पर्यावरण मंत्रालय-राज्य सरकारों की ओर से पेश प्रस्तावों के आधार पर पारिस्थितिकी-संवेदनशील-नाज़ुक क्षेत्र घोषित करता है।

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AKGupta मीडिया हाउस नई दिल्ली-भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्यों को विभिन्न विषयों के संबंध में कानून बनाने की विशेष शक्ति प्रदान करती है। भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार भूमि राज्य का विषय है और इसी के अनुरूप पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय राज्य सरकारों की ओर से पेश प्रस्तावों के आधार पर पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र या पारिस्थितिकी-नाज़ुक क्षेत्र घोषित करता है। इसके अलावा, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों जैसे संरक्षित क्षेत्रों के आसपास पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र भी घोषित करता है। इसका उद्देश्य संरक्षित क्षेत्र या अन्य प्राकृतिक स्थलों जैसे विशेष इकोसिस्टम के लिए एक प्रकार का “शॉक एब्जॉर्बर” या संक्रमण क्षेत्र बनाना है, जो उच्च संरक्षण वाले क्षेत्रों से कम संरक्षण वाले क्षेत्रों के बीच दबाव क्षेत्र के रूप में काम करेगा। मंत्रालय ने 485 संरक्षित क्षेत्रों के लिए पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने वाली कुल 345 अधिसूचनाएं प्रकाशित की हैं। इनमें आंध्र प्रदेश के 13 संरक्षित क्षेत्रों के संबंध में 11 और गुजरात के 23 संरक्षित क्षेत्रों के संबंध में 22 पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र अधिसूचनाएं शामिल हैं।

पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र अधिसूचना में यह अनिवार्य किया गया है कि अधिसूचना के प्रकाशन के दो साल के भीतर संबंधित राज्य सरकारें क्षेत्रीय मास्टर प्लान तैयार कर लें। यह मुख्य रूप से पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र के भीतर विकास को नियमित करने और अधिसूचना के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, क्षेत्रीय मास्टर प्लान में पर्यटन मास्टर प्लान और ईएसजेड के भीतर स्थित मानव निर्मित या प्राकृतिक संरचनाओं को सूचीबद्ध करने वाले विरासत स्थलों को शामिल करना भी अनिवार्य है, ताकि स्थानीय समुदायों की आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए पर्यटन गतिविधियों को चलाया जाए और साथ ही संरक्षण एवं सतत विकास के बीच संतुलन बनाया जाए।

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मंत्रालय की विभिन्न केन्द्र प्रायोजित योजनाओं और केन्द्रीय क्षेत्र योजनाओं के तहत प्राप्त धनराशि का उपयोग पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों सहित ऐसे क्षेत्रों के संरक्षण, स्थिरता और विकास के लिए भी किया जाता है। यह जानकारी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।