आलू और टमाटर की शादी, लोग बदलते हैं बदल जाने दो,

मीडिया हाउस न्यूज एजेंसी 8ता.प्रयागराज- लोग बदलते हैं बदल जाने दो, पीछे आएंगे, अच्छा वक्त आने दो।।
गोभी ने अपने बेटे आलू की शादी बड़े ही धूमधाम से अच्छे नयन नक्श वाली, दिखने में सुंदर, सर्वगुण सम्पन्न टमाटर के साथ कर दी। आलू और टमाटर सदाबहार, आदर्श जोड़े की तरह बारहों मास सुख-दुःख काटते हुए, हंसी-खुशी के साथ सुख-दुःख बांटकर एक आदर्श पति पत्नी की तरह जीवन यापन करते रहे। कितनी बार ऐसा हुआ कि आलू के भाव बहुत बढ़ गए लेकिन फिर भी अपनी पत्नी टमाटर का साथ कभी नहीं छोड़ा। सड़ा गला आलू भी टमाटर के साथ मिलकर इंसान को स्वाद देते रहे। आलू टमाटर की जोड़ी की खुश मिजाजी की चर्चा इनके भाव को देखते हुए अमीर इंसानों के बीच भले ही कम और अधिक होती रही हो, अथवा दिखावे के कारण काट दिए गए हो लेकिन गरीब इंसानों की सदियों से पहली पसंद बने रहे। न गरीबों ने कभी इनका साथ छोड़ा और न ही इन्होंने गरीबों का। यानि गरीबों की पहली पंसद आलू और टमाटर सदियों से रहे। लेकिन पिछले कुछ महीनों में जब से ये इंसानों की खबरें समाचार पत्रों और सोशल मीडिया में चटकारे के साथ पढ़ी जाने लगी कि एक चपरासी के पद पर कार्यरत लड़के ने अपनी पत्नी को खूब पढ़ा-लिखाकर अफसर बनाया। अफसर बनते ही पत्नी ने अपने पति को छोड़कर अपने समकक्ष अधिकारी से पींगें बढ़ाने लगी और पति से तलाक की दरख्वास्त कर दी। एक अनपढ़ मजदूर ने दिन-रात मेहनत करके अपनी पत्नी की पढ़ने में ललक को देखते हुए पढ़ा लिखाकर प्रतियोगिता की तैयारी करवाई। अनपढ़ पति को यह आस थी कि मैं अनपढ़ ही सही, पत्नी कुछ बन जाएगी तो गर्दिश के दिन दूर हो जांएगें। पत्नी प्रतियोगिता पास कर दरोगा बन गई लेकिन बेचारे पति को निराशा ही हाथ लगी। वह दूसरे के साथ रफू चक्कर हो गई और बेचारा पति हाथ मलता ही रह गया। जब इन खबरों को टमाटर ने पढ़ा तो इंसानों की और खबरें जानने के लिए नवधनाढ़य महिलाओं से सूप और चाट के रुप में दोस्ती करना प्रारंभ कर दी। धीरे-धीरे दोस्ती बढ़ी तो ऐसी कई खबरें एक-एक करके बाहर आने लगी कि ऐसे तमाम पति है, जिन्होंने अपने को पीछे रखकर, अपनी पत्नी को आगे बढ़ाने के लिए क्या-क्या त्याग नहीं किए। लेकिन जब पत्नियां अपने पति से आगे निकल गई तो अपने पति को ही ठेंगा दिखा दिया। ऐसी हजारों इंसानी घटनाएँ हैं।
बस यहीं से टमाटर के मन में इंसानी सोहबत का असर दिखाई पड़ने लगा। टमाटर ने अपने पति आलू से आगे बढ़कर कुछ बनने की इच्छा जाहिर की। उसके पति आलू ने अपनी पत्नी टमाटर का पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया। आलू को जब गरीब इंसान कुकर, बर्तन में रखकर पानी डालकर गैस या चूल्हें पर उबालता और उसकी चमड़ी (छिलका) निकालकर कभी हाथों से मसल-मसल कर बारीक करता, कभी बेलन से कूटकर तोड़ता और तो और जले पर नमक छिड़क कर, मिरची डालकर आह निकालने को मजबूर करता, तब भी आलू यह सोचकर मन मसोसकर यह जुल्म सहता रहा कि उसकी गुणवान पत्नी कुछ बन जाएगी तो उसके भी अच्छे दिन आ जायेंगे। वह अपनी पत्नी टमाटर के साथ ऐश करेगा। आलू का त्याग और मेहनत रंग लाई और उसकी पत्नी टमाटर के भाव धीरे-धीरे बढ़ने लगे। लेकिन इंसानी सोहबत का इतना असर हुआ टमाटर पर कि अपने दुःख, सुख के साथी आलू को छोड़कर बेवफा हो गई। धीरे-धीरे आलू और टमाटर का साथ जुदा होता गया। टमाटर को अब केवल अमीरों का साथ पंसद आने लगा, गरीब उसे फूटी आंख भी नहीं सुहाते। टमाटर की बेवफाई देखकर आलू अपने बीते दिनों की याद में खो गया कि कैसे जन्मों-जन्मान्तर से सुख दुःख में सदा साथ रहकर अमीरों व गरीबों दोनों का साथ निभाते रहे। कभी अमीरों के सलाद के रुप में प्रयोग किए गए पर टमाटर ने मेरा साथ कभी नहीं छोड़ा। चाट की दुकान पर जब मुझे गर्म तवे पर सेंककर इंसानों को खिलाया जाता और टमाटर को ऊंचे लोगों की पंसद बनकर खिलाया जाता, तब भी मैंने बेवफाई नहीं की, हम दोनों का गरीबों के प्रति कितना लगाव था कि टमाटर को सिलबट्टे पर कूटकर या मिक्सी में पीसकर भी चटनी के रुप में टमाटर ने साथ निभाया तो दूसरी तरफ मैंने भरता बनाकर, भुजिया बनाकर मुझे गरीबों का साथ निभाना रहा तो निभाया, जब मुझे गर्म पानी में उबालकर, कूटकर, पीसकर, चिलचिलाती धूप में तपाकर पापड़ बनाया और गर्म खौलते तेल में पकाकर अमीरों को प्लेट में सजाकर परोसा गया, फिर भी मैंने अपनी पत्नी टमाटर साथ नहीं छोड़ा। और तो और मेरा भाव चाहें कितना भी अधिक हुआ हो और टमाटर का भाव चाहे दो कौड़ी का रहा हो लेकिन मैं अपनी पत्नी टमाटर और गरीबों का साथ सदैव निभाता रहा। लेकिन जन्म-जन्मातर के साथ रहने के बावजूद जैसे ही टमाटर का भाव पहली बार आसमान छुआ तो अपने जन्मों जन्मात्तर के साथ देने वाले अपने पति आलू का ही साथ छोड़ दिया। अब तो और भाव चढ़ गए, जबसे सोशल मीडिया पर यह खबर फैली कि एक किलो से ज्यादा टमाटर लेने पर पैन कार्ड अनिवार्य होगा और तो और अब तो प्रेम के प्रतीक लाल गुलाब को छोड़कर प्रेमी लाल टमाटर देने लगे है। उनका मानना है कि लाल टमाटर अब प्रेमिकाओं को खुश करने और अपनी अमीरी दिखाने का सबसे अच्छा प्रतीक बन गया है। टमाटर का भाव खाना देखकर बिना शक्ल सूरत के हमेशा अच्छी तरह कूटकर ही प्रयोग किए जाने वाली अदरक ने भी देखा देखी अपने भाव बढ़ा लिए। इसको देखकर तो यही लग रहा है कि पहले वाला पति और पत्नी का रिश्ता अब नहीं रहा, जब गुणहीन, बदसूरत पति-पत्नी होने के बावजूद पति-पत्नी जीवन भर साथ निभाते थे। अब तो ऐसा हो गया कि पत्नी ने देखा कि पति कमाऊ नहीं है, तो कमाऊ पति या प्रेमी की तलाश में जुट जाती है और मौका देखकर फुर्र हो जाती है। और तो और दो-चार बड़े बच्चों की माँ भी अपने स्वार्थ के लिए किसी बच्चे या बड़े-बुजुर्ग के साथ पींगे बढ़ाने लगती है। यह भी नहीं सोचती कि मेरे बच्चों का क्या होगा? यानि पैसा, कुछ स्वार्थ और शोहरत ही पत्नियों के लिए सब कुछ हो गया है। जबसे आलू की पत्नी टमाटर ने आलू का दिल तोड़ा, आलू के दोस्त प्याज को ऐसा गहरा सदमा लगा कि स्वयं को बेसन में लपेटा और गरम तेल में कूद गया।
एक गरीब/मध्यमवर्गीय, सामाजिक और पत्नी को अथाह प्रेम प्यार करने वाले पति आलू ने समाज के डर से इन पंक्तियों में अपना संदेश अपनी पत्नी टमाटर को भेजकर चुप हो गया-
कभी फुर्सत मिले तो देख लेना एक बार,
किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है।।
खुदा हाफिज, अगर जिन्दगी रही तो फिर मिलेंगे।
डा.गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी