अमेरिका ने फार्मा उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने की बनाई योजना, पहले निशाने पर चीन

नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। वाणिज्य सचिव हॉवर्ड ल्यूटनिक ने रविवार को एक मीडिया आउटलेट को दिए साक्षात्कार में कहा कि अमेरिका अगले एक या दो महीने में दवा उत्पादों, विशेषकर चीन से आयातित दवाओं पर टैरिफ बढ़ाने की योजना बना रहा है।

हॉवर्ड ल्यूटनिक ने कहा, “हमें जिन मूलभूत चीजों की जरूरत है, जैसे कि दवाइयां और सेमीकंडक्टर, उसके लिए हम चीन पर निर्भर नहीं रह सकते।”

उन्होंने आगे कहा, “हमें जिन मूलभूत चीजों की जरूरत है, उनके लिए हम विदेशी देशों पर निर्भर नहीं रह सकते।”

यह बयान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल कमेटी में की गई घोषणा के तुरंत बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका जल्द ही आयातित दवाओं पर ‘बड़ा’ टैरिफ लगाएगा।

ल्यूटनिक ने कहा, ” ये ऐसी चीजें हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हैं और जिन्हें हमें अमेरिका में ही बनाने की जरूरत है।”

अब तक फार्मास्यूटिकल्स को अमेरिका की व्यापक टैरिफ दरों से बाहर रखा गया है, क्योंकि देश अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को चलाने के लिए चीन और भारत जैसे देशों से उपलब्ध सस्ती जेनेरिक दवाओं पर निर्भर है। यह एक बड़ी मदद है, क्योंकि अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियां उन्हीं दवाओं को बहुत ऊंचे दामों पर बेचती हैं जो अक्सर आम उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर होती हैं।

चूंकि चीन अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध में उलझा हुआ है, इसलिए साम्यवादी देश से दवा निर्यात स्पष्ट रूप से पहला लक्ष्य है। उद्योग सूत्रों के अनुसार, इससे अल्पावधि के लिए भारतीय जेनेरिक दवाओं पर निर्भरता बढ़ेगी।

दिल्ली के स्मॉग को रोकने में आप पूरी तरह से नाकाम : बांसुरी स्वराज

अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली 45 प्रतिशत से ज्यादा जेनेरिक दवाएं भारत में बनती हैं। डॉ रेड्डीज, अरबिंदो फार्मा, जाइडस लाइफसाइंसेस, सन फार्मा और ग्लैंड फार्मा जैसी भारतीय फार्मा दिग्गज कंपनियां अपनी आधी से ज्यादा आय अमेरिकी उपभोक्ताओं से कमाती हैं।

भारत का दवा उद्योग अमेरिका से बहुत करीब से जुड़ा हुआ है। फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में भारत के कुल 27.9 बिलियन डॉलर के फार्मा निर्यात में अमेरिका का हिस्सा 8.7 बिलियन डॉलर था।

अमेरिका काफी हद तक कम लागत वाली भारतीय जेनेरिक दवाओं पर निर्भर है और शुल्क वृद्धि से कीमतें बढ़ेंगी तथा आवश्यक दवाओं, विशेषकर एंटीबायोटिक्स और सामान्य उपचारों की कमी हो जाएगी।

इसके अलावा, भारत अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए बातचीत कर रहा है। उम्मीद है कि बातचीत के दौरान इस तथ्य को ध्यान में रखा जाएगा कि अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक जेनेरिक दवाएं सस्ती कीमतों पर उपलब्ध रहें।

–आईएएनएस

पीएसके/सीबीटी

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *