रक्षा मंत्री की दो टूक : 'भाजपा जो कहती है, वही करती है' (आईएएनएस साक्षात्कार)

नई दिल्ली, 8 मार्च (आईएएनएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि भाजपा जो कहती है, वही करती है और हर राजनीतिक दल को अपनी कथनी और करनी एक रखनी चाहिए। समाचार एजेंसी आईएएनएस के साथ एक विशेष बातचीत में उन्होंने सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी, ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’, वक्फ संशोधन विधेयक और भारत-बांग्लादेश के बीच के रिश्ते समेत कई ज्वलंत मुद्दों पर टिप्पणी की।

सवाल: दिल्ली की भाजपा सरकार महिलाओं को 2,500 रुपये की आर्थिक मदद देने जा रही है, इस पर क्या कहेंगे?

जवाब: सबसे पहले मैं दिल्ली की भाजपा सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं और उनकी तारीफ करना चाहता हूं कि उन्होंने चुनाव से पहले जो वादे किए थे, उन्हें पूरा किया है। हर राजनीतिक दल को वही करना चाहिए, जो वह कहता है। कहने और करने में कोई फर्क नहीं होना चाहिए, वरना इससे विश्वास की कमी पैदा होती है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसने भारतीय राजनीति में विश्वास के संकट को चुनौती मानकर उसका सामना किया है। चाहे हमारी सरकार किसी राज्य में हो या केंद्र में, हम जो कहते हैं, वही करते हैं। यही हमारी प्रतिबद्धता है और दिल्ली की हमारी सरकार भी इसी वचनबद्धता को निभा रही है। हमारी सरकार ने चुनाव से पहले किए गए अपने वादों को पूरा करने का काम किया है।

सवाल: सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है, आप इसे कैसे देखते हैं?

जवाब: यह निर्णय सोच-समझकर लिया गया है। समय-समय पर हमने देखा है कि महिलाओं ने जहां जरूरत पड़ी, वहां अपने अद्भुत साहस, सौम्यता और शौर्य का परिचय दिया है। अगर हम भारत के प्राचीन इतिहास को देखें, तो रानी लक्ष्मीबाई जैसी कई वीरांगनाओं ने अपने पराक्रम का उदाहरण पेश किया, जिन्हें हम आज भी याद करते हैं। जब ये महिलाएं अपने साहस और शक्ति का प्रदर्शन कर सकती हैं, तो भारत की बेटियां ऐसा क्यों नहीं कर सकतीं? इसी सोच के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने फैसला लिया कि सशस्त्र बलों में बेटियों की भागीदारी बढ़ाई जानी चाहिए, और यह बढ़ रही है। कल ही मैंने नौसेना की दो लेफ्टिनेंट कमांडर से बात की, जो इस समय लगभग 45,000 किलोमीटर की समुद्री यात्रा पर हैं। मैंने देखा कि महीनों बीत जाने के बावजूद उनके चेहरे पर कोई थकान या शिकन नहीं थी। हमारी बेटियों में आज जोखिम उठाने की जबरदस्त क्षमता है। यही कारण है कि पीएम मोदी ने सशस्त्र बलों में बेटियों की भागीदारी बढ़ाने का निर्णय लिया, और यह लगातार बढ़ रही है।

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सवाल: विपक्ष के कई नेता कुम्भ में नहीं पहुंचे, क्या कहेंगे?

जवाब: कोई कारण रहा होगा कि वे महाकुंभ में नहीं पहुंचे। इसका अर्थ यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि इस कुंभ के प्रति उनकी आस्था नहीं है। कुंभ एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का स्थल है, और हमें इसका सम्मान करना चाहिए। मेरा मानना है कि सभी को भारत की प्राचीन परंपराओं और संस्कृति पर विश्वास रखना चाहिए।

सवाल: केंद्र सरकार ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ प्रस्ताव लाने की तैयारी में है, इस पर क्या कहेंगे?

जवाब: यह बहुत ही महत्वपूर्ण है और यह काम पहले ही हो जाना चाहिए था। मैं मानता हूं कि इसमें काफी देरी हुई है, लेकिन इसके लिए हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साधुवाद के पात्र हैं कि उन्होंने यह निर्णय लिया कि इस बिल को लाना चाहिए और ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की प्रक्रिया भारत में शुरू की जानी चाहिए। इससे लाखों करोड़ रुपये की भी बचत होगी। चुनावों में बहुत समय बर्बाद होता है, कभी पंचायत चुनाव होते हैं, कभी शहरी निकाय, नगरपालिका चुनाव, कभी विधायक का चुनाव, कभी सांसद का चुनाव, कभी जिला बोर्ड के चुनाव होते हैं। एक तय समय में यह निर्धारित किया जाएगा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ होने चाहिए। अगर हमारे स्थानीय निकाय के सभी चुनाव एक साथ होते हैं, तो इससे बहुत पैसा और समय दोनों की बचत होगी।

सवाल: वक्फ बोर्ड के पास बेतहाशा जमीन है, जो आम मुसलमानों के किसी काम की नहीं है। सरकार वक्फ संशोधन विधेयक लेकर आई है, इसके पास होने के बाद क्या बदलाव आएगा?

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जवाब: हमारी सरकार सभी समुदायों के लिए समान रूप से काम करती है। वक्फ बोर्ड का उद्देश्य ठीक तरह से पूरा नहीं हो पा रहा है, इसलिए हम एक संशोधन विधेयक लेकर आए हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग सही दिशा में हो। मुझे विश्वास है कि यह बिल संसद के दोनों सदनों में पास होगा। इस बिल का उद्देश्य समाज की भलाई करना है।

सवाल: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्र द्वारा प्रस्तावित डिलिमिटेशन के खिलाफ एक संयुक्त कार्रवाई समिति बनाने की मांग की है। क्या आप इसे उचित मानते हैं?

जवाब: मैं मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से कहना चाहता हूं कि आप इस पर फिर से विचार करें। मुझे लगता है कि स्टालिन को परिसीमन होने देना चाहिए और अगर कहीं कोई आपत्ति उठती है, तो उसे संबंधित मंच पर रखा जा सकता है। परिसीमन के दौरान यह न समझा जाए कि केवल उत्तर भारत में ही सीटों की संख्या बढ़ेगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में भी लोकसभा और विधानसभा की सीटों की संख्या स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी। मुझे लगता है कि स्टालिन साहब को परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने देनी चाहिए। यदि कहीं कोई आपत्ति है, तो वह इसे संबंधित मंच पर उठाकर समाधान पा सकते हैं। संबंधित फोरम इस पर विचार करेगा और न्यायसंगत निर्णय लेगा। परिसीमन के दौरान किसी भी राज्य या क्षेत्र के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।

सवाल: बांग्लादेश के सेना प्रमुख का बयान आया है कि भारत के साथ रिश्ते बहुत महत्वपूर्ण हैं। क्या इसे बांग्लादेश में बढ़ती अस्थिरता के संदर्भ में देखा जा सकता है?

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जवाब: भारत हमेशा अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और बांग्लादेश भी हमारा महत्वपूर्ण पड़ोसी है। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, “हम दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं।” भारत हमेशा अपने पड़ोसी देशों के साथ मित्रवत संबंध बनाए रखने की कोशिश करता है। बांग्लादेश के साथ भी हम अच्छे रिश्ते बनाए रखना चाहते हैं और इसके लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे।

–आईएएनएस

पीएसके/एकेजे

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