दक्षिण कोरिया की सेना ने उत्तर कोरियाई सैनिकों पर चेतावनी के तौर पर चलाईं गोलियां

सोल, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। दक्षिण कोरिया की सेना ने मंगलवार को कहा कि उसने कुछ उत्तरी कोरियाई सैनिकों पर चेतावनी के तौर पर गोलियां चलाईं, जब वे सैन्य विभाजन रेखा (एमडीएल) को पार कर दक्षिण कोरिया के क्षेत्र में थोड़ी देर के लिए घुस आए थे।

दक्षिण कोरिया के संयुक्त प्रमुखों के स्टाफ (जेसीएस) के अनुसार, करीब 10 उत्तरी कोरियाई सैनिकों ने दक्षिण कोरिया की सेना की चेतावनी सुनने और गोलियां चलाए जाने के बाद उत्तर की ओर लौट गए। यह घटना पूर्वी मोर्चे पर हुई।

जेसीएस ने कहा कि दक्षिण कोरिया की सेना उत्तरी कोरियाई सेना की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रही है और ऑपरेशनल प्रक्रियाओं के अनुसार जरूरी कदम उठा रही है।

जेसीएस ने कहा कि यह संभावना है कि उत्तरी कोरियाई सैनिकों का सीमा पार करना गलती से हुआ होगा, जबकि वे अपनी नियमित गश्त पर थे। एक सैन्य अधिकारी ने बताया, “ऐसा लगता है कि वे कुछ तैयारी कार्य के लिए खुफिया मिशन पर थे, और गलती से सैन्य विभाजन रेखा पार कर गए।”

यह घटना दक्षिण कोरिया के संवैधानिक न्यायालय द्वारा दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक-योल को पद से हटाने के कुछ ही दिन बाद हुई है।

जो क्षेत्र उत्तरी कोरियाई सैनिकों ने पार किया, वह दक्षिण कोरिया के गंसोंग काउंटी के पास था।

इससे पहले इस सप्ताह, दक्षिण कोरिया की सेना ने कहा था कि करीब 1,500 उत्तरी कोरियाई सैनिक सीमा के पास प्रशिक्षण कर रहे थे, जिसमें वे कांटेदार तार स्थापित करने का काम कर रहे थे।

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डीएमजेड (डिमिलिटराइज्ड जोन) दुनिया के सबसे अधिक सुरक्षा वाले क्षेत्रों में से एक है, जहां दोनों पक्षों के पास कांटेदार तार के बाड़े और भारी सैन्य उपस्थिति है। एमडीएल इस ज़ोन को क्षैतिज रूप से बांटती है, जो 1950-53 के कोरियाई युद्ध के बाद से दोनों कोरियाओं के बीच एक बफर क्षेत्र के रूप में कार्य करता है, लेकिन युद्ध विराम के तहत, शांति संधि नहीं हुई थी।

यह सीमा पार करने की घटना तब हुई है जब दोनों कोरियाई देशों के बीच तनाव उच्च स्तर पर है, क्योंकि उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन ने दोनों देशों के संबंधों को “दो शत्रु देशाें” के रूप में वर्णित किया है।

दक्षिण कोरिया की सेना ने आखिरी बार चेतावनी की गोलियां अक्टूबर में चलाई थीं, जब उत्तर कोरिया ने ग्येओंगुई और डोंगहे की सड़कों को उड़ा दिया था, जो कभी दोनों देशों के बीच सहयोग के प्रतीक माने जाते थे।

–आईएएनएस

पीएसएम/सीबीटी

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