लापरवाही के चलते डेढ़ दशक बाद भी नहीं मिला न्याय, सीएम, कानून मन्त्री को भेजा शिकायती पत्र-विकास शाक्य अधिवक्ता

मीडिया हाउस न्यूज एजेंसी 9ता.सोनभद्र-ओबरा के पूर्व थानाध्यक्ष दिवाकर सिंह की लापरवाही से लड़ाई की मौत की पुष्टि करते हुए द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश राहुल मिश्र की अदालत ने 304A का मुकदमा पंजीकृत करने का निर्णय सुनाया है । लेकिन् जून 2007 में एससी/ एसटी एक्ट की धारा 4 में थानाध्यक्ष दिवाकर सिंह ,उप निरीक्षक महावीर प्रसाद द्विवेदी एवं मुख्य आरक्षी राजकुमार यादव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हो कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत होने के बाद भी अभियोजन की निष्क्रियता के कारण 15 वर्ष बाद भी पीड़ित न्याय से वंचित है । उक्त बातें पीयूसीएल के प्रदेश सचिव एडवोकेट विकास शाक्य ने कही।
श्री शाक्य ने कहा कि अप्रैल 2006 में वादी मुकदमा राजबहादुर के पिता ललई को पड़ोसी गुड्डू हरिजन समेत पांच लोगों ने बुरी तरह मारपीट कर घायल कर दिया था घटना की सूचना ओबरा थाने पर ललई घायल अवस्था में देने गए तो उन्हें लॉकअप में बंद कर दिया गया और आरोपियों को छोड़ दिया गया। ललई को दवा इलाज नहीं कराया गया जिस कारण ललई की मृत्यु थाने मे ही हो गई थी। तब आनन-फानन में तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर अस्पताल भेजा गया जहां उन्हे मृत घोषित कर दिया गया।मारपीट करने वाले पर हत्या का मुकदमा चला ।पुलिस की लापरवाही से मौत प्रसाशन स्वीकार नहीं कर रही थी जिस पर लंबी लड़ाई और आंदोलन के बाद तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी गिरिजेश कुमार ने धारा 4 एससी /एसटी एक्ट में तत्कालीन थाना अध्यक्ष दिवाकर सिंह ,उप निरीक्षक महावीर प्रसाद द्विवेदी व मुख्य आरक्षी राजकुमार यादव के विरुद्ध जून 2007 में एफ आई आर दर्ज कराई गई जिसके विवेचना मे आरोपों को सही पाते हुए न्यायलय आरोपपत्र सौपा गया परंतु अभियोजन शिथिलिता के कारण 15 वर्ष व्यतीत हो जाने के बावजूद मृतक परिजनों को न्याय नहीं मिल पाया। आरोपी पुलिसकर्मी अपनी जमानत तक नहीं कराए और नहीं अभी तक हाजिर हुए। श्री शाक्य ने कहा कि 15 वर्ष बाद न्यायालय ने थानाध्यक्ष दिवाकर सिंह की लापरवाही से मौत पुष्ट करते हुए धारा 304 ए भा० द०वि० मे विवेचना करने का आदेश दिया है परंतु प्रशासन और अभियोजन जिस तरह मामले को लंबित कर रही है उससे सरकार का रुख पारदर्शी कतई नहीं है। पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए भरोसा दिलाया है और अभियोजन के विरुद्ध सरकार से मुकदमे की पैरावी मे शिथिलता बरतने की शिकायत भी की है।
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