एनडीपीएस एक्ट: दो दोषियों को 10- 10 वर्ष की कैद

मीडिया हाउस न्यूज एजेन्सी सोनभद्र-ढाई वर्ष पूर्व 74किग्रा गंजा के साथ पकड़े गए दो दोषियों को दोषसिद्ध पाकर वृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट सोनभद्र आबिद शमीम की अदालत ने 10- 10 वर्ष की कैद व एक- एक लाख रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक- एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित होगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक 6 फरवरी 2021 को विंढमगंज थाने के उप निरीक्षक संतोष कुमार सिंह पुलिस बल के साथ देखभाल क्षेत्र और वांछित अभियुक्तों की तलाश में झारखंड बार्डर पर मौजूद थे कि तभी स्वाट टीम प्रभारी और सर्विलांस प्रभारी पुलिस टीम के साथ मिले। तभी मुखबिर खास के जरिए सूचना मिली कि झारखंड की तरफ से एक शिफ्ट डिजायर कार आने वाली है जो वाराणसी जा रही है तथा कार में भारी मात्रा में गांजा रखा हुआ है। इसकी सूचना दुद्धी सीओ को दिया गया। थाना तिराहा पर गाड़ाबंदी करके इंतजार कर रहा था तभी करीब 20 मिनट बाद नगर उटारी गढ़वा की तरफ से एक कार आती दिखाई दी। जिसे बीच सड़क पर गाड़ी खड़ा करके कार को रुकने को कहा गया। पुलिस को देखकर गाड़ी को पीछे से मुड़ाकर भागने का प्रयास किया तब तक पुलिस बल की मदद से दो लोगों को पकड़ लिया गया। तलाशी के दौरान उनके कब्जे से 1580 रुपया नकद और कार से 74 किग्रा गांजा तीन बोरियों में बरामद हुआ। पूछताछ के दौरान दोनों ने अपना नाम पता क्रमशः प्रियांशु श्रीवास्तव पुत्र स्वर्गीय अवधेश कुमार श्रीवास्तव निवासी बनकटा , चौकी निचला घाट, थाना कोतवाली बलिया,जिला बलिया व मनीष गिरी पुत्र सतीश गिरी निवासी नगरी चौकी हनुमानगंज,थाना सुखापुरा , जिला बलिया बताया। पुलिस ने धारा 8/20 एनडीपीएस एक्ट में एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना की। मामले की विवेचना के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान व पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषियों प्रियांशु श्रीवास्तव तथा मनीष गिरी को 10- 10 वर्ष की कैद व एक- एक लाख रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक- एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। कोर्ट ने 74 किग्रा गंजा को नष्ट करने का आदेश दिया है। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता शशांक शेखर मिश्र ने बहस की।

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