स्व.घनश्याम दास बिड़ला-विशेषांक “अषाढ़ के मेघ” आज मुझे उस लेख की प्रासंगिकता समझ आती है-बद्रीनाथ सिंह

AKGupta.मीडिया हाउस सोनभद्र-वर्षों पहले स्वर्गीय घनश्याम दास बिड़ला के देहावसान पर धर्मयुग ने एक विशेषांक निकाला था, जिसका शीर्षक था” अषाढ़ के मेघ”। इतने वर्षों बाद आज मुझे उस लेख की प्रासंगिकता समझ आती है ।आजादी के बाद के वर्षों में जब देश में उद्योग धंधों का पूर्ण अभाव था, देश खाद्यान्न संकट से जूझ रहा था, उसी समय तत्कालीन मिर्जापुर के रिहंद नदी पर एक बांध का निर्माण कराया गया।
जहां से जल विद्युत उत्पादन और पेयजल एवं सिंचाई की सुविधा इस क्षेत्र के बड़े भूभाग को प्राप्त हो सके ।तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बिड़ला समूह को रेणुकूट में उद्योग लगाने हेतु प्रेरित किया तथा वह स्वयं भी यहां आए। बिड़ला समूह ने मान. प्रधानमंत्री की प्रेरणा से रेणुकूट में हिंडाल्को की स्थापना की जो आज एशिया का सर्वाधिक एल्युमिनियम उत्पादक निजी क्षेत्र का उपक्रम है। यहां पर झारखंड उड़ीसा से लाई गई बॉक्साइट एवं अन्य खनिजों का शोधन कर अल्युमिनियम धातु का उत्पादन किया जाता है। अपने शुद्धतम रूप में इस धातु का उपयोग इसरो द्वारा रॉकेट निर्माण एवं अन्य अंतरिक्ष विज्ञान के कार्यों में किया जाता है ।
हिंडाल्को के अधिकारी इस बात को गर्व के साथ बताते हैं कि उनके द्वारा उत्पादित अल्युमिनियम विश्व में सर्वाधिक शुद्ध एवं उत्कृष्ट श्रेणी का है। हिंडालको ने यहां के आसपास के क्षेत्र के विकास नागरिकों महिलाओं एवं बच्चों के शिक्षा और प्रशिक्षण में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए क्षेत्र के विकास चिकित्सा और सामाजिक कार्यों में भी हिंडालको द्वारा बढ़-चढ़कर भाग लिया जाता रहा है। इस संस्थान ने पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ औद्योगिक उत्पादन में भी लगातार कीर्तिमान स्थापित किया है।
पर्यावरण अनुकूल परिसर में हरे भरे फूलों से घिरे हुए आवास, सड़कें, देवालय आपको दिखाई देंगे। अतिथि गृह में आजादी के बाद के वर्षों से लेकर आज तक की फोटो गैलरी सुरक्षित रखी गई है। अयस्क से धातु अलग करने के पश्चात बचे हुए” रेड मड” से 9 होल का गोल्फ कोर्स संस्था ने तैयार किया है जो देखने योग्य है। फूलों और वनस्पतियों से घिरा हुआ परिसर सहज आपका ध्यान आकृष्ट करता है।
बिड़ला समूह पूरे देश में अपने मंदिरों एवं धार्मिक स्थापत्य के लिए जाना जाता है रेणुकूट में रेणुकेेश्वर महादेव मंदिर के रूप में इस समूह ने एक आकर्षक नागर शैली के मंदिर का निर्माण किया है जिसमें लाल पत्थरों का कलात्मक उपयोग किया गया है। सोनभद्र जनपद में शिवद्वार(घोरावल क्षेत्र) स्थित लास्य शैली में निर्मित भगवान शिव एवं पार्वती की 11वीं शताब्दी में निर्मित प्रतिमा का प्रतिरूप इस मंदिर में विद्यमान है। मंदिर में पूजा अर्चना हेतु संस्था ने पुजारी की नियुक्ति की है। आवासीय परिसर और अत्यंत साफ सुथरा और हरा भरा है। संस्था द्वारा अपने कर्मचारियों अधिकारियों का पूरा ध्यान रखा जाता है। औद्योगिक अशांति जैसी कोई घटना बिड़ला समूह के परिसरों में नहीं होती। व्यापार व्यवसाय उद्योग और धर्म का ऐसा सुंदर समन्वय बिड़ला समूह ही कर सकता है। समूह की धर्मप्राण सोच को प्रणाम। -बद्री नाथ सिंह।