बीएसएल ने किया हाईकोर्ट के आदेशो की अवहेलना,वन प्रमंडल के बार-बार पत्राचार करने बाद भी नही दिया अप्रूवल बना कार्यालय-सह-आवास
बीएसएल की लापरवाही का नतीजा,बिना एनओसी का बना वन प्रमंडल का कार्यालय सह आवास
मीडिया हाउस न्यूज एजेंन्सी 10ता०बोकारो : बीएसएल की जमीन पर बोकारो वन प्रमंडल का बना कार्यालय सह आवास का मामला तूल पकड़ते जा रहा है। 0.6 एकड में बना आवास का मामला बीएसएल के उपर कई सवालिया निशान खडा कर रहा है। बता दें की वन प्रमंडल पदाधिकारी,बोकारो वन प्रमंडल बोकारो द्वारा 6 जनवरी 24 को बोकारो वन क्षेत्र कार्यालय सह आवास अधिनस्थ भूमि के सबंध में पत्राचार किया गया था की दिनांक 05 जनवरी 2024 को अधोहस्ताक्षरी का सीजीएम टाउनशिप बोकारो स्टील लिमिटेड के साथ हुई वार्ता के क्रम में उनके द्वारा अनुरोध किया गया कि बीएसएल जिस भूमि पर बोकारो वन क्षेत्र कार्यालय-सह-आवास का निर्माण हुआ है उस क्षेत्र का संभवतः भी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से अप्रूवल नहीं हुआ है। उसका भी अप्रूवल आवश्यक है। ज्ञातव्य हो कि बोकारो वन क्षेत्र कार्यालय-सह-आवास के पीछे की भूमि पर फोरेस्ट रिस्ट हाउस सह ऑफिस के निर्माण का प्रस्ताव दिया गया है जिसकी शीघ्र स्वीकृति अपेक्षित है। सीजीएम टाउनशिप द्वारा बताया गया कि दोनों का प्रस्ताव बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को अप्रूवल हेतु भेजा जा रहा है। एक प्रस्ताव को अप्रूवल हेतु भेजा जा चुका है। उनके द्वारा किये गये अनुरोध के आधार पर बन चुके वन क्षेत्र कार्यालय-सह-आवास, जिसका निर्माण 0.6 एकड़ भू-भाग पर हुआ है तथा जिसके संबंध में कई पत्राचार हो चूका है, के एनओसी हेतु पोस्ट फेक्टो अप्रूवल की कार्रवाई की जा सकती है। कि फॉरेस्ट ऑफिस के निर्माण के प्रस्ताव के सक्षम स्तर से अप्रूवल तथा निर्मित वन क्षेत्र कार्यालय-सह-आवास के एनओसी हेतु पोस्ट फेक्टो अप्रूवल की कार्रवाई, करने की कृपा करें ताकि फॉरेस्ट रेस्ट हाउस सह ऑफिस का निर्माण कार्य ससमय गुणवत्तापूर्ण सम्पन्न करवाया जा सकें। अब सवाल यह उठता है की बोकारो वन प्रमंडल द्वारा बीएसएल को बार -बार पत्राचार कर अनुरोध किया गया लेकिन उसके बाद भी बीएसएल ने क्यों बोकारो वन प्रमंडल को ना ही एनओसी दी और ना ही पत्राचार का कोई जवाब दिया गया। इस मामले को लेकर जब वन विभाग के पदाधिकारी वन प्रमंडल रजनीश कुमार से बात किया गया तो उन्होंने बताया की इस भवन का निर्माण कई वर्ष पूर्व मे ही कराया गया है भवन निर्माण से पहले से बीएसएल को विभाग द्वारा कई बार एनओसी के लिए पत्र लिखा गया था और अभी कुछ दिन पूर्व में भी पत्र लिखा गया है पर अभी तक बी एस एल के तरफ से कोई सकारात्मक पहल नहीं हुआ। जब की झारखंड सरकार द्वारा बीएसएल को जमीन दिया गया है जिसमे हाई कोर्ट ने भी कहा था की जब कभी भी सरकार के कार्यो के लिए जमीन की जरूरत पड़ने पर बिना शुल्क जमीन देना होगा लेकिन हाईकोर्ट के इस आदेश का भी बीएसएल द्वारा अवहेलना किया गया है।
.…. बीएसएल के सीओसी मणिकांत धान से इस मामले पर प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की गयी पर उनके द्वारा अब तक या खबर लिखे जाने तक भी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
.…..ऐसे मे अब बडा सवाल यह है की झारखंड सरकार द्वारा बीएसएल को जमीन आवंटित किया गया है जिसमे हाई कोर्ट का साफ निर्देश था की जब भी कभी सरकार के कार्यो के लिए जमीन की जरूरत पड़ने पर बिना शुल्क के जमीन बीएसएल को देना होगा तो आखिर बीएसएल ने वन प्रमंडल के बार -बार पत्राचार करने के बाद भी या हाईकोर्ट के निर्देशानुसार आखिर एनओसी क्यों नही दिया गया और ना ही जवाब दिया गया.यानी साफ तौर पर कहा जाए तो बोकारो बीएसएल ने हाईकोर्ट का खुले तौर पर चुनौती देते हुए उल्लंघन करने का कार्य किया है।