रबी महाभियान प्रचार रथ को हरी झंडी दिखाकर किया गया रवाना

अवनीश श्रीवास्तव
मीडिया हाउस न्यूज एजेंसी 15ता.मोतिहारी, पूर्वी चम्पारण। जिलाधिकारी, मोतिहारी द्वारा जिला कृषि विभाग, मोतिहारी के तत्वाधान में समाहरणालय परिसर, मोतिहारी से रबी महाभियान प्रचार रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
जिले भर के सभी प्रखंडों में रवि महाभियान प्रचार रथ द्वारा जागरूकता फैलाकर किसान बंधुओं को प्रेरित किया जाएगा ।रबी मौसम प्रारंभ हो चुका है। ऐसे में कृषकों द्वारा खेतों में बीज की बुआई का शुभारंभ किया जा रहा है। कृषि विभाग द्वारा प्रचार रथ के माध्यम से कृषकों को आधुनिक खेती के लिए जागरूक किया जाएगा।
किसानों द्वारा बीज लेने हेतु ऑनलाईन आवेदन brbn.bihar.gov.in के माध्यम से जेनेरेट किया जा रहा है। अभी तक 11019 कृषकों द्वारा 5940.02 क्विंटल बीज हेतु आवेदन कृषक के माध्यम से ऑनलाईन प्राप्त हुआ है। तत्पश्चात कृषि समन्वयक, प्रखंड कृषि पदाधिकारी एवं जिला कृषि पदाधिकारी के लॉगिन से आवेदन सत्यापनोपरांत चयनित बीज विक्रेता से किसान बीज का क्रय कर सकेंगे। किसान को स्वयं वितरण स्थल पर जाना होगा तथा मोबाईल पर प्राप्त ओ०टी०पी० बताकर बीज का क्रय करना होगा। वित्तीय वर्ष 2023 – 24 अंतर्गत विभाग से प्राप्त योजनाओं की विवरणी निम्न प्रकार है l
मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना अंतर्गत गेहूं आधार बीज 524 क्विंटल का लक्ष्य जिला को प्राप्त हुआ है। जिसमें प्रत्येक राजस्व ग्राम से 2 कृषकों को 90 प्रतिशत अनुदान पर अधिकतम 20 किलोग्राम कृषक दिया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य बीज उत्पादन करना है । इस योजना अंतर्गत 2620 किसानों को लाभान्वित किया जायेगा ।
बीज वितरण कार्यक्रम अंतर्गत गेहूं 10 वर्ष से कम आयु प्रभेद के अनुदानित दर पर 15276 क्विंटल का लक्ष्य जिले को प्राप्त हुआ है। जिसमें 50 प्रतिशत या रूपया 20 किलोग्राम प्रति किलो अनुदान पर किसानों को मुहैया कराया जाएगा।
बीज वितरण कार्यक्रम इस प्रकार है lअंतर्गत गेहूं 10 वर्ष से अधिक आयु प्रभेद के अनुदानित दर पर 1935 क्विंटल का लक्ष्य जिले को प्राप्त हुआ है। जिसमें 15 रू प्रति किलो अनुदान पर किसानों को मुहैया कराया जाएगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना : विभिन्न घटकों में 1034.20 क्विंटल गेहूं जिला को वितरण हेतु प्राप्त हुआ है।राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना अंतर्गत मसूर में अनुदानित एवं प्रत्यक्षण में 643.76 क्विंटल बीज वितरण हेतु जिला को लक्ष्य प्राप्त है।राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना : अंतर्गत चना अनुदानित दर पर 116 क्विंटल एवं राई, सरसो 51.50 क्विंटल बीज वितरण हेतु जिला को प्राप्त हुआ है। 2 7. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना : अंतर्गत तीसी अनुदानित दर पर 5.50 क्विंटल वितरण हेतु जिला को प्राप्त हुआ है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना अंतर्गत कोर्स सिरियल कार्यक्रम अंतर्गत संकर मक्का प्रत्यक्षण अनुदानित एवं प्रत्यक्षण में 323.88 क्विंटल लक्ष्य जिला को प्राप्त हुआ है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना : अंतर्गत मिनीकीट 9 क्विंटल किसानों में वितरित किया जा रहा है।
सब मिशन ऑन सीड प्लांटिंग मेटेरियल (बीज ग्राम) : अंतर्गत गेहूं 2160 क्विंटल, चना 112 क्विंटल, मसूर 192 क्विंटल एवं राई, सरसो14 क्विंटल अनुदानित दर पर वितरण हेतु जिला को लक्ष्य प्राप्त हुआ है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजनाः अंतर्गत छह हजार रूपये सलाना प्रति किसान की दर से 490888 किसानों के खाते में केंद्र सरकार के स्तर से राशि का हस्तनांतरण किया जा रहा है । कृषि यांत्रिकरण योजनाः अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 में ऑनलाईन आवेदन प्रारंभ हो चुका है। ऑनलाईन आवेदन 10.2023 से 11.2023 तक स्वीकार्य होगा। कृषि यांत्रिकरण राज्य योजना 2023-24 में कुल 108 प्रकार के यंत्रों पर अनुदान देय होगा।फसल अवशेष पौधे का वह भाग होता है जो फसल की कटाई, गहाई के बाद खेत में छोड़ दिया जाता है। भूसा, तना, डंठल एवं पत्ते व छिलके आदि फसल अवशेष कहलाते हैं। फसल अवशेष को जलाने से ग्लोबल वार्मिंग, मृदा के भौतिक गुणों पर प्रभाव, मृदा पर्यावरण पर प्रभाव, मृदा में पोषक तत्वों में कमी, मृदा में उपलब्ध कार्बनिक पदार्थों में कमी तथा सांस रोग होता है ।
सुक्ष्म सिंचाई : सुक्ष्म सिंचाई प्रणाली सामान्य रूप से बागवानी फसलों में उर्वरक व पानी देने की सर्वोत्तम एवं आधुनिक विधि मानी जाती है। सुक्ष्म सिंचाई प्रणाली में कम पानी से अधिक क्षेत्र की सिंचाई की जाती है। इसमें पानी की बर्बादी को रोका जाता है। इसमें 30 से 40 प्रतिशत पानी का बचत होता है। किसान इस 90 प्रतिशत अनुदान पर उद्यान से अधिष्ठापित करवा सकते हैं। जलवायु अनुकूल खेती के लिए बिहार सरकार द्वारा किसानों को कम पूंजी में अधिक आमदनी के उद्देश्य से जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम या मौसम के अनुकूल कृषि की शुरूआत की है। यह योजना जल जीवन हरियाली के अंतर्गत लाया गया है। इसमें किसानों को मौसम के अनुकूल फसलों की बुआई – कटाई, तथा वैज्ञानिक तरीके से खेती करना सिखाया जाता है। जिससे कृषि उत्पादकता एवं किसानों की आय बढ़ती है।