झारखण्ड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय में 7 वर्षों से कार्यरत शिक्षकेत्तर व कर्मी को हटाकर नए कर्मियों की नियुक्ति से आक्रोश।

संविदा विस्तारित करने हेतु कर्मी लगा रहे है राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री से गुहार।

मीडिया हाउस न्यूज एजेंसी रांची-झारखण्ड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय के स्थापना वर्ष 2016 से संविदा पर कार्यरत कई गेयर शिक्षकेत्तर कर्मी बेरोजगार हो गये है। वास्तव में मामला यह है कि इन कर्मियों की संविदा अवधि दिनांक 05 मई 2023 को समाप्त हो गई थी। राज्यभवन द्वारा विश्वविद्यालय की तत्कालिन कुलपति पी.आर.के.नायडू को नीतिगत फैसले एवं नयी नियुक्ति करने पर रोक लगा दी गई थी क्योकि पी.आर.के.नायडू का कार्यकाल 26 जून 2023 को समाप्त हो रहा था। इन कारणों से शिक्षकेत्तर कर्मियों की संविदा अविध विस्तारित नहीं हो पाया। राजभवन द्वारा कहा गया था कि नए कुलपति की नियुक्ति के बाद इनके अनुबंध अवधि विस्तारित कर दी जाएगी।

वर्तमान में झारखण्ड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय में कुलपति का प्रभार उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव राहुल पुरवार को दिया गया है।सभी कर्मचारी जब कुलपति से अपनी समस्या को अवगत कराया तो वह भी संतोषजनक उत्तर देने को तैयार नहीं है। कई बार उनसे मिलने गए तो उन्हें मिलने नहीं दिया गया।

आज सभी कर्मी विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति से मिलने गए तो पता चला कि वहां आउटसोर्स के माध्यम से तृतीय वर्ग की कर्मियों का साक्षात्कार लिया जा रहा है। जबकि झारखंड हाई कोर्ट का साफ निर्देश है कि सृजित पद पर आउटसोर्सिंग नहीं किया जाएगा। साथ ही संविदा पर कार्य कर्मियों को हटाकर दूसरे कर्मचारी को नहीं रखा जा सकता है। परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोर्ट के नियम की धज्जियां उड़ाते हुए आज आउटसोर्सिंग के माध्यम से साक्षात्कार लिया जा रहा है।

पंचायतों के विकास के नौ थीम पर दिया गया प्रशिक्षण

पूर्व के कर्मचारियों द्वारा हंगामा करने पर आउटसोर्स कर्मियों को वहां से वापस भेज दिया गया है। बेरोजगार कर्मचारियों का कहना है कि विश्वविद्यालय कुल सचिव एवं सहायक कुल सचिव काफी दिनों से साजिश के तहत उन्हें हटाने की प्रक्रिया कर रहे है। इन दोनों ने नए प्रभारी कुलपति को भी गुमराह कर दिया है।

संविदा विस्तारित नहीं होने कारण इन कर्मियों की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई है एवं जीवन यापन में कठिनाईयां हो रही है। कई कर्मियों के नौकरी की उम्र सीमा भी समाप्त हो गई है। भुगतभोगी कर्मचारी अपने रोजगार के लिए राज्यभवन से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय एवं संबंधित विभाग तक गुहार लगा रहे है, परन्तु इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। साथ विश्वविद्यालय प्रशासन भी इनकी मदद करने को तत्पर नहीं है। सभी कर्मचारी अपने रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे है।विश्वविद्यालय में तृतीय वर्ग के कर्मचारी नहीं होने के कारण कई महत्वपूर्ण कार्य बाधित हो रहा है। कुलसचिव कर्नल राजेश एवं सहायक कुलसचिव डाॅ सुमित गुप्ता द्वारा चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों से जबरन तृतीय वर्ग के कर्मचारी का कार्य करवाया जा रहा है।

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