एमजीसीयु के पूर्व शोधार्थी डॉ. चटर्जी बने रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य l

मीडिया हाऊस न्यूज एजेंसी अवनीश श्रीवास्तव मोतिहारी। महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के पूर्व शोधार्थी डॉ. स्वरूपानंद चटर्जी का चयन असम सरकार के रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य पद पर हुआ है।
म.गां.के.वि.वि के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने डॉ. चटर्जी को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा, “डॉ. स्वरूपानंद का रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में चयन उनकी मेहनत, लगन एवं अंग्रेजी विभाग के शिक्षकों के समर्पण का प्रतिफल है। हमारे छात्र निरंतर उच्च मुकाम हासिल कर रहे हैं, जो शिक्षण-प्रशिक्षण की गुणवत्ता को दर्शाता है।”
गांधी परिसर परिसर के निदेशक और विभागाध्यक्ष प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने डॉ. स्वरूपानंद चटर्जी को बधाई देते हुए उन्हें अत्यंत परिश्रमी और अपने कार्य के प्रति समर्पित व्यक्ति बताया। प्रो. सिंह ने कहा कि यह उपलब्धि अन्य शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक होगी।अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बिमलेश कुमार सिंह ने डॉ. चटर्जी की सफलता पर खुशी जताते हुए उन्हें “अत्यंत मेधावी और विषय के प्रति समर्पित शिक्षाविद” बताया। उन्होंने कहा, “यह उपलब्धि न केवल स्वरूपानंद के व्यक्तित्व, बल्कि पूरे विभाग के लिए प्रेरणा दायक है। हमें विश्वास है कि वे अपने नए दायित्वों में भी उत्कृष्टता बनाए रखेंगे।” अंग्रेजी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. उमेश पात्रा, डॉ. कल्याणी हाजरी, डॉ. दीपक, व श्री बालंडे चंदोबा नरसिंह ने भी डॉ. चटर्जी को शुभकामनाएं दीं तथा उनके शोध व शैक्षणिक योगदान की सराहना की। विश्वविद्यालय के शिक्षकों, शोधार्थियों एवं छात्रों ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें बधाई संदेश भेजे।
डॉ. स्वरूपानंद चटर्जी ने इस सफलता का श्रेय अपने गुरुजनों, माता – पिता, साथियों और मार्गदर्शकों को दिया। उन्होंने कहा, “शैक्षणिक क्षेत्र में सफलता के लिए निरंतर अध्ययन, अनुशासन और सामाजिक प्रतिबद्धता आवश्यक है। मैं अपने विश्वविद्यालय के प्रति सदैव ऋणी रहूँगा।” गौरतलब है कि डॉ. चटर्जी ने महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी। उनकी यह नियुक्ति विश्वविद्यालय के ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शोध’ के लक्ष्य को पुनः स्थापित करती है।