ब्यूरो,मीडिया हाउस न्यूज एजेंसी नई दिल्ली-एमएमडीआर अधिनियम, 1957 की धारा 9बी राज्य सरकारों को खनन से संबंधित कार्यों से प्रभावित हो रहे व्यक्तियों एवं क्षेत्रों के कल्याण व सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए काम करने और राज्य में डीएमएफ की स्थापना तथा अन्य उपाय करने हेतु नियम बनाने के उद्देश्य से जिला खनिज संस्थान (डीएमएफ) स्थापित करने का अधिकार देती है। इसके अलावा, एमएमडीआर अधिनियम की धारा 15(4) राज्य सरकारों को अपने राज्य में जिला खनिज संस्थानों के कामकाज को विनियमित करने के लिए नियम तैयार करने के अवसर भी देती है। इसी आधार पर, देश में 23 राज्यों के 644 जिलों में जिला खनिज संस्थान की स्थापना की गई है।
केंद्र सरकार ने एमएमडीआर अधिनियम 1957 की धारा 20ए के तहत 16.09.2015 को प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (पीएमकेकेकेवाई) के दिशानिर्देश जारी किए थे और राज्य सरकारों को उनके द्वारा बनाए गए डीएमएफ नियमों में इन्हें शामिल करने को कहा था। पीएमकेकेकेवाई योजना में जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के लिए प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (पीएमकेकेकेवाई) के दिशानिर्देशों में हर साल डीएमएफ द्वारा नियुक्त चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा या किसी अन्य तरीके से, जिन्हें सरकार द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है, उनसे डीएमएफ के खातों का ऑडिट करने का प्रावधान किया गया है। इसके बाद, उसका लेखा-जोखा डीएमएफ की वार्षिक रिपोर्ट के साथ सार्वजनिक डोमेन में रखा जाएगा।
इसके अलावा, खान मंत्रालय ने लोगों के कल्याण के प्रति संस्थान के योगदान को उजागर करते हुए डीएमएफ में पारदर्शिता एवं जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) से डीएमएफ का विशेष ऑडिट करने का अनुरोध किया है और इसके जवाब में सीएजी ने सूचित किया है कि इसे वित्त वर्ष 2023-24 की वार्षिक ऑडिट योजना में शामिल किया गया है। केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।