कागा सब तन खाइयो,। चुन चुन खाइयो माँस।। दो नैना मत खाइयो। मोहे अच्छे दिन की आस।

मीडिया हाउस 22ता.कागा सब तन खाइयो,। चुन चुन खाइयो माँस।।
दो नैना मत खाइयो। मोहे अच्छे दिन की आस।।बिहार में प्रथम चरण में सिर्फ 48% मतदान सत्ताधारियों के लिए खतरे की घंटी।। मजदूर, युवा, और गरीब रोज़गार की आस में: आधा बिहार बाहर है, और जो बचा है उनमें से आधे को गर्मी लग रही है। पसीना बहेगा तो वजन कम हो जाएगा। BJP Bihar के लिए उत्तम क्षण है। इनसे बूथ तक लोग लाए नहीं जा पा रहे हैं। चार सौ पार निश्चित है : – विजय कुमार गुप्ता-संस्थापक-रौनियार फाउंडेशन-भारत।
पहले चरण की वोटिंग में क्या कहती है भारत की जनता ?
1. कोई लहर नहीं , न सत्ता पक्ष के लिये ना बदलाव के लिए।
2. वोटर में पहले के मुक़ाबले कम उत्साह।
3. ये silent चुनाव है।कोई कुछ नहीं बोल रहा।
4. Modi is the now normal:लोगों को लगता है उन्हें हराना मुश्किल है।अब वो व्यवस्था और आम जीवन में पूरी तरह स्थापित हो चुके हैं।इसलिए बीजेपी के कार्यकर्ता भी ज़्यादा मेहनत नहीं कर रहे।
5. 2019 में पुलवामा हमले के बाद लोगों में अचानक जागृति आई थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं है।
6. राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के 4-6 हफ़्ते में चुनाव हो जाता तो बीजेपी को ज़्यादा लाभ मिलता।
7. साल 2014 में बदलाव की लहर थी।मोदी बदलाव का चेहरा थे।2019 में मोदी में उम्मीद दिखती थी, लोग चाहते थे उन्हें और समय मिलना चाहिए, विपक्ष उनके नायक को काम नहीं करने दे रहा इसलिए मज़बूत बहुमत दिया ताकि मोदी को free hand मिले।2024 में जनता का नायक स्थापित हो चुका है।लोगो को लगता है अब मोदी सम्राट की तरह हैं उन्हें कोई हटा नहीं सकता।इसलिए उनके एक वोट से कुछ नहीं होगा।
8. जो बदलाव चाहते हैं उन्हें रास्ता और चेहरा समझ नहीं आ रहा इसलिए शायद ऐसे लोग भी वोट डालने नहीं निकले।कुल मिला कर उत्साह हीन चुनाव। ऐसा मैच जिसके आख़िरी ओवर और आख़िरी बॉल तक जाने की संभावना नहीं के बराबर है इसीलिए चुनावी स्टेडियम ख़ाली है।
9. जो धुँआधार प्रचार और चुनावी उत्साह सोशल मीडिया और टीवी पर दिख रहा है वो ज़मीन से ग़ायब है।लोगों में उसका आधा उत्साह भी नहीं है।मतलब सोशल मीडिया पर IT Cell वाले डिजिटल कार्यकर्ता ज़बरदस्ती का माहौल बनाये हुए हैं जो मोबाइल फ़ोन तक ही सीमित है।सड़कों पर शांति है।
10. वोटिंग परसेंटेज कम होता जा रहा है इस पर भाजपा नेताओं को मंथन करना चाहिए ,शायद हो सकता है जो नेता लोग/सरकारें भेदभाव की नीति अपनाते हैं उसकी वजह से ऐसा हो रहा हो।कुछ लोगों को बहुत कुछ मिल रहा है और कुछ लोगों को कुछ भी नहीं।
11.क्या इस चुनाव से यह बात साफ हो जाएगी कि भारत के लगभग पचास प्रतिशत लोगों को लोकतंत्र की इस व्यवस्था पर भरोसा नहीं है। मतदाताओं से मेरा पुनः आग्रह है की:मतदान अपना कर्तव्य है और अधिकार भी है। मतदान से हम एक तरह से अपने देश का पांच वर्ष के लिए भविष्य निर्धारित करते हैं। इसलिए देश के हित को ध्यान में रखकर सब लोगों को मतदान करना चाहिए। अपना विचार स्वयं करके मतदान करना चाहिए। और इसलिए आने वाले मतदान तिथियों के दिन सबसे पहला व्यक्तिगत कार्य आपको यह करना है, कि मतदान करने ज़रूर जाए।”