सिर्फ 3 रुपये के चक्कर में इंजीनियर से क्रिकेटर बन गए अजीत वाडेकर
नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट जगत में जब भी बेहतरीन कप्तान की बात आती है तो कपिल देव, सौरव गांगुली, एमएस धोनी और अब रोहित शर्मा का नाम आता है, लेकिन क्या आपको पता है, इन सबसे पहले एक नाम ऐसा था जिसने भारतीय क्रिकेट की नींव को मजबूत किया था। वो नाम है अजीत वाडेकर का, जिन्होंने वेस्टइंडीज और इंग्लैंड की धरती पर भारत को पहली टेस्ट सीरीज में जीत दिलाई।
टीम इंडिया के बेस्ट कप्तानों में शुमार अजीत के क्रिकेटर बनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। वो बेहतरीन ‘स्लिप फील्डर’, आक्रामक बल्लेबाज, शानदार कप्तान और भारतीय टीम के एक सफल कोच रहे हैं।
अजित वाडेकर वह कप्तान हैं, जिन्होंने वेस्टइंडीज और इंग्लैंड को उसके घर में धूल चटाई थी। इंग्लैंड में टीम इंडिया को पहली सीरीज में जीत दिलाने वाले कप्तान अजित वाडेकर का 77 की उम्र में लंबी बीमारी के बाद मुंबई में 15 अगस्त 2018 को निधन हुआ था।
वाडेकर एक महान शख्सियत थे और उनके क्रिकेटर बनने की कहानी भी बड़ी रोचक है। सिर्फ 3 रुपए के लालच में अजीत के क्रिकेटर बनने की कहानी शुरू हुई, नहीं तो उनका फोकस इंजीनियर बनने पर था।
ये कहानी तब शुरू हुई, जब एक बार वाडेकर पूर्व भारतीय क्रिकेटर बालू गुप्ते के साथ बस में कॉलेज जा रहे थे। बालू गुप्ते उनके ही कॉलेज में दो साल सीनियर थे। गुप्ते आर्ट्स में थे और वाडेकर विज्ञान के छात्र थे।
वाडेकर इंजीनियर बनना चाहते थे। बालू और वाडेकर एक ही बस से कॉलेज जाते थे। एक दिन बालू गुप्ते से उनसे पूछा, “अजीत क्या तुम हमारी कॉलेज क्रिकेट टीम के 12वें खिलाड़ी बनोगे?’ उनकी प्लेइंग 11 बेहतरीन थी, लेकिन उनके पास मैदान पर पानी ले जाने वाला खिलाड़ी नहीं था।
वाडेकर ने अपनी क्रिकेटर बनने की कहानी सुनाते हुए बताया था कि इसके लिए उन्हें एक दिन के लिए 3 रुपए का ऑफर मिला था। 1957 में तीन रुपए की कीमत बहुत होती थी। यहीं से उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा और धीरे-धीरे उन्हें ये खेल पसंद आ गया और उन्होंने भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अपना नाम सदा के लिए अमर कर लिया।
अजीत वाडेकर ने 1966 से 1974 के बीच भारतीय टीम के लिए खेला। आक्रामक बल्लेबाज और कैप्टन कूल के रूप में वाडेकर ने 1958 में प्रथम श्रेणी में डेब्यू किया और 1966 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा।
उन्होंने तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी की और उन्हें सबसे बेहतरीन स्लिप क्षेत्ररक्षकों में से एक माना जाता था। वाडेकर ने भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी भी की, जिसने 1971 में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड में श्रृंखला जीती।
वाडेकर का टेस्ट करियर ज्यादा लंबा नहीं चला। करीब 8 साल के करियर में उन्होंने सिर्फ 37 टेस्ट मैच खेले। इसमें उनके नाम 1 शतक और 14 अर्धशतक समेत 2,113 रन हैं। फर्स्ट क्लास करियर में उनका रिकॉर्ड ज्यादा शानदार था। यहां उन्होंने 237 मैचों में 15,380 रन बनाए, जिसमें 36 शतक थे और 47 का औसत था। उन्होंने भारत के लिए दो वनडे मैच भी खेले, जिसमें उन्होंने 73 रन बनाए।
वाडेकर का जन्म 1 अप्रैल 1941 में मुंबई (तत्कालीन बंबई) में हुआ था। साल 2018 में 77 साल की उम्र में वाडेकर दुनिया को अलविदा कह गए। भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार (1967) और पद्मश्री (1972) से सम्मानित किया था।
–आईएएनएस
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