खनन न्यूज-बारी डाला स्थित खनन पट्टा हेतु लोक सुनवाई.? या फॉर्मेलिटी बना चर्चा का विषय.?

जिला प्रशासन सभी लोक सुनवाई के नियमों व शर्तों का सख्त रूप से पालन कराये.!
मीडिया हाउस न्यूज एजेंसी सोनभद्र/लखनऊ-पर्यावरण एंव वन मंत्रालय, नई दिल्ली के गज़ट अधिसूचना दिनांक 14 सितम्बर 2006 और यथासंशोधित अधिसूचना के अनुसार, प्रस्तावित, बिल्ली मारकुंडी खंडा, बोल्डर (डोलोस्टोन) खनन परियोजना क्षेत्रफल- 1.383 हेक्टेयर, उत्पादन क्षमता- 41,490 घनमीटर प्रति वर्ष या 1,03,725 टन प्रति वर्ष आराज़ी नं. 7405 क, 7406 क, ग्राम बिल्ली मारकुण्डी, तहसील- ओबरा, जिला सोनभद्र में लोक सुनवाई ग्राम- बिल्ली मारकुण्डी, ओबरा, सोनभद्र (उ०प्र०), पट्टेदार, मेसर्स शिव स्टोन वर्क्स (प्रो. रमेश कुमार सिंह) का प्राइमरी पाठशाला बारी डाला स्थित विभागीय अधिकारियों की मौजूदगी में लोक सुनवाई  शुरू होने के बाद मात्र 20 मिनट में ही लोग सुनवाई का समापन होना लोगों में चर्चा का विषय बन गया कि यह लोक सुनवाई तो मात्र एक फर्मेलिटी है.?
लोक सुनवाई के दौरान कई लोगों ने अपने अपने विचार रखते हुए कहा कि बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में पत्थर खदानों के लिए जो लोक सुनवाई के तहत स्थानीय जनता को विभागीय अधिकारियों द्वारा जो जानकारी व आश्वासन दिया जाता है उसका पालन कभी पट्टा धारको द्वारा नही किया जाता.? लोगों को कितना रोजगार मिलता है यह किसी से छिपा हुआ नहीं है, खदानों में भयंकर विस्फोट किया जा रहा है लोगों का घर मकान क्षतिग्रस्त होता जा रहा है, मुख्य मार्गो व सड़कों पर भयंकर धूल डस्ट उठना है, खदान गहरा होने के कारण आसपास का भू जल स्तर पूरी तरह से खत्म होता जा रहा है, पोकलेन मशीनों द्वारा बड़े पैमाने पर खनन किया जा रहा है, रोजगार के नाम पर स्थानीय लोगों व मजदूरों के साथ छल किया जा रहा है जिसे आज मजदूर के समक्ष रोजगार का संकट उत्पन्न है.! पूर्व में जितने भी खनन पट्टा का लोक सुनवाई हुई है अगर उक्त बातों व नियमों पर जिला प्रशासन द्वारा सख्त रूप से अमल व पहल किया जाए तो रोजगार व समस्याओं पर का कभी संकट उत्पन्न नहीं होता.!
विभागीय अधिकारी द्वारा बताया गया कि यह खनन पट्टा 10 वर्षों के लिए दिया जा रहा है, परियोजना की अनुमानित लागत 80 लाख रुपए है, गांव व आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लगभग 56 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा, पेय जल की व्यवस्था टैंक अथवा आस पास की नलकूप से किया जाएगा, धूल डस्ट के लिए पानी की जरूरत टैंकर से किया जाएगा, लगभग 2000 पौधे लगाए जाएंगे, खदानों के चारों ओर, ग्राम पंचायत, स्कूल व रोड के दोनों तरफ वृक्षारोपण का कार्य किया जाएगा, खनन भूजल के ऊपर तक किया जाएगा, वाहनों की ओवरलोडिंग नहीं की जाएगी, सड़कों पर रेगुलर पानी का छिड़काव किया जाएगा, गांव के क्षेत्र में ध्वनि यंत्र का न्यूनतम उपयोग किया जाएगा,
मजदूरों के लिए जागरूकता शिविर लगाया जाएगा, बेंच की अधिकतम ऊंचाई 6 मीटर होगी, कार्यगत बैंचों की चौड़ाई 6 मीटर से ज्यादा रखी जाएगी, खनन केवल दिन में किया जाएगा, न्यूनतम डीलिंग और विस्फोटक किया जाएगा, रेलवे लाइन, जलाशय, सड़क से 50 मीटर की दूरी तक कोई खनन कार्य नहीं किया जाएगा, वन क्षेत्र में खनन की अनुमति नहीं होगी, ठेकेदारों को उत्तर प्रदेश के माइनर मिनरल कनेक्शन नियमों 1963 का पालन करना होगा, ठेकेदारों को खनन के समय खान अधिनियम 1952 और खान एवं खनिज अधिनियम 1957, वन संरक्षण अधिनियम 1980 का पालन करना होगा, खनन ओपन कास्ट अर्थ यांत्रिक विधि से किया जाएगा, ठेकेदारों को श्रमिक कानून के अनुसार पेयजल, आश्रय, प्राथमिक चिकित्सालय बॉक्स, कल्याण सुविधा इत्यादि उपलब्ध कराएंगे। उक्त अवसर पर जिला प्रशासन, प्रदूषण विभाग, खनन विभाग, उद्योग विभाग के अधिकारी गण व पट्टा धारक के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

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