LHS की सौगात मिलने के बाद भी रास्ता का कार्य पूरा न होने से ग्रामीण परेशान।

कृपा शंकर पांडेय, मीडिया हाउस ओबरा/सोनभद्र – कई वर्षों से लगातार अपने हक की लड़ाई लड़ने वाले आदिवासी समाज को रेलवे ने रेलवे लाइन से नीचे दिए जाने वाला रास्ता एल एच एस की सौगात दी है। हालांकि स्वीकृति मिलने के बाद भी एल एच एस का कार्य अभी तक नहीं हो पाने से आमलोगों को बहुत कठनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बरसात के दिनों में रास्ता खराब होने से आमलोगों को समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए आदिवासी विकास मंच के संयोजक हरदेव नारायण तिवारी, सहसंयोजक बृजेश तिवारी, लक्ष्मण यादव व सूबेदार गौड़ के नेतृत्व में आदिवासी विकास मंच सोनभद्र का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को मंडल यातायात प्रबंधक पूर्व मध्य रेल चोपन कार्यालय पर ज्ञापन देकर अनुरोध किया। वही हरदेव नारायण तिवारी ने कहा कि कड़िया दोहरीकरण लाइन जो कि फफराकुंड स्टेशन के पास पड़ता है। वहां के लोगों द्वारा कई वर्ष के संघर्ष व आंदोलन के बाद रेलवे द्वारा डबल लाइन के नीचे अंडरपास स्वीकृत हो चुका है। अब अंडर पास को बनाने में कितना समय लगेगा कितना नहीं लगेगा इसकी जानकारी नहीं। इसी बात को लेकर पूर्व मध्य रेल चोपन कार्यालय पर अनुरोध किया है कि अंडरपास का कार्य जल्द ही शुरू किया जाए। नहीं तो तब तक के लिए रेलवे आवागमन के लिए वैकल्पिक रास्ता दे। कड़िया में निवास करने वाले लोग पैदल और बाइक से आवागमन करते हैं। बाज़ार व अन्य ज़रूरत की चीज़ों के लिए काफी दूरी तय की जाती है। दूरी होने से आवागमन में समस्या उत्पन्न होने लगी है। अगर कोई अंडरपास जब तक नहीं बनता है अगर कोई विकल्प व्यवस्था नहीं होगा तो आम लोगों को 15 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। कच्ची रोड होने की वजह से बरसात के दिनों में कीचड़ होने से परेशानी ज्यादा हो जाती है। कड़िया डबल लाइन से कम से कम 50 हज़ार की जनता रास्ते को लेकर प्रभावित है। वही कांग्रेस नेता बृजेश तिवारी ने कहा कि 2 साल के अथक प्रयास के बाद रेल प्रशासन ने अंडर पास की स्वीकृति प्रदान की लेकिन कड़ियां में अंडरपास बनने वाले रास्ते पर आवागमन प्रभावित हुआ है जिससे असुरक्षा का भाव पैदा हो रहा है और 15 किलोमीटर लंबे यात्रा कर अपने घर को पहुंचते है। जिससे समय भी ज्यादा लगता है और रात के समय सुरक्षा को लेकर भी समस्या बनी रहती है। इसलिए रेलवे प्रबंधन के पास वैकल्पिक रास्ते की व्यवस्था के लिए हमलोग आये थे और ज्ञापन दिया जा चुका है अब देखते है रेलवे प्रशासन का निर्णय लेता है। जनता की समस्या का हल होना चाहिए।

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