पढ़ाई के नाम पर प्राइवेट स्कूलों की लूट की दुकान पर लगा ताला, सीबीएसई ने कहा- ड्रेस और किताबें बेची तो मान्यता रद्द

मीडिया हाउस न्यूज एजेंसी 5ता.पटना (बिहार)। पिछले कुछ सालों में प्राइवेट स्कूलों में ड्रेस और किताबों की खरीदी के लिए जिस तरह छात्रों को जिस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है, यह किसी से छिपा नहीं है। जितना बड़ा स्कूल, उन स्कूलों के पढ़ाई का खर्च उतना ही अधिक। जिनका एक बड़ा हिस्सा ड्रेस और किताबों पर खर्च कराया जाता था। साथ ही बच्चों के पैरेंट्स को मजबूर किया जाता था कि वह यह सारी चीजें या तो स्कूल से या स्कूल द्वारा तय किए गए दुकानों से ही खरीदे। देश भर में चल रहे इस स्कूलों के इस कमाई को धंधे को रोकने के लिए अब सीबीएसई ने बड़ा कदम उठाया है। सीबीएसई द्वारा पटना सहित देशभर के सभी प्राइवेट स्कूलों को लेकर एक आदेश जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि स्कूल कैंपस में ना तो स्कूल ड्रेस बेच पाएंगे और ना ही कॉपी किताब देर से ही सही,लाखों करोड़ों परिवारों पर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहे अतिरिक्त खर्च के बोझ को कम करते हुए सीबीएसई ने साफ लहजे में कह दिया है कि जो स्कूल ऐसा करते हुए पकड़ा जाता है उसका रजिस्ट्रेशन अर्थात मान्यता रद्द कर दिया जाएगा. 1 अगस्त से इस कानून को लागू कर दिया गया है। अब न तो स्कूल वाले गार्जियन से यह भी नहीं कह पाएंगे कि फलाने दुकान में चले जाइए और वहां से ड्रेस और कॉपी किताब खरीद लाइए। सीबीएसई ने लोगों से अपील की है कि अगर आपके बच्चों स्कूल में ड्रेस या कॉपी किताब खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है तो आप बोर्ड के पास कंप्लेंट कर सकते हैं और इसके बाद एक्शन लिया जाएगा। बोर्ड से स्पष्ट किया है कि स्कूलों के खिलाफ एफिलिएशन बाइलॉज (संबद्धता परिनियम) 2018 के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी। बोर्ड ने सभी स्कूलों को उनके परिसर से दुकानों को हटाने का आदेश भी दिया है। क्योंकि स्कूल में चल रहे दुकानें नियम के खिलाफ है। बोर्ड के अनुसार स्कूल एक शैक्षणिक संस्था है और उसे कॉर्मिशियल नहीं बनाया जा सकता है। इस कारण जिन स्कूलों ने यूनिफार्म, किताबें, स्टेशनरी आदि की दुकानें खोली गई हैं उसे 15 दिनों के अंदर हटा दें। अभिभावकों को स्कूल के अंदर या स्कूल के बाहर किसी भी निर्धारित दुकानों से सामान लेने का दबाव नहीं डालें।कहीं से भी खरीद सकते हैं किताबें कई स्कूलों में तो सालभर किताबें और यूनिफॉर्म की दुकानें लगी रहती हैं। स्कूल प्रशासन ने एजेंसियों को स्कूल परिसर में एक निर्धारित जगह दे दी है, जहां पर जाकर विद्यार्थी या अभिभावक अपने सामान खरीदते हैं। स्कूल का यह सिलसिला केवल नये सत्र की शुरुआत में नहीं बल्कि पूरे सालभर चलता है। इससे अभिभावकों का खर्च कई गुना तक होता है। जहां तक किताबों की बात है तो पाठ्यक्रम में केवल एनसीईआरटी किताबें चलाई जानी हैं। ये किताबें अभिभावक कहीं से भी खरीद सकते हैं।

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