नौकरी ढूंढने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनें, तभी भारत बनेगा दुनिया में नंबर वन : आतिशी

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी शुक्रवार को दिल्ली सरकार के नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं और स्नातक छात्रों को डिग्री प्रदान कर सम्मानित किया। समारोह में उपराज्यपाल वीके सक्सेना और एचसीएल के को-फाउंडर अजय चौधरी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

इस अवसर पर आतिशी ने कहा कि हमारे युवा देश से बेरोजगारी की समस्या दूर करने के लिए नौकरियां ढूंढने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बनें। जब हमारी यूनिवर्सिटीज से स्टूडेंट्स नौकरी ढूंढने वाले के बजाय उद्यमी बनकर निकलेंगे, तो भारत दुनिया का नंबर एक देश जरूर बनेगा।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के सभी यूनिवर्सिटीज में भी महीने भर में बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम की शुरुआत होगी। बिजनेस ब्लास्टर्स से दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे उद्यमी बन रहे हैं और लोगों को नौकरियां दे रहे हैं। अब ये प्रोग्राम हमारी यूनिवर्सिटीज में भी स्टूडेंट्स को उद्यमी बनने का मौका देगा। आज हमारे देश में कई समस्याएं हैं। लेकिन, एक समस्या जो युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है, वो बेरोजगारी की है। ये बहुत खुशी कि बात है कि इस साल एनएसयूटी के 81 प्रतिशत ग्रेजुएट्स की प्लेसमेंट हुई है और उन्हें लाखों के पैकेज मिले। लेकिन, हमारी यूनिवर्सिटीज को उससे ज़्यादा ये सोचने की जरूरत है कि हमारे स्टूडेंट्स कितनी नौकरियां तैयार कर रहे हैं और कितने रोजगार के अवसर तैयार कर रहे हैं।

आतिशी ने कहा कि कुछ समय पहले की एक रिसर्च के अनुसार 2030 तक भारत में 90 मिलियन नॉन-एग्रीकल्चर नौकरियों की जरूरत है। लेकिन, हमारा पूरा एजुकेशन छोटी उम्र से ही स्टूडेंट्स को इस बात के लिए तैयार करता है कि अच्छे से पढ़ाई करो ताकि अच्छी नौकरी मिल सके, लेकिन बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए अब हमारे संस्थानों को अपने स्टूडेंट्स को नौकरी ढूंढने वाला नहीं, बल्कि उन्हें नौकरी देने वाला बनाने पर फोकस करने की जरूरत है।

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उन्होंने बिजनेस ब्लास्टर्स के कुछ युवा उद्यमियों की कहानी साझा करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के शकरपुर स्कूल में पढ़ने वाले आशीष के पिता सिक्योरिटी गार्ड और मां गृहणी हैं। आशीष अपने चार अन्य दोस्तों के साथ 10 हजार रुपये की सीडमनी के साथ दो साल से “एके. लॉजिस्टिक्स” नाम की अपनी कंपनी चला रहे हैं और आज इनकी मासिक आय दो लाख रुपये है और इनकी कंपनी में 50 लोग काम करते हैं। एक और स्टूडेंट जिसके पिता प्लास्टिक के दोने बेचने का काम करते हैं, उसने अपनी टीम के साथ एक इको-फ्रेंडली बिजनेस शुरू किया। इसमें डिस्पोजेबल बर्तन बनाने के लिए प्लास्टिक के बजाय गन्ने के फाइबर से बने मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है। आज 12वीं क्लास का वो स्टूडेंट 40 लोगों को रोजगार देता है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एबीएम

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