निर्माणाधीन वृहद गो संरक्षण केन्द्रों का कार्य एक माह के अंदर पूर्ण किया जाए-धर्मपाल सिंह

Media Houseलखनऊ-उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्रीधर्मपाल सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को पशुपालन निदेशालय बादशाहबाग परिसर स्थित सभागार में जनपदवार निराश्रित गोवंश के संरक्षण, अवस्थापना/निर्माण, बजट तथा विभागीय योजनाओं की समीक्षा की गयी तथा अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश निर्गत किये गये।

पशुधन मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि गो आश्रय स्थलों में संरक्षित गोवंश के भरण पोषण हेतु सरकार द्वारा प्रतिदिन 50 रूपये की धनराशि प्रति गोवंश की दर से संबंधित स्थानीय निकाय को डी0बी0टी द्वारा प्रत्येक माह भुगतान किया जा रहा है। धनराशि का शत प्रतिशत तथा पारदर्शी ढंग से सदुपयोग कराया जाए, जिससे गोवंश स्वस्थ्य एवं सुरक्षित रहें। सड़क पर विचरण कर रहे गोवंश को रेडियम बेल्ट लगायी जाए, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में गोवंश हानि को रोका जा सके। साथ ही निर्माणाधीन वृहद गो संरक्षण केन्द्र जिनका निर्माण 90 प्रतिशत से अधिक पूर्ण हो गया है। बाकी निर्माण कार्य को एक माह के भीतर पूर्ण कराकर क्रियाशील कर दिया जाए।

पशुधन मंत्री ने कहा कि अवस्थापना के कार्यों में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए, हर जनपद में पोर्टल अपडेट हो, ईयर टैगिंग का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जाए। मुख्य पशुचिकित्साधिकारी गोआश्रय स्थलों का नियमित रूप से निरीक्षण करें और आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें। माह दिसम्बर, 2025 तक जिस जनपद को जितना धन आवंटित किया गया है उसका 80 प्रतिशत तक अवश्य व्यय कर लिया जाए। ऐसा न करने पर संबंधित अधिकारी की जवाबदेही और जिम्मेदारी तय की जायेगी। कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के संचालन में तेजी लाई जाए। गोचर भूमि पर बरसीम, जई तथा नैपियर जैसे चारे की बुवाई पूर्ण करा ली जाए।

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बैठक में बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में 6,614 अस्थाई गो आश्रय स्थल, 403 वृहद गो संरक्षण केंद्र, 304 कान्हा गो आश्रय तथा 285 कांजी हाउस सहित कुल 7,608 गो आश्रय स्थलों की स्थापना की जा चुकी है, जिनमें 12,36,815 निराश्रित/बेसहारा गोवंश संरक्षित किए जा चुके हैं। वर्तमान में प्रदेश में कृषिकृत्य क्षे0 के 4.62 (7.67 लाख हे0) भूमि पर ही हरा चारा उत्पादन किया जाता है। खाद्यान्न उत्पादन तथा चारा उत्पादन में प्रतिस्पर्धा के कारण चारा आच्छादन क्षे0 में निरन्तर कमी हो रही है। संरक्षित गोवंशों के बेहतर भरण पोषण तथा स्वास्थ्य के दृष्टिगत हरे चारे की उपलब्धता पर विशेष जोर दिया जा रहा है। राजस्व आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में कुल 61,118.81 हे0 गोचर भूमि उपलब्ध है जिसमें से 10,642 हे0 कब्जा मुक्त गोचर भूमि को गो आश्रय स्थलों से टैग/सम्बद्ध करते हुए 7,078.14 हे0 भूमि पर हरा चारा जैसे नेपियर, मक्का, चरी की बुवाई करायी गई है।

बैठक में प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि गो आश्रय स्थलांे पर जल भराव न होने पाए। स्वच्छता का ध्यान रखा जाए और रेडियम बेल्ट अभियान में तेजी लाई जाए। उन्होंने कहा कि जनपदों में पशुपालकों एवं किसानों के हितों में चलाई जा रही योजनाओं का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए ताकि अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सके। बैठक में पशुधन विभाग के विशेष सचिव देवेन्द्र पाण्डेय, पशुपालन विभाग के निदेशक योगेन्द्र पवार, संयुक्त निदेशक डा0 पी0के0 सिंह सहित लखनऊ मण्डल के सभी मुख्य पशुचिकित्साधिकारी उपस्थित थे।

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