ब्रिक अनुसंधान सामंजस्य स्थापित करने, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की शक्ति को बढ़ाने में अहम : केंद्र
नई दिल्ली, 10 नवंबर (आईएएनएस)। जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और नवाचार परिषद (ब्रिक) ने शनिवार को अपना पहला स्थापना दिवस मनाया। इस दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा कि अनुसंधान में सामंजस्य स्थापित करने, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की शक्ति को बढ़ाने में ब्रिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने पिछले साल 10 नवंबर को 14 स्वायत्त संस्थानों (एआई) को शामिल करके ब्रिक की स्थापना की थी।
ब्रिक जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उत्कृष्टता और नवाचार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
ब्रिक के पहले स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव और ब्रिक के महानिदेशक राजेश एस गोखले ने कहा, ” बीआरआईसी अनुसंधान में सामंजस्य स्थापित करने, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की शक्ति को बढ़ाने और रूपांतरित करने के संदर्भ में मूल्य और प्रभाव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।” इस कार्यक्रम में 15 आईबीआरईसी संस्थानों के विभिन्न अधिकारियों, शोधकर्ताओं और छात्रों ने भाग लिया।
मुख्य अतिथि अमिताभ कांत ने विभाग के प्रयासों को सराहा और कहा कि “बीआरआईसी देश के लिए एक ऐतिहासिक संस्थान होगा।”
9 नवंबर को, “विज्ञान से उद्यमिता की ओर दौड़ (आरएएसई)” नामक एक प्रतियोगिता आयोजित की गई थी।
इस प्रतियोगिता का उद्देश्य आईबीआरईसी प्लस संस्थानों में पोषित युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना था, ताकि उन्हें जैव विज्ञान के व्यावसायीकरण से जुड़े मुद्दों, विशेष रूप से बायोई3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति में उल्लेखित विषयगत क्षेत्रों से अवगत कराकर उनके उद्यमशीलता कौशल को विकसित किया जा सके।
10 नवंबर को,आईबीआरईसी प्लस संस्थानों और डीबीटी के लिए खेल मीट और एक मिलन समारोह की योजना बनाई गई थी, ताकि डीबीटी-आईबीआरईसी प्लस परिवारों के बीच सद्भाव, शारीरिक फिटनेस, टीमवर्क और बॉन्डिंग को बढ़ावा दिया जा सके।
स्पोर्ट्स मीट में क्रिकेट, बैडमिंटन, टेबल टेनिस और शतरंज जैसी स्पर्धाएं शामिल की गई।
मंत्रालय ने कहा, “ब्रिक विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और उम्मीद है कि इससे भारतीय जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को बढ़ावा देने में सराहनीय परिणाम प्राप्त होंगे।”
–आईएएनएस
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