NGT द्वारा मामलों का तेजी से निपटारा, ‘प्रदूषक भुगतान’ सिद्धांत के आधार पर क्षतिपूर्ति,

ए के गुप्ता, मीडिया हाउस न्यूज एजेन्सी 7ता.नई दिल्ली-न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने 06 जुलाई2018 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के अध्यक्ष के रूप में अपना पदभार ग्रहण किया था और आज उन्होंने एनजीटी में अपने 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है। अपनी सेवा के 5 वर्ष की अवधि के दौरान, न्यायमूर्ति गोयल ने पर्यावरण के क्षेत्र में न्याय प्रदान करने के लिए कई अभिनव और जनता के अनुकूल उपायों की शुरुआत की।
पिछले पांच वर्षों, जुलाई 2018 से जुलाई 2023 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा प्रक्रियाओं को सरल बनाने और मामलों का निपटारा तेजी से करने के लिए कई अभिनव कदम उठाए गए हैं।
इन पहलों में निम्नलिखित शामिल हैं:
•कोविड-19 महामारी आने से पहले ही एनजीटी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग, जिससे मामलों का त्वरित निपटारा किया जा सका और पूरे देश के वादियों व अधिवक्ताओं को अदालती कार्यवाही तक आसानी से पहुंच प्राप्त हो सकी।
•एनजीटी की क्षेत्रीय पीठों में सदस्यों की कमी को ध्यान में रखते हुए एक विशेष पीठ द्वारा पांच वर्ष पुराने और जटिल मामलों का निपटारा करने के लिए विशेष पहल की गई, जिससे 5 वर्ष पुराने लंबित मामलों को कम करने में मदद मिली, जो न केवल राष्ट्र के विकास और वृद्धि में बाधा डाल रहे थे बल्कि वित्तीय बाधाएं भी उत्पन्न कर रहे थे।
•अदालत प्रबंधन और केस प्रबंधन से संबंधित विभिन्न पहलों की शुरुआत की गई जैसे कि पहले आदेश में मुद्दे और कार्यवाही के कार्य-क्षेत्र की पहचान करना। शून्य-स्थगन से मामलों का निपटारा तेजी से हुआ जिससे राष्ट्रीय महत्व से संबंधित कई मामलों का निपटारा हुआ। संयुक्त समितियों का गठन किया गया, जिनकी अध्यक्षता प्रायः सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और सांविधिक नियामकों द्वारा की जाती है, जिससे तथ्यात्मक स्थिति का स्वतंत्र रूप से पता लगाया जाता है और मामले का निपटारा तेजी से करना संभव होता है। दक्षता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया जैसे ई-मेल के माध्यम से नोटिस भेजना, सॉफ्ट कॉपी में सभी फाइलिंग, वेबसाइट पर रिपोर्ट डालना आदि।
•वैधानिक नियामकों द्वारा ऑनलाइन डाले गए आंकड़ों से नजर के सामने आने वाले पर्यावरणीय क्षरण को समाप्त करने के लिए स्वत: संज्ञान लेना।
•पर्यावरण सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन करने से संबंधित घातक दुर्घटनाओं के मामलों में मुआवजे और पर्यावरण सुरक्षा के लिए स्वत: संज्ञान लेना, जिससे आम नागरिकों को क्षतिपूर्ति के सिद्धांत के आधार पर शीघ्र राहत प्राप्त करने में आसानी हुई।
•जनसामान्य के लिए पत्र याचिकाओं के माध्यम से एनजीटी के दरवाजे खोले गए, भले ही उसकी वित्तीय स्थिति या उसका कानूनी और तकनीकी ज्ञान कुछ भी हो, जिससे सामान्य याचिका के किसी भी तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता के बिना ई-मेल, पोस्ट या पत्र के माध्यम से दायर किया जा सकता है।
•एनजीटी सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अंतर्गत निगरानी के अनुपालन में यमुना और गंगा के कायाकल्प जैसे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों की निगरानी भी कर रहा है।
•अधिकरण द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन में अंतराल को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए, जिसमें सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों के साथ तीन दौर की बातचीत और गीला व सूखा कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटारा करने के संबंध में निर्देश पारित किए गए। एनजीटी ने 79,234.36 रुपये की कुल पर्यावरण क्षतिपूर्ति भी लगाई, जिसे पर्यावरण को पुनर्स्थापित करने के लिए रिंग फेंस अकाउंट में रखा गया।
•एनजीटी ने पिछले उल्लंघनों के लिए ‘प्रदूषक भुगतान’ सिद्धांत के आधार पर क्षतिपूर्ति भी लगाई, जिससे इस प्रकार के उल्लंघन लाभदायक नहीं रहें और पर्यावरण की पुनर्स्थापना के लिए वसूल की गई क्षतिपूर्ति का उपयोग किया गया। इस प्रकार कीक्षतिपूर्ति की गणना सामान्य रूप से पुनर्स्थापन के सिद्धांत पर की जाती है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा उठाए गए अभिनव कदम का विवरण “पिछले पांच वर्षों (जुलाई, 2018- जुलाई, 2023) में राष्ट्रीय हरित अधिकरण के प्रदर्शन का विहंगावलोकन” शीर्षक वाले एक लेख में दिया गया है, जिसे एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।
https://greentribunal.gov.in/sites/default/files/important_orders/NGT_Initiatives%20final-1.pdf
राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के अंतर्गत किया गया है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, वन संरक्षण, प्राकृतिक संसाधन संरक्षण, प्रदूषण संबंधी क्षतिपूर्ति और पर्यावरणीय पुनर्स्थापना से संबंधित मामलों को प्रभावी और त्वरित रूप से निपटारा करना है।
अपनी स्थापना के समय से ही राष्ट्रीय हरित अधिकरण पर्यावरण संबंधित मामलों जैसे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, अपशिष्ट निपटान आदि की सुनवाई करता है।








