“खान मंत्रालय-खनिज अवयवों की अन्वेषण परियोजनाओं को सीधे स्वीकृति देगा
मीडिया हाउस न्यूज एजेंन्सी नई दिल्ली– महत्वपूर्ण और गहराई में विद्यमान खनिज अवयवों के अन्वेषण को बढ़ावा देने के लिए खान मंत्रालय ने महत्वपूर्ण और गहराई में विद्यमान खनिज अवयवों के लिए एनपीईए को सीधे अन्वेषण परियोजनाओं को स्वीकृति देने के लिए एक नई योजना आरंभ की है। इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने इन एनपीईए को उनके द्वारा खोजे गए खनिज ब्लॉकों की नीलामी के लिए बोली लगाने की भी अनुमति दी है, जिसकी पहले अनुमति नहीं थी।
खान और खनिज अवयव (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957, एमएमडीआर अधिनियम को एमएमडीआर संशोधन अधिनियम, 2021 के माध्यम से 28/3/2021 से संशोधित किया गया था, जो केंद्र सरकार को निजी निकायों सहित संस्थाओं को अधिसूचित करने का अधिकार देता है, जो पूर्वेक्षण प्रचालन कर सकती हैं।
इच्छुक निजी अन्वेषण एजेंसियों को खान मंत्रालय की योजना के अनुसार मान्यता प्राप्त करने की आवश्यकता है और उसके बाद अधिनियम की धारा 4 की उप-धारा (1) के दूसरे प्रावधान के तहत उनकी अधिसूचना के लिए मंत्रालय के पास आवेदन करना होगा।
मार्च, 2022 से खान मंत्रालय ने एनएमईटी द्वारा वित्त पोषित राज्य सरकारों के माध्यम से अन्वेषण परियोजनाएं शुरू करने के लिए 16 निजी अन्वेषण एजेंसियों को अधिसूचित किया है। तब से, एनएमईटी फंड से 15.88 करोड़ रुपये की पांच एनपीईए की केवल 17 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। अब तक स्वीकृत 17 परियोजनाओं में से 11 महत्वपूर्ण खनिज अवयवों की हैं।
हाल ही में, 17 अगस्त 2023 को एमएमडीआर अधिनियम में एक संशोधन के माध्यम से, खान मंत्रालय द्वारा 24 खनिजों जैसे ग्रेफाइट, निकेल, पीजीई, आरईई, पोटाश आदि को महत्वपूर्ण और कार्यनीतिक खनिजों के रूप में अधिसूचित किया गया था। यह संशोधन केंद्र सरकार को इन खनिज अवयवों को खनिज रियायत की स्वीकृति देने की शक्ति प्रदान करता है ताकि सरकार देश की आवश्यकताओं को देखते हुए इन खनिजों की नीलामी को प्राथमिकता दे सके। चूंकि ये महत्वपूर्ण खनिज हमारी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए अपरिहार्य हैं, इसलिए केंद्र सरकार को इन महत्वपूर्ण खनिजों की नीलामी में रियायत देने के लिए अधिकृत करने से नीलामी की गति बढ़ेगी और खनिजों का शीघ्र उत्पादन होगा।
2023 के संशोधनों के अनुरूप और इन खनिज अवयवों के लिए देश में अन्वेषण की गति बढ़ाने के लिए, खान मंत्रालय ने एक रूपांतरकारी स्कीम अधिसूचित की है जिसमें एनपीईए एनएमईटी से एमएमडीआर अधिनियम, 1957 की पहली अनुसूची के भाग डी और सातवीं अनुसूची में उल्लिखित खनिजों के लिए अन्वेषण परियोजनाओं को सीधे मंजूरी देगा। इसके अतिरिक्त इन एजेंसियों को उनके द्वारा खोजे गए खनिज ब्लॉकों की नीलामी में बोली लगाने की अनुमति दी जाएगी, जिसकी पहले अनुमति नहीं थी।
एनपीईए को सीधे खान मंत्रालय में परियोजनाएं प्रस्तुत करने की अनुमति देने के निर्णय से परियोजनाओं की स्वीकृति में देरी को कम करने के साथ-साथ परियोजनाओं के तेजी से कार्यान्वयन में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, इन अन्वेषण एजेंसियों को उनके द्वारा खोजे गए खनिज ब्लॉकों की नीलामी की अनुमति देने का प्रावधान अन्वेषण क्षेत्र में खनन में बड़ी कंपनियों को आकर्षित करेगा। इस प्रावधान से विश्व भर की कनिष्ठ खनन कंपनियों को भारत आने और एनएमईटी फंडिंग के साथ अन्वेषण परियोजनाएं शुरू करने के लिए प्रोत्साहन मिलने की भी उम्मीद है। कुल मिलाकर, इस नई योजना से अंतरराष्ट्रीय कंपनियों सहित अन्वेषण क्षेत्र में कई कंपनियों को लाने और अन्वेषण के क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने में मदद मिलने की उम्मीद है। यह योजना प्रधानमंत्री के “आत्मनिर्भर भारत” के विजन को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण खनिज अवयवों के अन्वेषण को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ी छलांग है।