सीएम की घोषणा महज प्रोपेगैंडा, मजदूरों व पूंजी के पलायन में सोनभद्र शीर्ष पर-आइपीएफ

मीडिया हाउस न्यूज एजेंसी 22ता.सोनभद्र-सोनभद्र को विकास में नंबर वन बनाने की मुख्यमंत्री की घोषणा को प्रोपेगैंडा करार देते हुए आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने कहा कि विगत 6 वर्षों में सोनभद्र मजदूरों व पूंजी के पलायन में शीर्ष पर पहुंच गया है। आइपीएफ की जिला कार्यसमिति के द्वारा लिए प्रस्ताव को प्रेस को जारी करते हुए जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका ने बताया कि जनपद में बेरोजगारी की भयावह स्थिति है और विकास अवरुद्ध है। प्राकृतिक संसाधनों की बदस्तूर लूट जारी है और पर्यावरण संकट व प्रदूषण की समस्या विकराल हुई है। विकास की बड़ी बड़ी बातें व घोषणाएं की गई लेकिन कनहर सिंचाई परियोजना को समयबद्ध पूरा कराने के लिए सरकार गंभीर नहीं है। इसे 2018 में ही पूरा होना था, आवंटित बजट भी खर्च हो गया, सैकड़ों विस्थापित परिवारों को मुआवजा नहीं मिला। लेकिन करीब साल भर से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना मद से अतिरिक्त बजट के लिए सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। अगर प्रदेश सरकार चाहती तो यह बजट बहुत पहले ही मिल जाता और 2023 तक ही किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो जाती। कहा कि आदिवासी छात्राओं ने कल ही पत्र लिखकर दो महिला डिग्री कालेज खोलने की मांग की थी, इसके अलावा बेरोजगारी व स्वास्थ्य सेवाओं के मुद्दे को हल करने की अपील की थी। इन सवालों पर छात्राओं ने मुलाकात के लिए भी अनुरोध किया लेकिन इन बेहद जरूरी सवालों को अनसुना कर दिया गया। सोनभद्र के हर गाँव में बिजली देने का दावा भी हवाई है आज भी दर्जनों गाँव में बिजली नहीं है और जहाँ बिजली आ भी रही है वहाँ हो रही भीषण कटौती से आम जनता त्रस्त है। हर घर नल योजना के नाम पर हैंडपंप और कुएं आदि के निर्माण पर बजट घटा दिया गया है जिससे भीषण गर्मी में भयंकर पेयजल संकट है। जिला अस्पताल को छोडकर शेष सभी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ के जो सृजित पद हैं उनमें बड़े पैमाने पर रिक्त हैं खासतौर स्त्री एवं महिला रोग चिकित्सक, शिशु रोग व हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आदि नहीं हैं। 11000 आदिवासियों को कैंप लगाकर वनाधिकार पट्टा वितरण की घोषणा पर प्रस्ताव में कहा कि जब 21180 दावे आदिवासियों के लम्बित है तो महज 11000 को ही पट्टा देने की घोषणा क्यों की गई।साथ ही सरकार व प्रशासन सुनिश्चित करे कि इस बार मुख्यमंत्री की घोषणा का 15 नवंबर 2022 के पट्टा वितरण समारोह की तरह हश्र न हो। मांग कि आदिवासी जितनी पुश्तैनी वन भूमि पर काबिज है उस समस्त भूमि पर पट्टा दिया जाए और वनाश्रितों के दावों का भी समयबद्ध निस्तारण हो।

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