लुगूवुरु घांटा बाड़ी घोरोम गाढ़ (लुगू, पहाड़) में डीभीसी  द्वारा प्रस्तावित लुगू पहाड़ हाइडल पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट  परियोजना के विरोध में हुआ विराट जन आक्रोश महाजुटान।

मीडिया हाउस न्यूज एजेंन्सी 05ता०बोकारो। बोकारो जिले के ललपनिया स्थित एफ टाईप फुटबॉल मैदान में आदिवासी संथाल समुदाय के धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण, आदिवासियों के संवैधानिक  अधिकारों का हनन करने के विषय पर लुगू बुरु घांटा बाडी धोरोम गाढ एवं माझी परगना पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय “विराट जन आक्रोश महाजुटान” का आयोजन किया गया। इस महाजुटान में झारखंड प्रदेश के विभिन्न जिलों, पड़ोसी राज्य बिहार, असम, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल से हजारों की संख्या में समाज के लोग शामिल हुए। बता दें की राज्य सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम पर 110  पंचायत के लोगो ने 110 आवेदन भेजने को लेकर जामा किया है  जिसमें  लुगूवुरु (लुगू पहाड़) में दामोदर घाटी निगम द्वारा 1500 मेगावाट का हाइडल पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट का विरोध करते हुए आदिवासी संथाल समुदाय का धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने की बात कही गई है। जिसके कारण प्रस्तावित हाईडल पंप्ड स्टोरेज पावर प्रोजेक्ट को अविलंब रद्द करने की सरकार से मांग की गई है। लुगूवुरु घांटा बाड़ी घोरोम गाढ़ के अध्यक्ष बबुली सोरेन ने कहा की संताल आदिवासी भारत देश में आदिमानव में से एक हैं, और मानव जाति के सृष्टिकाल से ही संताल समाज सभ्यता के विकास में लुगूवुरु का श्रेष्ठ घांटा बाड़ी दोरबार चाटानी धार्मिक स्थल, सामाजिक स्थल, सांस्कृतिक स्थल, रीति रिवाज, परंपरागत स्वशासन व्यवस्था. रूढ़िवादिता का विकास लुगूबुरु घांटा बाड़ी दोरवार चाटानी में लुगू बाबा द्वारा अद्भुत नेतृत्व करते हुए हमारे पूर्वजों के साथ संताल समुदायों का 12 वर्षो तक विचार विमर्श, दोरबार और चिंतन मंथन कर जन्म से लेकर मृत्यु तक की संस्कार, परंपरा, समाज को संचालन हेतु रीति रिवाज, पूजा पद्धति, माझी परगना स्वशासन व्यवस्था को स्थापित किया है। जिसके तहत आज भी हम अनुसरण करते हुए संताल समुदाय संचालित होते आ रहे हैं। इस पारम्परा को संविधान की अनुच्छेद -13 (3) “क” में “रूढ़ी प्रथा” के रूप में कानून मान्यता प्राप्त है। बता दें की आज भी लुगू बाबा का धीरी दोलान लुगू पहाड़ के उत्तरी चोटी में स्थित है, जहां झारखंड राज्य सहित पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश एवं विश्व के संथाल जैसे नेपाल, भूटान, बांग्लादेश से सोहराय कुनामी (कार्तिक पूर्णिमा) के 5 दिन पहले 8 किलोमीटर दुर्गम पहाड़ी के रास्ते चल कर लुगू बाबा के धीरी दोलान में पूजा अर्चना संताल रूढिवादिता परंपरा के तहत करते हैं, और माथा टेक कर मन्नत मांगते हैं, और लुगू बाबा से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आज भी इस अवसर पर घांटा बाड़ी दोरबार चाटानी में तीन दिनों तक सारना धर्म महासम्मेलन का आयोजन किया जाता है जिसे राजकिय महोत्सव का दर्जा प्राप्त है। मौके पर सभा में उपस्थित धोरोम गाढ के सचिव लोबिन मुर्मू ने कहा की हाइडल प्रोजेक्ट को ग्राम पिंडरा, टुटीझारना, लालगड एवं कोयोटांड गांव में प्रस्तावित है यहां आदिवासी मुलवासी बहुल आबादी निवास करते हैं। आदिवासी समुदाय मुख्यतः कृषी पर निर्भर करती है संबंधित गांव के आदिवासी किसान परिवार जीवन यापन हेतु रैयती जमीन एवं गैर मजरूआ तथा जी एम जमीन पर खेती करते हैं, ग्राम में सामुहिक जमीन जैसे जाहेर थान, माझी थान, श्मशान घाट, गोसाणे, गोट टांडी, माग टांडी, मवेसी चारागाह, अदि जमीन अधिग्रहण किया जाएगा। संबंधित गांव के हजारों आदिवासी मुलवासी परिवार विस्थापित किये जायेंगे। इनका अस्तित्व पहचान डैम में समाहित हो कर समाप्त होना सुनिश्चित है। लुगूबुरु (लुगू पहाड़) के कण-कण पुज्यनीय होने के साथ साथ लुगू पहाड पर्यावरण की दृष्टिकोण से महान ऐतिहासिक, प्रसिद्ध प्राकृतिक सौंदर्य समेटे हुए अकूत वन संपदा से परिपूर्ण एवं अमूल्य जैव विविधता से सुसज्जित है। पहाड़ में दुर्लभ वन्य प्राणियों का विचरण एवं वास होता है जिससे वन एवं पर्यावरण का संरक्षण तथा संतुलित रखने का अनुभव कराता है। यहां हेडल पंण्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट के निर्माण होने से सभी धरोहर, पर्यावरण, जैविक विविधता सहित दुर्लभ वन प्रणियों का विनाश निश्चित है। जो प्रकृति के प्रतिकूल है।

सरकार को दिए गए मांग पत्र मे कहा गया है की विश्व के करोड़ों संताल समुदायों का धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, रूढिवादी परंपरा को बचाए रखने तथा जैव विविधता, वन्य प्राणी सहित पर्यावरण को संरक्षित, सुरक्षित करने के लिए जो भारतीय संविधान में दी गई अधिकार अनुच्छेद 13 (1) (2) (3) अनुच्छेद 19 (1) अनुच्छेद 25 (1), (2) अनुच्छेद 26, अनुच्छेद (46) अनुच्छेद (243) (क), अनुच्छेद 244 (1) के तहत यदि देश के किसी भी समुदाय का रूढ़िवादी पारम्परा अगर सरकार की ऐसी योजनाओं से न्यून या कमी या अस्तित्व ही समाप्त हो जाती है तो उस परिस्थिति में केंद्र और राज्य सरकार को डी०वी०सी० द्वारा प्रस्तावित प्रोजेक्ट को यथाशिघ्र निरस्त करते हुए संपूर्ण लोगों पहाड़ को आदिवासियों के धार्मिक स्थल के रूप में गजट नोटिफिकेशन करें।

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महाजुटान में किए गए प्रस्ताव पारित :-विश्व के करोड़ो संताल आदिवासियों का सर्वश्रेष्ठ धार्मिक आस्था का केंद्र, प्राकृतिक धरोहर लुगू पहाड़ से डीवीसी द्वारा प्रस्तावित हाईडल पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट को अविलंब रद किया जाए। साथ ही राज्य सरकार द्वारा संपूर्ण लुगू पहाड़ को गजट नोटिफिकेशन आदिवासियों के धार्मिक पूजा स्थल के रूप में दर्ज किया जाए। नारी बुरु (पारसनाथ पहाड़) को प्रिवी कौंसिल जजमेंट 19 11 एवं हजारीबाग गजट 1957- गजट नोटिफिकेशन को आधार और आदिवासियों के धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए आदिवासियों के नाम पुनः अविलंब गजट नोटिफिकेशन करें। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से आदिवासियों के सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, पारंपरिक, रीति रिवाज ( रूढी प्रथा) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 (3) के पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा या समाप्त हो जाएगा। इसलिए UCC लागू नहीं किया जाए। वन संरक्षण संशोधन विधेयक 2023 के लागू होने से जल जंगल जमीन में संवैधानिक अधिकार से आदिवासी समुदाय वंचित हो जाएगा। इसलिए वन संरक्षण संशोधन विधेयक 2023 को वापस किया जाए। 28 वर्षों से पेसा कानून 1996 लागू नहीं होने से आदिवासियों को “ग्राम सभा” संवैधानिक शक्ति से वंचित किया गया है। जिससे आदिवासियों का जल जंगल जमीन लूटा जा रहा है। इसलिए राज्य में सरकार पेसा कानून 1996 अभिलंब लागू करें।
सभा में उपस्थित प्रवक्ता दुर्गा चरण मुर्मू ने सभा को संबोधित करते हुए कहा की झारखंड का खतियान आधारित स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति स्पष्ट नहीं होने से राज्य के आदिवासियों को रोजगार एवं अन्य अधिकारों से वंचित होना पड़ रहा है। इसलिए झारखंड में खतियान आधारित स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति अविलंब लागू किया जाए। अगर लुगू पहाड़ में प्रस्तावित परियोजना को निरस्त नहीं किया जाता है मारा बुरु (पारसनाथ पहाड) को पुनः आदिवासियों के नाम गजट नोटिफिकेशन नहीं किया जाता है तो आदिवासी संथाल समाज अपने अस्तित्व पहचान, धार्मिक आस्था के धरोहर एवं अधिकारों को बचाने के लिए ठोस निर्णय लेने को बाध्य होगा।

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