बिहार में बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए : रोहिणी आचार्य

4
बिहार में बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए : रोहिणी आचार्य
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

पटना, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की नेता रोहिणी आचार्य ने बाढ़ से बेहाल बिहार में राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है।

उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा, “उनके रवैए से तो ऐसा लगता है कि उन्हें बिहार के लोगों से कोई सरोकार नहीं है। बस आए, तस्वीरें खिंचवाई, हवाई सर्वेक्षण किया, और चल दिए। ऐसे थोड़ी ना होता है।”

उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार को तो लोगों के बीच में जाना चाहिए। लोगों से मुखातिब होना चाहिए। उनकी सुध लेनी चाहिए। लेकिन, अफसोस उन्होंने ऐसा कुछ भी करना जरूरी नहीं समझा। मैं खुद कल बाढ़ प्रभावित लोगों से मिली थी। कई लोगों ने मुझसे शिकायत की थी कि प्रशासन की ओर से हमें कोई मदद नहीं दी जी रही है। प्रशासन ने जिस तरह से ढुलमुल रवैया अपना रखा है, उससे हम सभी को बहुत दिक्कतें हो रही हैं।”

उन्होंने कहा, “आप लोगों को याद ही होगा कि जब 2008 में बिहार में बाढ़ आया था, तो उस समय लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। उन्होंने रेलवे की तरफ से 90 करोड़ रुपये दिलवाए थे, ताकि स्थिति को सामान्य बनाया जाए। यूपीए-1 में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब उन्‍होंने बाढ़ पीड़ितों के लिए एक हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इस बार तो डबल इंजन की सरकार है। बिहार में भी और केंद्र में भी, तो ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार जी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर बिहार के लिए और ज्यादा राशि दिलवानी चाहिए थी, लेकिन अफसोस क‍ि वो इस दिशा में कोई भी कोशिश करते नजर नहीं आ रहे हैं। वो कुछ भी काम नहीं कर पा रहे हैं। जितने भी समाजवादी लोग हैं, वही लोग बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं। सत्ता पक्ष के लोगों को विपक्ष से सीख लेनी चाहिए कि कैसे जनता की सेवा करनी चाहिए। बिहार में अभी बाढ़ से भयावह स्थिति बनी हुई है। 18 जिले बाढ़ ग्रस्त हैं।”

मऊ में भू-माफिया अफजाल अहमद पर बड़ी कार्रवाई, 3 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क

उन्होंने कहा, “अब यह ट्रेंड बन चुका है कि अगर किसी को राजनीति में आना है, तो लालू यादव और तेजस्वी यादव को गाली देना शुरू कर दीजिए। अगर इन लोगों को सच में बिहार के लोगों की चिंता होती, तो ये लोग प्रदेश के विकास के लिए काम करते। यहां स्कूल और कॉलेजों का निर्माण करते, लेकिन इन लोगों ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। इन लोगों के बच्चे विदेश में पढ़ते हैं, लेकिन बिहार के आम बच्चे आवश्‍यक बुन‍ियादी सुव‍िधाओं से भी वंच‍ित हैं।”

–आईएएनएस

एसएचके/सीबीटी