भारत के अपतटीय क्षेत्रों में खनिजों की खोज और उत्पादन के लिए खनिज ब्लॉक आवंटित किया जा रहा है।

मीडिया हाउस न्यूज एजेन्सी मुंबई- केंद्रीय खान एवं कोयला मंत्री. किशन रेड्डी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को मुंबई में जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण (जेएनपीए) के अध्यक्ष को निर्माण रेत के अपतटीय ब्लॉकों के संबंध में समग्र लाइसेंस प्रदान करने के लिए आशय पत्र (एलओआई) सौंपा। महाराष्ट्र के तट पर स्थित अपतटीय खनिज ब्लॉक से निर्माण रेत का उपयोग जेएनपीए द्वारा महाराष्ट्र के पालघर के वधावन में ग्रीनफील्ड बंदरगाह के पुनर्ग्रहण और विकास के लिए किया जाएगा। अपतटीय रेत ब्लॉक प्रस्तावित वधावन बंदरगाह स्थल से लगभग 50 किमी दूर दमन तट से 20 मीटर से 25 मीटर की गहराई पर स्थित है।

अपतटीय निर्माण रेत ब्लॉक महाराष्ट्र राज्य के वधावन में एक हर मौसम में काम आने वाले ग्रीनफील्ड प्रमुख बंदरगाह के विकास के लिए लगभग 200 मिलियन क्यूबिक मीटर रेत के पुनर्ग्रहण की आवश्यकता को पूरा करेगा। वधावन बंदरगाह को कुल 76,220 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है और यह 23.2 मिलियन टीईयू (ट्वेंटी फुट इक्विवेलेंट यूनिट) कंटेनर हैंडलिंग क्षमता सहित प्रति वर्ष 298 मिलियन मीट्रिक टन की संचयी क्षमता बनाएगा और इसमें 9 कंटेनर टर्मिनल, प्रत्येक 1000 मीटर लंबाई, 4 बहुउद्देशीय बर्थ आदि शामिल होंगे। भारत के अग्रणी बंदरगाह प्राधिकरणों में से एक के रूप में जेएनपीए ने देश के व्यापार और रसद इकोसिस्टम को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

यह पहली बार है जब भारत के अपतटीय क्षेत्रों में खनिजों की खोज और उत्पादन के लिए खनिज ब्लॉक आवंटित किया जा रहा है। संसद ने अगस्त, 2023 में अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 2002 में संशोधन किया, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ केंद्र सरकार के उद्देश्यों के लिए सरकार, सरकारी कंपनियों या निगमों को खनिज ब्लॉकों के आरक्षण का प्रावधान पेश किया गया।

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बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्लू) के अनुरोध पर, खान मंत्रालय ने 21 दिसंबर 2023 की अधिसूचना के अनुसार संशोधित अधिनियम के तहत केंद्र सरकार के उद्देश्य के लिए अपतटीय क्षेत्र आरक्षित कर दिया है। शुक्रवार को आशय पत्र दिए जाने से जेएनपीए को अपतटीय ब्लॉक के संबंध में समग्र लाइसेंस प्रदान करने के लिए मंजूरी मिल सकेगी।

अपतटीय ब्लॉक की पहचान संबंधित मंत्रालयों और विभागों के साथ उचित परामर्श के बाद की गई थी, जिससे अपतटीय खनिज विकास के प्रति समग्र और समन्वित दृष्टिकोण सुनिश्चित हुआ। शुक्रवार को जेएनपीए को दिया गया आशय पत्र इन सुधारों का प्रमाण है, जो जिम्मेदार, कुशल और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी अपतटीय खनिज विकास के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

ब्लॉक के आवंटन से जेएनपीए के विकास और बंदरगाह संचालन के लिए निर्माण रेत पर भूमि आधारित निर्भरता में उल्लेखनीय कमी आएगी। इस परियोजना से रोजगार सृजन, स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिलने और 2047 तक सरकार के विकसित भारत के दृष्टिकोण को समर्थन मिलने की उम्मीद है।

जेएनपीए समुद्री जैव विविधता को न्यूनतम नुकसान पहुंचाने और उच्चतम पर्यावरणीय मानकों का पालन करने के लिए अत्याधुनिक ड्रेजिंग तकनीक अपनाएगा। जेएनपीए से अपेक्षा की जाती है कि वह हरित सागर दिशा-निर्देशों और मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 का पालन करेगा, ताकि भविष्य के लिए तैयार, टिकाऊ बंदरगाह के साथ जिम्मेदारी से निकासी, भूमि सुधार और दीर्घकालिक पारिस्थितिक संतुलन सुनिश्चित हो सके।

यह पहल समावेशी और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ आर्थिक विकास के प्रति सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह मील का पत्थर समुद्री अर्थव्यवस्था और भारत के विशाल अपतटीय संसाधनों की विशाल क्षमता को खोलने में सरकार के सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाता है।

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