54वां-राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह अभियान-2025-मुकेश कुमार सिंह

मीडिया हाउस न्यूज एजेंसी सोनभद्र-(सुरक्षा और स्वास्थ्य: विकसित भारत के लिए अत्यावश्यक) (“Safety and Well-being Crucial for a Developed India”) – सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 3. भारत ने 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त की और तब से यह देश अपने भविष्य को लेकर एक बड़ा सपना देख रहा है—2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का। यह उद्देश्य केवल भारत की आर्थिक समृद्धि, प्रौद्योगिकी में उन्नति, और बुनियादी ढांचे की प्रगति से नहीं, बल्कि यह उस राष्ट्र की समग्र स्थिति से निर्धारित होता है, जिसमें हर नागरिक को एक सुरक्षित, स्वस्थ और समृद्ध जीवन जीने का अवसर मिले। “Mission Developed India by 2047” (विकसित भारत@2047) में केवल आर्थिक विकास की बात नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज के हर क्षेत्र की समग्र उन्नति को संदर्भित करता है। और इस समग्र उन्नति में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है— हमारे नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण।
1.सुरक्षा और कल्याण: राष्ट्र की प्रगति का आधार: विकसित राष्ट्र की परिभाषा केवल उच्च जीवन स्तर, मजबूत अर्थव्यवस्था और उन्नत तकनीकी ढांचे तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि एक विकसित राष्ट्र वह होता है जहां नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण भी सर्वोच्च प्राथमिकता होती है। यह सही है कि किसी भी राष्ट्र का असली विकास केवल उसकी GDP से मापा नहीं जा सकता। बल्कि, यह उसकी स्वास्थ्य, सुरक्षा, और उत्पादकता से परिलक्षित होता है। जैसे महात्मा गांधी ने कहा था, “संपूर्ण राष्ट्र का सुख-शांति और समृद्धि, केवल उस राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक के स्वास्थ्य और कल्याण से ही मापी जा सकती है।” इसलिए, सुरक्षा और कल्याण में निवेश करना सिर्फ एक नैतिक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक सतत विकास के लिए रणनीतिक आवश्यकता है।
2.कार्यस्थल पर सुरक्षा: एक निवेश की आवश्यकता: औद्योगिक क्षेत्र में सुरक्षा की कमी, न केवल मानव जीवन के लिए खतरा उत्पन्न करती है, बल्कि यह एक राष्ट्र की आर्थिक प्रगति को भी रोकती है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के आंकड़ों के अनुसार, हर साल वैश्विक GDP का 4% नुकसान औद्योगिक दुर्घटनाओं और बीमारियों के कारण होता है। भारत में यह आंकड़ा अरबों डॉलर तक पहुंचता है, जिसके कारण उत्पादकता में गिरावट, बढ़ी हुई स्वास्थ्य देखभाल लागत, कानूनी दायित्व और मुआवजा भुगतान जैसे आर्थिक प्रभाव होते हैं। “The true cost of an accident is not just financial; it is the irreversible loss of human potential.” “किसी दुर्घटना की वास्तविक लागत सिर्फ वित्तीय नहीं होती; यह मानवीय क्षमता की अपूरणीय क्षति होती है”।
3.दुर्घटनाओं का मानवीय और आर्थिक प्रभाव: औद्योगिक दुर्घटनाएँ न केवल उत्पादकता को प्रभावित करती हैं, बल्कि कई बार मानव जीवन की कीमत भी चुकानी पड़ती है। औद्योगिक दुर्घटनाओं के कारण, भारत में हर साल लगभग 48,000 लोग अपनी जान गंवा देते हैं। यह आंकड़ा न केवल मानवता पर एक गहरा धक्का है, बल्कि राष्ट्र की मानव संसाधन के लिए भी एक गंभीर संकट है। मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति भी लगातार बिगड़ रही है, और रिपोर्टों के अनुसार, हर सात में से एक कामकाजी व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य विकारों का शिकार है, जिससे अनुपस्थिति और कार्यकुशलता में गिरावट आ रही है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को नज़रअंदाज करना केवल व्यक्तिगत नुकसान नहीं, बल्कि एक पूरे राष्ट्र की आर्थिक शक्ति को कमजोर करना है।
4.सुरक्षा का आर्थिक लाभ: सुरक्षा और कल्याण में निवेश करना केवल एक नैतिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह आर्थिक लाभ का एक बड़ा स्रोत बन सकता है। कई ग्लोबल केस स्टडीज़ यह साबित करती हैं कि जिन उद्योगों में सुरक्षा की संस्कृति मजबूत होती है, वहां न केवल सुरक्षा अधिक होती है, बल्कि लाभ भी अधिक होता है। हावर्ड बिजनेस रिव्यू की एक स्टडी में यह पाया गया कि कंपनियाँ जो अपने कर्मचारियों की भलाई में अधिक निवेश करती हैं, उनकी उत्पादकता में 21% वृद्धि, अनुपस्थिति में 41% कमी, और कर्मचारियों के टर्नओवर में 24% की कमी होती है। यह आंकड़े दिखाते हैं कि सुरक्षा और कल्याण में निवेश, न केवल श्रमिकों के लिए, बल्कि कंपनियों और राष्ट्र के लिए भी लाभकारी साबित होता है।
5.मानसिक स्वास्थ्य का महत्व: आज के समय में मानसिक स्वास्थ्य कोई गुप्त या उपेक्षित मुद्दा नहीं रह गया है। कामकाजी जीवन में तनाव, कार्य-जीवन संतुलन की समस्या, और मानसिक समर्थन की कमी कर्मचारियों की उत्पादकता और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है। मानसिक स्वास्थ्य को महत्व देने से कर्मचारियों की रचनात्मकता और कार्यक्षमता में वृद्धि होती है, जो नवोन्मेषी अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। “The mind is not a vessel to be filled, but a fire to be kindled.” – Plutarch. इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य में निवेश करना एक समाज के समग्र विकास के लिए अनिवार्य है।
6.एक विकसित राष्ट्र के लिए स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली: कोविड-19 महामारी ने हमें यह सिखाया कि एक मजबूत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली विकसित राष्ट्र की सबसे महत्वपूर्ण नींव है। इसके बिना, कोई भी राष्ट्र अपने नागरिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के बारे में गंभीरता से नहीं सोच सकता। औद्योगिक स्वास्थ्य और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली में निवेश करना अत्यंत आवश्यक है। इसके अलावा, औद्योगिक लापरवाही से उत्पन्न पर्यावरणीय आपदाओं के दीर्घकालिक प्रभावों को देखते हुए, पर्यावरण सुरक्षा पर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। भारत को सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए औद्योगिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ बढ़ावा देना होगा।
7.भारत सरकार की पहल और सुधार: भारत सरकार ने औद्योगिक सुरक्षा और कल्याण में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
1.व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता 2020 – यह कानून उद्योगों में सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करता है और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करता है।
2.आयुष्मान भारत योजना – श्रमिकों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करती है, जिससे उनकी चिकित्सा लागत को कम किया जा सकता है।
3.नेशनल सेफ्टी सप्ताह, विद्युत सुरक्षा सप्ताह, सड़क सुरक्षा सप्ताह – इन अभियानों के माध्यम से औद्योगिक सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने की कोशिश की जाती है।
4.सक्षम (संरक्षण क्षमता महोत्सव) और पर्यावरणीय सुरक्षा कार्यक्रम – ये कार्यक्रम औद्योगिक स्थलों पर स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चलाए जा रहे हैं।
भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हमें सुरक्षा और कल्याण को अपनी विकास यात्रा के सबसे अहम स्तंभ के रूप में स्थापित करना होगा। यह केवल हमारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हमारी आवश्यकता है। किसी भी राष्ट्र की सफलता को केवल उसकी GDP और प्रौद्योगिकी से नहीं मापा जा सकता, बल्कि यह उस राष्ट्र के लोगों के स्वास्थ्य, खुशहाली और सुरक्षा से मापा जाता है। “A Safe India is a Strong India, and a Strong India is a Developed India.”” सुरक्षित भारत ही मजबूत भारत है और मजबूत भारत ही विकसित भारत है”। इसलिए, हम सब को अपने कार्यक्षेत्रों और समाज में सुरक्षा और कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि हम भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बना सकें। मुकेश कुमार सिंह