वित्त वर्ष 2025 में सरकार की खपत वृद्धि में सुधार का अनुमान

नई दिल्ली, 2 फरवरी (आईएएनएस)। रविवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य और केंद्र सरकारों के राजस्व व्यय में वृद्धि को देखते हुए वित्त वर्ष 2025 में सरकारी खपत वृद्धि में सुधार होने का अनुमान है, जबकि निजी खपत वृद्धि ग्रामीण मांग, मुद्रास्फीति में कमी और अनुकूल आधार से प्रेरित होने की उम्मीद है।

पीडब्ल्यूसी की ‘बजट 2025-26: भारत के समावेशी विकास को बढ़ावा’ रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवाओं के निर्यात में मजबूत वृद्धि के कारण निर्यात में भी मजबूत वृद्धि देखने को मिलेगी। यह रिपोर्ट बजट की मुख्य बातों, आर्थिक दृष्टिकोण और प्रमुख कर तथा विनियामक प्रस्तावों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करती है, जो आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक प्रगति को आकार देंगे।

पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में 8.2 प्रतिशत के मुकाबले भारत की आर्थिक वृद्धि वित्त वर्ष 2025 में 6.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। इसका मुख्य कारण शहरी खपत में कमी, उच्च खाद्य मुद्रास्फीति, पूंजी निर्माण में धीमी वृद्धि और वैश्विक प्रतिकूलताएं हैं।

हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत घरेलू बाजार, बढ़ती कामकाजी आयु वाली आबादी और मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल्स की बदौलत भारत 2025 में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश बना रहेगा।

सरकार का अनुमान है कि वह अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य 4.9 प्रतिशत को बेहतर बनाएगी और वित्त वर्ष 2025 के लिए इसे 4.8 प्रतिशत पर रखेगी।

इसने वित्त वर्ष 26 के लिए 4.4 प्रतिशत का राजकोषीय घाटा भी बजट में रखा है, जिससे वित्त वर्ष 26 तक 4.5 प्रतिशत से कम घाटा हासिल करने की उसकी प्रतिबद्धता बनी हुई है।

कौन है नीलमणि फूकन जिन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्मश्री और साहित्य अकादमी से नवाजा गया?

आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 26 में 6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत की सीमा में वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “वित्त वर्ष 2026 में मुद्रास्फीति औसतन 4.5 प्रतिशत तक कम होने की उम्मीद है, जिसमें अच्छी फसल और सामान्य मानसून की उम्मीद के साथ अनुकूल खाद्य मुद्रास्फीति और कमोडिटी की कीमतों में नरमी से मदद मिलेगी।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) प्रवाह में अस्थिरता कम होने और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से भारतीय कच्चे तेल के आयात बास्केट की कीमतों में कमी आने के कारण विनिमय दर, जो दबाव में रही है, में सुधार होना चाहिए।

–आईएएनएस

पीएसके/सीबीटी

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *