दूरी हो। मतदान अधिकारियों को नियुक्त कर प्रशिक्षण देना भी जरूरी था, क्योंकि चुनाव पहली बार हो रहे थे तो यह सबसे बड़ी समस्याओं में से एक था।
…और फिर भारत बना विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र
भारत में स्वतंत्रता के पांच वर्ष बाद 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव के समय देश की जनसंख्या करीब 36 करोड़ थी।मतदान करने के लिए उसी उम्र को योग्य माना गया, जो उस समय विश्व भर में अपनाई जा चुकी थी। ऐसे में तय हुआ कि 21 वर्ष और उससे ज्यादा आयु वाले सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार मिले।इसके बाद जब पहले लोकसभा चुनाव हुए तो देश के करीब 17.3 करोड़ नागरिक मतदान करने की योग्यता रखते थे। और फिर जब चुनाव हुए तो चुनाव योग्य आबादी में से 45.7% मतदाता पहली बार मतदान करने के लिए अपने घरों से बाहर निकले। इसके साथ ही भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र बन गया था। जहां लोगों ने, लोगों के लिए एक सरकार चुनी।