खंडन-गलत सूचना फैलने से बचने के लिए सूचना प्रसारित करने से पहले तथ्यों की जांच करना महत्वपूर्ण है।
मीडिया हाउस न्यूज एजेन्सी नई दिल्ली-यह संक्षिप्त विवरण न्यूज 18 उत्तर प्रदेश उत्तराखंड द्वारा प्रसारित समाचार के उत्तर में है, यह समाचार तथ्यात्मक रूप से गलत और पक्षपातपूर्ण है। समाचार चैनल ने उक्त सड़क पर भूस्खलन से यात्रियों की परेशानी या असुविधा से संबंधित किसी भी फोटो या वीडियो के साथ इसकी पुष्टि नहीं की है।
उत्तरकाशी के बरेठी क्षेत्र में हाल ही में हुई भूस्खलन की घटना के संबंध में गलत सूचना फैलने से बचने के लिए सूचना प्रसारित करने से पहले तथ्यों की जांच करना महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) लोगों को प्रभावित पर्वत के भुरभुरेपन को कम करने के लिए उठाए गए सक्रिय उपायों के बारे में जागरूक करना चाहता है। एनएचआईडीसीएल ने द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम उपाय किए हैं, जो यू-ट्यूब पर भी उपलब्ध हैं: –
उत्तराखंड में बरेठी अत्यधिक खंडित, भुरभुरा/कटा हुआ दीर्घकालिक भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र है, इसके कारण इस क्षेत्र में सड़क पर बहुत कठिनाई और जान-माल की हानि होती है। हमारे विशेषज्ञों की टीम ने पहाड़ के भुरभुरेपन को बढ़ाने वाले भूवैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारकों का गहन मूल्यांकन किया है, जिससे हमें इन्हें दूर करने के लिए अपने समाधान तैयार करने में मदद मिली है। हम प्राकृतिक पर्यावरण की सुरक्षा और स्थिरता को गंभीरता से लेते हैं। हमारी टीम भूस्खलन की घटनाओं को रोकने और पर्वतीय क्षेत्र के लिए रणनीतिक व्यापक उपायों को क्रियान्वित करने में सक्रिय रूप से लगी हुई है।
राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) ने क्षेत्र में स्थिरता लाने और सड़क यात्रियों की सुरक्षा का कार्य किया जिसमें बरेठी भूस्खलन क्षेत्र का दो चरणों में कार्य प्रणाली अपनाई गई: –
स्तर- I. अनुबंध की शर्तों के आधार पर सड़क की पूरी लंबाई के लिए 20 मीटर तक ढलानों का उपचार और स्थिरीकरण किया गया। आगे की सावधानी के लिए 100 मीटर की दूरी के लिए 27 मीटर के अतिरिक्त हिस्से को भी स्थिर किया गया। हालांकि, ढलानों और ढाल के बड़े क्षेत्र के कारण, सड़कों पर तेज़ गति से पत्थर गिरते रहे, जिसके कारण भूस्खलन संभावित क्षेत्र के स्तर- II उपचार की आवश्यकता हुई।
स्तर- II. एक भूस्खलन सुरक्षा गैलरी बनाई गई थी और उस खंड में ज़ोन ए, बी, सी और डी के छोटे क्षेत्रों को डीटी जाल + रॉमबॉइडल जाल, ग्राउटिंग (पतला मसाला भरने का कार्य) सहित रॉक बोल्ट (सुरक्षा के चरण- I प्रणाली के समान) का उपयोग करके स्थिरता के लिए जोड़ा गया था। मौजूदा निर्माण कटिंग का उपयोग भूस्खलन संरक्षण गैलरी के निर्माण के लिए किया गया था। डिजाइन की प्रूफ जांच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रूड़की से कराई गई। यह संरचना 7.5 मीटर गहराई के 200 मिमी व्यास वाले 868 खंभों और पहाड़ी की ओर 800 मिमी X 600 मिमी और घाटी की ओर 975 मिमी X 600 मिमी के पोल कैप पर खड़ी है। संरचना का पहाड़ी भाग 400 मिमी मोटाई की एक कतरनी दीवार और 300 मिमी मोटाई का स्लैब, 600 मिमी X 450 मिमी का बीम और 600 मिमी X 600 मिमी का स्तंभ है। डिज़ाइन के आधार पर ढलान के असंसाधित क्षेत्रों से गिरे हुए मलबे/पत्थरों को समाहित करने के लिए कतरनी दीवार को जानबूझकर पहाड़ी ढलान से दूर रखा जाता है। पत्थरों के गिरने के प्रभाव को सोखने के लिए शीर्ष स्लैब/छत पर 1000 मिमी रेत की कुशन परत बिछाई जाती है। यह संरचना पिछले दो मानसून के दौरान की गई है और यह पूरी तरह से सुरक्षित तथा बरकरार है और यातायात के सुचारू आवागमन के लिए एक सुरक्षित मार्ग बन चुकी है।
भूस्खलन जैसी संभावित चुनौतियों का सामना करने के लिए इसका स्थायित्व और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए सुरंग को अत्याधुनिक तकनीक और निर्माण सामग्री से तैयार किया गया है। हम उत्तरकाशी क्षेत्र के सभी निवासियों और आगंतुकों के लिए एक सुरक्षित और विश्वसनीय माहौल को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं।
सुरंग एक सुरक्षित मार्ग के रूप में विद्यमान है, जो यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देती है और संवेदनशील क्षेत्र को एक विश्वसनीय और संरक्षित मार्ग प्रदान करती है।
सुरक्षा के प्रति राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) की प्रतिबद्धता इस सुरंग के डिजाइन और निर्माण में परिलक्षित होती है, जो इस क्षेत्र से गुजरने वाले सभी लोगों को मानसिक शांति प्रदान करती है। वास्तव में, इस अनूठी संरचना को ऐसे ही स्थलों पर दोबारा अपनाए जाने की आवश्यकता है, जहां आर्थिक रूप से संपूर्ण ढलान उपचार संभव नहीं है।
यहां पूरे क्षेत्र और राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) द्वारा संचालित की गई गतिविधि की कुछ तस्वीरें और वीडियो हैं।
हम समाचार चैनलों से अनुरोध करते हैं कि वे अप्रमाणित टिप्पणियां करने से पहले तथ्यात्मक रूप से जागरूक रहें। साथ ही, यहां यू-ट्यूब पर उसी जगह की खबरों के कुछ लिंक भी उपलब्ध हैं।
यह संरचना उन पर्यटकों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान कर रही है जो इस इस सुरंग के नीचे यात्रा कर चुके हैं। इस कठिन भूस्खलन क्षेत्र के ऐतिहासिक साक्षी रहे स्थानीय लोगों ने बारंबार इसकी प्रशंसा की गई है। यूट्यूब पर सच्चाई को सामने लाने वाले कुछ लिंक यहां दिए गए हैं:
https://www.youtube.com/watch?v=fTOfqr_72IM (20-21 मिनट के बीच जैसा कि ऊपर स्नैपशॉट में देखा गया है)
उत्तरकाशी ओपन टनल दिखाने वाले एक व्लॉगर द्वारा भी होस्ट किया गया, https://www.facebook.com/reel/1370145373765743