डाॅ. नीतू कुमारी नूतन का राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित आलेख कर रहा नये कीर्तिमान स्थापित

अवनीश श्रीवास्तव
मीडिया हाउस 23ता.मोतिहारी। अपनी माटी का कोई शख्स एक जीवनकाल में ही सात जन्मों के कर्तव्यों को पूरा करने की हसरत लिए दिन – रात की मेहनत से अपने नाम नित्य नये करिश्माई उपलब्धि दर्ज कर रहा हो, ऐसे में वहाँ का वातावरण आध्यात्मिक व प्राकृतिक सौंदर्य बोध-दर्शन कराता है, फिजा महक उठती है, सृजनकार की कृतियाँ फलीभूत हो नयी पीढ़ी, नये कर्णधारों के मन के तारो को झंकृत कर उनके मन के कोने में सुनहरे भविष्य के प्रति आसक्ति – बोध के बीज अंकुरित करती है। ये शब्द बेशक भारत की कीर्तिवंत डाॅ. नीतू कुमारी नूतन के लिए बन पड़े हैं, क्योंकि डाॅ. नूतन ने अपनी कलम, अपने लेखन से लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की महिमा का अभूतपूर्व बखान कर एक शोधपरक आलेख का स्वरूप गढ़ डाला है। देश के लोकप्रिय हिन्दी समाचारपत्र दैनिक जागरण तथा जयपुर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र संपूर्ण क्रान्ति ने क्रमश: हाफ एवं फूल पेज पर जगह देकर डाॅ.नूतन के आलेख को प्रकाशित किया है। छठ महापर्व की महिमा पर प्रति वर्ष समाचारपत्रों में बड़े- बड़े विद्वानों के आलेख छपते रहते हैं। इस वर्ष भी देशभर में ढेरों आलेख छपे। परन्तु मेरी नजर में डाॅ.नूतन का छठ महापर्व की समग्रता को तथ्यों के साथ उल्लेखित व परिलक्षित करता आलेख राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ कृति बन पड़ी है, जो शोधपरक है, पठनीय, अनुकरणीय व अत्यंत सराहनीय है, यूँ कहें, इसीलिए सर्वश्रेष्ठ है। शख्सियत के रुप में डाॅ. नीतू कुमारी नूतन पर नज़र डालें तो कला- साहित्य के क्षेत्र में डाॅ. नूतन की असीमित उपलब्धियाँ हैं! उससे बढ़कर, स्वच्छ कला का विकास, मौलिक संस्कृति निर्माण तथा युवा पीढ़ी को संस्कारित करने को लेकर उनका अप्रतिम योगदान तथा भारतीय परंपरागत रीति-रिवाज से जुड़े कला- संगीत को दुनिया के देशों में नयी पहचान देने की दिशा में उनकी साहसिक प्रतिबद्धता वंदनीय है। साहित्यिक शोध, संपादन के अतिरिक्त पुस्तक लेखन में उन्होंने महाकवि कालिदास के प्रेम- शृंगार रस में जीवन के आदर्श तथा नैतिक- बोध को तलाशा है। संगीत के सात स्वरों के माध्यम से कालिदास को रेखांकित किया हैं। डाॅ.नूतन के भजन, गणपति स्तुति – गान, भोजपुरी लोकगीत, पूरवी, पचरा, निर्गुण, कजरी, होली, चैती माटी की सोंधी महक का अहसास कराते हैं और गजल गायिकी में उनके स्वर,अल्फाज दिलों में रुमानियत पैदा करते हैं। उनके संगीत बाजारु नहीं हैं। मंचीय प्रदर्शन में वे कला के उच्चतर मानक एवं गरिमा से समझौते नहीं करतीं। सलीका और अदब उनका अंदाज- ए – बंया है, उनकी विशेषता है। भारत सरकार के संगीत नाटक अकादमी सदस्य के रुप में डाॅ.नूतन ने चंपारण की धरती पर करीब एक करोड़ बीस लाख के बजट से ‘लोकयात्रा’ का आयोजन कराया। पहली बार उन्होंने देश भर के साढ़े छह सौ कलाकारों का मनोहारी प्रदर्शन करा कला – जगत् में नया इतिहास रच दिया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात चंपारण सांस्कृतिक महोत्सव – 2022 के मंच पर उन्होंने देश के नामवर ऐकेडमि – सियंस लब्ध प्रतिष्ठ शख्सियतों को आमंत्रित किया। डाॅ.नूतन ने हिन्दुस्तान के अजीम फनकार उस्ताद उस्मान मीर को आमंत्रित कर चंपारण सांस्कृतिक महोत्सव के इतिहास के पन्नो पर नया अध्याय जोड़ दिया। चंपारण के सांस्कृतिक पुरोधा प्रो. ( डाॅ.) वीरेन्द्र नाथ पाण्डेय के अवसान के बाद बदले परिवेश में डाॅ.नूतन ने महोत्सव के माध्यम से चंपारण के कला – यात्रियों के मन में नेतृत्व को लेकर नयी आस जगाई, उज्ज्वल भविष्य की रौशनी दी। इसी 06 नवंबर 2023 को डाॅ. नूतन ने भारत के संसद भवन के प्रतिष्ठित ऑडिटोरियम में अपनी ऐतिहासिक सांगीतिक प्रस्तुति देकर चंपारण का मानवर्धन किया। पटना में उन्होंने नूतन नृत्य संगीत कला महाविद्यालय की स्थापना की, जो सूबे का प्रतिष्ठित संगीत महाविद्यालय है। बिहार सरकार के वित्त समिति की सदस्य डाॅ.नूतन के लिखित माँग पर तीन सौ करोड़ की लागत से बिहार सरकार ने राज्य में कला विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा की है। पटना स्थित बिहार म्यूजियम के स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर पूरे एक माह तक चलने वाले सांस्कृतिक समारोह के कन्वेनर के रुप में देश भर के लब्धप्रतिष्ठ कलाकारों को मंच प्रदान किया। एक एकेडेमिशियन के तौर पर देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में वे संगीत पर लेक्चर देते जाती हैं। कला- साहित्य के क्षेत्र में उनकी अतिविशिष्ट उपलब्धियों तथा योगदान को देख भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली एवं सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के सदस्य के पद पर आसीन किया। आई सी सी आर, विदेश मंत्रालय व आईसीआर, संस्कृति मंत्रालय की सूचीबद्ध कलाकार डाॅ. नूतन देश- विदेश के सम्मानित मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करती हैं। देश के प्राय: सभी प्रतिष्ठित महोत्सवों व सांगीतिक समारोह में अपनी स्वर लहरियों से दर्शक- श्रोताओं के मन में कला के समग्र भाव- बोध पैदा करने वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात डाॅ. नीतू कुमारी नूतन चंपारण, बिहार व भारत की अमूल्य धरोहर हैं।