सीएक्यूएम ने एनसीआर क्षेत्र से बाहर के जिलों में स्थित सभी ईंट भट्टों में धान की पराली से बने गोलों जलावन के रूप में उपयोग के निर्देश 

मीडिया हाउस न्युज एजेंसी नई दिल्ली-वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु गुणवत्ता खराब करने में योगदान देने वाले खुले में धान की पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आयोग ने एनसीआर और आस-पास के क्षेत्रों में सांविधिक निर्देश संख्या 92 के माध्यम से हरियाणा और पंजाब की राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे एनसीआर से बाहर के जिलों में स्थित सभी ईंट भट्टों में धान की पराली से बने गोलों (पेलेट्स) / ईंटों (ब्रिकेट्स) का उपयोग अनिवार्य करें। ऐसा करना खुले में धान की पराली जलाने की प्रथा को खत्म करने के उपायों में से एक है। आयोग का लक्ष्य फसल अवशेषों को खुले में जलाने की प्रथा को पूरी तरह से रोक देना और औद्योगिक क्षेत्र में स्वच्छ और टिकाऊ ईंधन विकल्पों को बढ़ावा देना है।

धान की पराली से बने गोलों / ईंटों का जलावन के रूप में 50 प्रतिशत तक उपयोग करने के उद्देश्य से, वैधानिक निर्देश हरियाणा और पंजाब राज्य के एनसीआर क्षेत्र से बाहर के जिलों में स्थित सभी ईंट भट्टों को धान की पराली से बने गोलों / ईंटों को एक साथ जलाने का आदेश देता है। हरियाणा और पंजाब की राज्य सरकारों को कम से कम यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है:

  • 01.11.2025 से धान की पुआल से बने गोलों / ईंटों का जलावन के रूप में 20 प्रतिशत उपयोग;
  • 01.11.2026 से धान की पुआल से बने गोलों / ईंटों का जलावन के रूप में 30 प्रतिशत उपयोग;
  • 01.11.2027 से धान की पुआल से बने गोलों / ईंटों का जलावन के रूप में 40 प्रतिशत उपयोग; तथा
  • धान की पुआल से बने गोलों / ईंटों का जलावन के रूप में 50 प्रतिशत उपयोग, 01.11.2028 से प्रभावी
वृक्षारोपण अभियान को सफल बनाने हेतु सभी विभागाध्यक्ष निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप कराये वृक्षारोपण- मण्डलायुक्त

पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारों को इस संदर्भ में अपेक्षित निर्देश/आदेश जारी करने का निर्देश दिया गया है, जिसमें गैर-एनसीआर क्षेत्रों में स्थित ईंट भट्टों में धान की पराली पर आधारित बायोमास गोलों / ईंटों के उपयोग के लिए उपरोक्त शर्त को अनिवार्य बनाया गया है। इसके अलावा, इन निर्देशों के अनुपालन की दिशा में की गई कार्रवाई से हर महीने आयोग को अवगत कराना भी जरूरी है।

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