गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को आरएसवी का मुफ्त टीका लगाएगी ऑस्ट्रेलियाई सरकार
कैनबरा, 10 नवंबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई सरकार नवजातों और गर्भवती महिलाओं को रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) से बचाव के लिए मुफ्त टीकाकरण अभियान 2025 से चलाएगी।
इस टीकाकरण से गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को श्वसन संबंधी सिंकाइटियल वायरस के खिलाफ अधिक सुरक्षा मिलेगी।
संघीय सरकार गर्भवती महिलाओं को अगली सर्दियों से पहले आरएसवी के खिलाफ मुफ्त टीका देने के लिए 174 मिलियन डॉलर का खर्च करेगी। इसके साथ ही नवजातों और छोटे बच्चों तक भी इसका लाभ पहुंचाया जाएगा।
सरकार के मुताबिक गंभीर रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) से पीड़ित करीब 12 हजार बच्चे हर साल अस्पताल में भर्ती कराए जाते हैं।
इस अभियान को लेकर स्वास्थ्य मंत्री, मार्क बटलर ने एक बयान में कहा कि इस टीकाकरण योजना से हर साल करीब 10,000 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत नहीं आएगी।
उन्होंने आगे कहा, ”हमने इन सर्दियों के दौरान आरएसवी के लगभग 160,000 मामले दर्ज किए हैं, उनमें से आधे चार साल से कम उम्र के बच्चे थे। यह वायरस वास्तव में दो साल से कम उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेता है।”
हमारा मानना है कि यह टीकाकरण कार्यक्रम अस्पताल में भर्ती होने वाले बच्चों की दर को 90 प्रतिशत तक कम कर देगा।
बता दें कि आरएसवी श्वसन संबंधी वायरस है जो नाक, गले और फेफड़ों को प्रभावित करता है, जिसमें शिशुओं को सबसे अधिक खतरा होता है।
बटलर ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को अगर इसका टीका लगा हो तो शिशुओं में इसका जोखिम कम हो जाता है।
उन्होंने आगे कहा, ”हमारा संयुक्त दृष्टिकोण प्रत्येक राज्य और क्षेत्र के साथ साझेदारी में यह सुनिश्चित करेगा कि ऑस्ट्रेलिया में हर एक शिशु को सर्दियों से पहले यह टीका लगा दिया जाए।”
नए प्रोग्राम के तहत, 28 से 36 सप्ताह की गर्भवती महिलाएं फरवरी से मुफ्त टीका लगवाने के लिए पात्र होंगी, जिससे उनके अजन्मे बच्चे को सुरक्षा मिलेगी।
इसके अलावा, दो साल से कम उम्र के सभी बच्चे जिनकी माताओं को गर्भावस्था के दौरान टीका नहीं लगाया गया था, वे भी इस टीकाकरण के लिए पात्र होंगे।
स्वास्थ्य विभाग के नेशनल नोटिफिएबल डिजीज सर्विलांस सिस्टम (राष्ट्रीय अधिसूचित रोग निगरानी प्रणाली) के आंकड़ों के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में 2024 में अब तक आरएसवी के 165,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। जो बीते वर्षों के मुकाबले बहुत ज्यादा हैं।
–आईएएनएस
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