वन नेशन, वन इलेक्शन  ON-OE सही, टाइमिंग और मंशा गलत-आशीष तिवारी

मीडिया हाउस न्यूज एजेंसी लखनऊ-देश में राजनैतिक अस्थिरता और जल्दी-जल्दी किसी न किसी रूप में होने वाला चुनाव, किसी भी मुल्क की उन्नति और तरक्की में बड़ा बाधक साबित होता है। जाहिर है कि चुनाव नोटिफिकेशन होते ही, जनहित के साथ सभी विकास कार्य रुक जाते है। कई महीनो चलने वाली चुनाव प्रक्रिया में कई विभागो के अधिकारियों, कर्मचारियों, भारी पुलिस बल, बड़ा प्रशासनिक बंदोबस्त आदि पर लाखो, करोड़ों का खर्च होता है।

वही दूसरी ओर यहां चुनाव के चक्कर में देश के किसी न किसी कोने में पूरे वर्ष चुनावी माहौल बना रहता है। जिस वजह से वहां होने वाला, विकास कार्य छोड़कर, सरकारों की चुनाव कराने में अपनी सारी ऊर्जा लगी रहती हैं। जिसके परिणाम से व्यापारी वर्ग हो या स्कूल-कॉलेज या आम आदमी सभी के ऊपर इसका किसी न किसी रूप में सीधा प्रभाव पड़ता है। यह बात राष्ट्रीय लोकदल के महानगर अध्यक्ष आशीष तिवारी ने कही।

श्री तिवारी ने आगे कहा कि ON-OE से निश्चित तौर पर समय और संसाधन दोनों की बचत होगी तथा भारत देश को उन्नति का अधिक समय मिल पाएगा। किंतु मोदी सरकार ने जिस तरह से लोकसभा चुनाव तथा कुछ राज्यों के विधानसभा के चुनाव के चंद महीनों पहले यह प्रस्ताव लाई है। यह उनकी मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। आशीष तिवारी ने कहा कि देश में पूरे वर्ष किसी ना किसी राज्य में चुनाव चलते रहते है, जिनमे लोकसभा, विधानसभा, निकाय, जिला पंचायत या प्रधानी, नगर निगम आदि शामिल है।

आशीष तिवारी ने बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि जब पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की बात होगी, वह भी एक नहीं, सारे चुनाव, उसको यह कैसे हैंडल करेंगे ? क्या सरकार सबसे छोटा, चुनाव नगर निगम पार्षद से लेकर लोकसभा के चुनाव इनके बीच में जितने भी चुनाव होते हैं, क्या वह सब एक साथ कराने में सक्षम होगी ?
गौरतलब है कि, अब जबकि लोकसभा चुनाव में सिर्फ 6 महीने रह गए हैं, ऐसी स्थिति में क्या केंद्र सरकार इस कार्य को समय के अंदर पूरा कर पाएगी।

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श्री तिवारी ने आरोप लगाते हुए कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि भारतीय वोटरों का मूड सरकार ने पढ़ लिया है और वह जानते हैं, कि चुनाव अभी होंगे तो उनकी हार निश्चित है। इसलिए इस प्रस्ताव को लाकर वह आगामी चुनाव के समय को बढ़ाने का प्रयास करेंगे, वह इस प्रस्ताव में कुछ ऐसी चीजें लाएंगे, जिससे कि एक वर्ष या उससे अधिक समय के लिए चुनाव टल जाए. और इस प्रस्ताव के पीछे उनको चुनाव की तैयारी करने का अधिक समय मिल जाए।

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