Media House कोलम्बो- नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) के श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति बनने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। दिसानायके ने अपने प्रतिद्वद्वियों से अजेय बढ़त बना ली है। पार्टी महासचिव डॉ. निहाल अबेसिंघे के मुताबिक अंतिम चुनाव परिणाम अगर अनुरा कुमारा दिसानायके के पक्ष में घोषित किए गए तो शपथ ग्रहण आज भी हो सकता है। दिसानायके श्रीलंका के 10वें राष्ट्रपति होंगे। गोटाबाया राजपक्षे के पलायन के बाद राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने वाले रानिल विक्रमसिंघे चुनाव में तीसरे नंबर पर हैं। वह इन चुनावों में निर्दलीय उतरे थे।
अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) श्रीलंका की राजधानी कोलंबो से सांसद हैं। वह 2019 में भी राष्ट्रपति चुनाव लड़ चुके हैं और वे अपने कॉलेज के समय से JVP पार्टी से जुड़े हुए हैं। दिसानायके पहली बार 2000 में सांसद चुने गए थे, जिसके बाद 2004 से 2005 तक वे कृषि, पशुधन, भूमि और सिंचाई मंत्री रहे और 2015 से 2018 तक मुख्य विपक्षी सचेतक रहे। दिसानायके को 2 फरवरी 2014 को JVP पार्टी के 17वें राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था।
इस चुनाव में वह नेशनल पीपुल्स पावर और जनता विमुक्ति पेरमुना पार्टी के की और से मैदान में थे। दिसानायके ने राष्ट्रपति पद के लिए नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) गठबंधन के ओर से चुनाव लड़ा था। नेशनल पीपुल्स पावर में मार्क्सवादी-झुकाव वाली पार्टी जनता विमुक्ति पेरेमुना JVP पार्टी शामिल है, दिसानायके भी इसी पार्टी से सांसद हैं।
अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) के मार्क्सवाद और लेनिनवाद की ओर झुकाव को देखते हुए कहा जा रहा है कि वह भारत विरोधी कदम उठा सकते हैं। श्रीलंका के गृह युद्ध में भारत-श्रीलंका के शांत समझौते के जरिए भारत दखल का उन्होंने विरेध किया था। वहीं हाल ही में श्रीलंका में अडानी ग्रुप के 484 मेगावाट वाले 44 करोड़ के समझौते को रद्द करने की भी बात उन्होंने कही थी। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि राष्ट्रपति बनने के बाद वह प्रोजेक्ट को रद्द कर देंगे।
दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) की पार्टी के संसद में केवल तीन ही नेता हैं। उनकी पार्टी अर्थव्यवस्था में चीन के हस्तक्षेप का समर्थन करती है इसके अलावा वह बंद बाजार की आर्थिक नीति को मानते हैं। बता दें कि श्रीलंका के आर्थिक संकट के पीछे भी चीन को ही जिम्मेदार माना जा रहा था। चीन के कर्ज जाल में फंसने के बाद श्रीलंका की हालत खराब हो गई। वहीं बुरे समय में चीन ने उसकी ओर मदद का हाथ भी नहीं बढ़ाया।
रानिल विक्रमसिंघे के विदेश मंत्री अली साबरी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर दिसानायके को जीत की बधाई दी। उन्होंने लिखा कि लंबे अभियान के बाद अब चुनाव के स्पष्ट नतीजे आ गए हैं। मैं जनादेश का सम्मान करता हूं। बता दें कि दिसानायके की पार्टी को पिछले चुनाव में केवल तीन फीसदी वोट हासिल हुए थे। इस बार उन्होंने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया और श्रीलंका की किस्मत बदलने का सपना दिखाकर लोकप्रिय हो गए।